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हाईकोर्ट का अहम फैसला: FIR दर्ज होना पदोन्नति रोकने का आधार नहीं, सेना अधिकारी की याचिका पर AFT का आदेश रद्द

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Wed, 17 Sep 2025 07:49 AM IST
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सार

पंचकूला निवासी जसप्रीत सिंह ने याचिका दाखिल करते हुए बताया कि उसे 25 मई 2022 को जूनियर कमीशंड आफिसर (जेसीओ) पद पर पदोन्नति का आदेश मिला था। हालांकि विभाग ने यह कहते हुए पदोन्नति लागू नहीं की कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है।

Important decision of High Court Filing of FIR is not ground for stopping promotion
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि किसी कर्मचारी के खिलाफ केवल एफआईआर दर्ज होना इस बात का प्रमाण नहीं है कि उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही लंबित है। यह पदोन्नति को रोकने का आधार तभी बन सकती है जब चार्जशीट दाखिल की जाए और न्यायालय उस पर संज्ञान ले।
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पंचकूला निवासी जसप्रीत सिंह ने याचिका दाखिल करते हुए बताया कि उसे 25 मई 2022 को जूनियर कमीशंड आफिसर (जेसीओ) पद पर पदोन्नति का आदेश मिला था। हालांकि विभाग ने यह कहते हुए पदोन्नति लागू नहीं की कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है और यह लंबित आपराधिक कार्यवाही मानी जाएगी। इसके खिलाफ जसप्रीत सिंह ने आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल, चंडीगढ़ बेंच में अपील की, लेकिन ट्रिब्यूनल ने 14 दिसंबर 2023 को विभाग के पक्ष में फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी।
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इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट में जसप्रीत सिंह की ओर से यह दलील दी गई कि एफआईआर दर्ज होना लंबित आपराधिक कार्यवाही के दायरे में नहीं आता और विभाग ने गलत तरीके से उनकी पदोन्नति रोकी है। दूसरी ओर, सरकार की ओर से कहा गया कि एफआईआर दर्ज होना ही आपराधिक कार्यवाही लंबित होने के बराबर है, इसलिए ट्रिब्यूनल का फैसला सही है। 
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह पाया कि याचिकाकर्ता की पदोन्नति का आदेश पहले ही जारी हो चुका था, लेकिन केवल एफआईआर को आधार बनाकर उसे लागू नहीं किया गया। 

हाईकोर्ट ने कहा कि विभाग ने अपनी पत्र दिनांक 15 जनवरी 2024 में स्वयं स्वीकार किया था कि इस मामले में न तो अदालत ने कोई संज्ञान लिया है और न ही कोई आरोप तय हुए हैं। ऐसे में एफआईआर दर्ज होने मात्र को आपराधिक कार्यवाही मानना और पदोन्नति रोकना कानून के अनुरूप नहीं है। कोर्ट ने ट्रिब्यूनल का 14 दिसंबर 2023 का आदेश असंगत करार देते हुए रद्द कर दिया। साथ ही आदेश दिया कि जसप्रीत सिंह को 25 मई 2022 से जेसीओ पद पर पदोन्नत माना जाए और उन्हें सभी सेवा लाभ व वेतन सहित अन्य अधिकार दिए जाएं।
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