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Mohali: 11 वर्ष पहले गमाडा ने 2500 करोड़ में बनाई थी मार्केट, दुकानदारों को अब तक नहीं मिला कब्जा
संवाद न्यूज एजेंसी, मोहाली
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Mon, 18 Nov 2024 11:11 AM IST
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सार
दुकानदारों का कहना है कि वर्तमान समय मार्केट का स्ट्रक्चर, फुटपाथ और पार्किंग धीरे धीरे टूट रही है। इसके साथ खाली दुकानों में बड़ी बड़ी झाड़ियां खड़ी हैं और जंगल जैसे हालात हो गए।

गमाडा की तरफ से बनाई दुकानों का हाल
- फोटो : संवाद
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विस्तार
गमाडा ने मोहाली के सेक्टर- 82 में करीब 25 सौ करोड़ रुपये की लागत से एक किलोमीटर लंबी मार्केट तो बना डाली पर उन दुकानदारों को इसका कब्जा नहीं दिया गया है जिन्होंने इसमें निवेश किया था। इस मार्केट में शोरुम भी हैं, बूथ भी और एक बड़ी पार्किंग भी।
इसके साथ ही यहां पर एक बिजली का स्टेशन बनाया गया है। हालात यह हो गए हैं कि जहां दुकानों की जमीन है वहां गहरे गड्ढे हैं और उनमें पानी भरा है। जिस वजह से आई टी सिटी के मार्केट के आसपास के इलाकों में मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है।
इस मार्केट में किसी भी दुकानदार को दुकानों का कब्जा नहीं मिल सका है। दुकानदारों का कहना है कि वर्तमान समय मार्केट का स्ट्रक्चर, फुटपाथ और पार्किंग धीरे धीरे टूट रही है। इसके साथ खाली दुकानों में बड़ी बड़ी झाड़ियां खड़ी हैं और जंगल जैसे हालात हो गए।
रेजिडेंट्स का कहना है कि यहां मार्केट में दुकान न होने से मोहाली जीरकपुर सहित आसपास गांव में जरूरी सामान के लिए जाना पड़ता है। जब से आईटी सिटी बनी है तब से लेकर अब तक यहां मार्केट की सुविधा नहीं मिल पाई है।
गमाडा ने वर्ष 2013 में मार्केट बनाने के लिए किसानों से जमीन रिक्वायर की थी। उसके बाद यहां सौ गज के 450 शोरुम और दो सौ गज के 650 बूथ काटे। मार्केट में आने वाले ग्राहकों के वाहनों के लिए पार्किंग बनाने के साथ ही बिजली मीटर के बाक्स भी लगा दिए। बशर्ते 11 वर्ष बीत जाने के बाद भी गमाडा ने किसी भी दुकानदार को कब्जा नहीं दिया है। रेजिडेंट्स का कहना है कि गमाडा ने मेडलियन प्रोजेक्ट से पी-आर 9 तक 8 एकड़ में डेढ़ किलोमीटर लंबी मार्केट तैयार की थी, लेकिन इसका फायदा कोई नहीं है।

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इसके साथ ही यहां पर एक बिजली का स्टेशन बनाया गया है। हालात यह हो गए हैं कि जहां दुकानों की जमीन है वहां गहरे गड्ढे हैं और उनमें पानी भरा है। जिस वजह से आई टी सिटी के मार्केट के आसपास के इलाकों में मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है।
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इस मार्केट में किसी भी दुकानदार को दुकानों का कब्जा नहीं मिल सका है। दुकानदारों का कहना है कि वर्तमान समय मार्केट का स्ट्रक्चर, फुटपाथ और पार्किंग धीरे धीरे टूट रही है। इसके साथ खाली दुकानों में बड़ी बड़ी झाड़ियां खड़ी हैं और जंगल जैसे हालात हो गए।
रेजिडेंट्स का कहना है कि यहां मार्केट में दुकान न होने से मोहाली जीरकपुर सहित आसपास गांव में जरूरी सामान के लिए जाना पड़ता है। जब से आईटी सिटी बनी है तब से लेकर अब तक यहां मार्केट की सुविधा नहीं मिल पाई है।
गमाडा ने वर्ष 2013 में मार्केट बनाने के लिए किसानों से जमीन रिक्वायर की थी। उसके बाद यहां सौ गज के 450 शोरुम और दो सौ गज के 650 बूथ काटे। मार्केट में आने वाले ग्राहकों के वाहनों के लिए पार्किंग बनाने के साथ ही बिजली मीटर के बाक्स भी लगा दिए। बशर्ते 11 वर्ष बीत जाने के बाद भी गमाडा ने किसी भी दुकानदार को कब्जा नहीं दिया है। रेजिडेंट्स का कहना है कि गमाडा ने मेडलियन प्रोजेक्ट से पी-आर 9 तक 8 एकड़ में डेढ़ किलोमीटर लंबी मार्केट तैयार की थी, लेकिन इसका फायदा कोई नहीं है।