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एक एनकाउंटर ने बदली सोच: नाैकरी छोड़ शहीदों के परिवारों से जुड़ीं रिंकल, बच्चों को भी देश रक्षकों से जोड़ा
हर्षिता बंसल, संवाद, मोहाली
Published by: चंडीगढ़ ब्यूरो
Updated Mon, 23 Sep 2024 07:17 AM IST
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सार
रिंकल ने बताया कि सैनिकों के साथ वह बच्चों का एक कनेक्शन बनाना चाहती थी। बच्चों को देश के रक्षकों के साथ जोड़ने के लिए रक्षाबंधन पर उनसे राखी बनवाई और बच्चों के हाथों से लिखे पत्र को सैनिकों तक पहुंचाया।

रिंकल कपूर बलाना
- फोटो : संवाद
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विस्तार
2020 में एनकाउंटर में मेजर अनुज सूद, कर्नल आशुतोष शर्मा समेत पांच जवानों की शहादत ने मोहाली की युवती को इस हद तक झिंझोड़ दिया कि उसने अपनी नौकरी छोड़कर सारा जीवन सैनिकों और उनके परिवारों के नाम समर्पित कर दिया। यह कहानी है रिंकल कपूर बलाना की।
वह बताती हैं कि वर्ष 2020 में हुए एनकाउंटर से पहले वे एक्सिस बैंक में काम करती थीं। मई 2020 में कश्मीर में हुए एनकाउंटर की खबर सुनी। इस खबर ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि उन परिवारों वालों का क्या हाल होता होगा, जिन्होंने अपना सब कुछ इस देश की रक्षा के लिए कुर्बान कर दिया। तब मैंने जॉब जोड़ने का निर्णय लिया और पति श्याम बलाना के सहयोग से वर्ष 2021 में हंदवाडा में शहीदों को श्रद्धांजलि देने गई।
रिंकल ने बताया कि सैनिकों के साथ वह बच्चों का एक कनेक्शन बनाना चाहती थी। बच्चों को देश के रक्षकों के साथ जोड़ने के लिए रक्षाबंधन पर उनसे राखी बनवाई और बच्चों के हाथों से लिखे पत्र को सैनिकों तक पहुंचाया। 2022 में पहली बार मोहाली के पांच स्कूलों में जाकर बच्चों को शहीदों की गौरव गाथाएं सुनाई और उनसे आग्रह किया कि कोई विद्यार्थी जवानों को राखी बनाकर या खरीदकर और कोई संदेश देना चाहता है तो बताए।
इसके बाद लगभग 1500 राखियां और 700 पत्र आए। राखियां और पत्र मेरे साथ हंदवाड़ा कश्मीर पहुंचे। इतने पत्र और राखियां देने का सिलसिला दस दिन तक चला। पत्रों में बच्चों ने अपनी हर भावना और ख्वाइशों को लिखा हुआ था। छात्रों को आश्वासन देने के लिए बच्चों की सैनिकों के साथ वीडियो कॉल पर बात करवाई। यह सिलसिला वर्ष 2023 में अरुणाचल प्रदेश में तैनान जवानों के साथ किया गया। इस वर्ष परमिशन न मिलने के कारण ऐसा नहीं हो सका।

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वह बताती हैं कि वर्ष 2020 में हुए एनकाउंटर से पहले वे एक्सिस बैंक में काम करती थीं। मई 2020 में कश्मीर में हुए एनकाउंटर की खबर सुनी। इस खबर ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि उन परिवारों वालों का क्या हाल होता होगा, जिन्होंने अपना सब कुछ इस देश की रक्षा के लिए कुर्बान कर दिया। तब मैंने जॉब जोड़ने का निर्णय लिया और पति श्याम बलाना के सहयोग से वर्ष 2021 में हंदवाडा में शहीदों को श्रद्धांजलि देने गई।
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रिंकल ने बताया कि सैनिकों के साथ वह बच्चों का एक कनेक्शन बनाना चाहती थी। बच्चों को देश के रक्षकों के साथ जोड़ने के लिए रक्षाबंधन पर उनसे राखी बनवाई और बच्चों के हाथों से लिखे पत्र को सैनिकों तक पहुंचाया। 2022 में पहली बार मोहाली के पांच स्कूलों में जाकर बच्चों को शहीदों की गौरव गाथाएं सुनाई और उनसे आग्रह किया कि कोई विद्यार्थी जवानों को राखी बनाकर या खरीदकर और कोई संदेश देना चाहता है तो बताए।
इसके बाद लगभग 1500 राखियां और 700 पत्र आए। राखियां और पत्र मेरे साथ हंदवाड़ा कश्मीर पहुंचे। इतने पत्र और राखियां देने का सिलसिला दस दिन तक चला। पत्रों में बच्चों ने अपनी हर भावना और ख्वाइशों को लिखा हुआ था। छात्रों को आश्वासन देने के लिए बच्चों की सैनिकों के साथ वीडियो कॉल पर बात करवाई। यह सिलसिला वर्ष 2023 में अरुणाचल प्रदेश में तैनान जवानों के साथ किया गया। इस वर्ष परमिशन न मिलने के कारण ऐसा नहीं हो सका।