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Mohali News: पीयू में कानून के छात्र रहे थे स्वराज कौशल, मिजोरम में शांति स्थापना में रहा महत्वपूर्ण योगदान
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चंडीगढ़। भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति एवं वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल का वीरवार को निधन हो गया। दोनों पति-पत्नी का चंडीगढ़ से जुड़ाव बेहद खास रहा है। दोनों ने चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय के लॉ विभाग से अपनी पढ़ाई पूरी की थी।
सुषमा स्वराज ने 1970 में एलएलबी की पढ़ाई शुरू की थी। इसी दौरान स्वराज कौशल भी लॉ विभाग में पढ़ते थे। सुषमा सुबह की कक्षाओं में और स्वराज शाम की कक्षाओं में शामिल होते थे। पढ़ाई के समय ही दोनों की पहचान दोस्ती में बदली और बाद में 13 जुलाई 1975 को दोनों ने विवाह किया। दोनों ने पंजाब विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की और आगे चलकर भारतीय राजनीति और न्यायिक सेवाओं में अपनी अलग पहचान बनाई।
स्वराज कौशल सबसे युवा राज्यपालों में शामिल
स्वराज कौशल का जन्म 12 जुलाई 1952 को हिमाचल प्रदेश के सोलन में हुआ था। वह केवल 37 वर्ष की आयु में 8 फरवरी 1990 को मिजोरम के राज्यपाल बने। वह देश के सबसे युवा राज्यपालों में गिने जाते हैं। उनका कार्यकाल 9 फरवरी 1993 तक चला। राज्यपाल बनने से पहले वर्ष 1986 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा प्रदान किया था। वकील के रूप में उनका सबसे चर्चित काम 1975-77 के आपातकाल के दौरान विपक्षी नेता जॉर्ज फर्नांडिस का मुकदमा लड़ना रहा। इसके लिए उन्हें देश भर में साहसिक वकील के रूप में जाना गया।
स्वराज कौशल ने मिजोरम में लंबे समय तक चले उग्रवादी संघर्ष को समाप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह 1986 के ऐतिहासिक मिजोरम शांति समझौते को आगे बढ़ाने वालों में शामिल रहे, जिससे राज्य में स्थायी शांति स्थापित हुई।
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सुषमा स्वराज ने 1970 में एलएलबी की पढ़ाई शुरू की थी। इसी दौरान स्वराज कौशल भी लॉ विभाग में पढ़ते थे। सुषमा सुबह की कक्षाओं में और स्वराज शाम की कक्षाओं में शामिल होते थे। पढ़ाई के समय ही दोनों की पहचान दोस्ती में बदली और बाद में 13 जुलाई 1975 को दोनों ने विवाह किया। दोनों ने पंजाब विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की और आगे चलकर भारतीय राजनीति और न्यायिक सेवाओं में अपनी अलग पहचान बनाई।
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स्वराज कौशल सबसे युवा राज्यपालों में शामिल
स्वराज कौशल का जन्म 12 जुलाई 1952 को हिमाचल प्रदेश के सोलन में हुआ था। वह केवल 37 वर्ष की आयु में 8 फरवरी 1990 को मिजोरम के राज्यपाल बने। वह देश के सबसे युवा राज्यपालों में गिने जाते हैं। उनका कार्यकाल 9 फरवरी 1993 तक चला। राज्यपाल बनने से पहले वर्ष 1986 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा प्रदान किया था। वकील के रूप में उनका सबसे चर्चित काम 1975-77 के आपातकाल के दौरान विपक्षी नेता जॉर्ज फर्नांडिस का मुकदमा लड़ना रहा। इसके लिए उन्हें देश भर में साहसिक वकील के रूप में जाना गया।
स्वराज कौशल ने मिजोरम में लंबे समय तक चले उग्रवादी संघर्ष को समाप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह 1986 के ऐतिहासिक मिजोरम शांति समझौते को आगे बढ़ाने वालों में शामिल रहे, जिससे राज्य में स्थायी शांति स्थापित हुई।