पंजाब में बिजली संकट: थर्मल प्लांटों में कोयले की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में रोज लग रहे चार-पांच घंटे के बिजली कट
शुक्रवार को पंजाब में बिजली की मांग 7200 मेगावाट के करीब दर्ज की गई। जिसे पूरा करने के लिए पावरकॉम को अपने थर्मलों से 1425 मेगावाट, हाइडल प्रोजेक्टों से 238 मेगावाट और प्राइवेट प्लांटों से 2739 मेगावाट बिजली मिली।

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पंजाब के थर्मलों में कोयले की कमी के चलते अब बिजली कटों का सिलसिला शुरू हो गया है। फिलहाल शुरुआत ग्रामीण इलाकों से हुई है। यहां चार से पांच घंटों तक के कट लगने शुरू हो गए हैं। खेतीबाड़ी ट्यूबवेलों के लिए एक दिन छोड़कर मिलने वाली छह से आठ घंटे बिजली सप्लाई केवल तीन घंटे मिल पा रही है। इससे सब्जी की खेती करने वाले किसानों को काफी परेशानी हो रही है।

आंकड़ों के मुताबिक पंजाब के सरकारी रोपड़ थर्मल प्लांट में मात्र 10, लहरां मुहब्बत में 11, प्राइवेट में तलवंडी साबो और गोइंदवाल साहिब में आधे-आधे दिन का कोयला शेष है। प्राइवेट में राजपुरा प्लांट में स्थिति कुछ ठीक है। यहां करीब 14 दिनों का कोयला पड़ा है। कोयले की कमी बनी होने से बिजली सप्लाई प्रभावित हो रही है, गोइंदवाल साहिब का 270 मेगावाट का एक यूनिट तो गरमी के सीजन की शुरुआत से ही बंद पड़ा है।
थर्मल प्लांटों के ज्यादातर यूनिट पड़े हैं बंद
रोपड़ व लहरां मुहब्बत के आठ यूनिटों में से ज्यादातर यूनिट अब तक कोयले की कमी के चलते बंद ही पड़े थे। गरमी बढ़ने के कारण रोपड़ के चार में से तीन और लहरां के सभी चार यूनिटों को चालू तो कर दिया गया है पर कोयले का संकट होने के चलते यह कहना मुश्किल है कि यह यूनिट कब तक चल सकेंगे। शुक्रवार को पंजाब में बिजली की मांग 7200 मेगावाट के करीब दर्ज की गई। जिसे पूरा करने के लिए पावरकॉम को अपने थर्मलों से 1425 मेगावाट, हाइडल प्रोजेक्टों से 238 मेगावाट और प्राइवेट प्लांटों से 2739 मेगावाट बिजली मिली। सोलर व अन्य प्रोजेक्टों को मिलाकर पावरकाम को शनिवार को कुल 4475 मेगावाट बिजली की उपलब्धता हुई।
बाहर से खरीदी जा रही बिजली
मांग के मुकाबले उपलब्धता कम होने के कारण पावरकॉम को बाहर से 2500 मेगावाट के करीब बिजली खरीदनी पड़ी। लेकिन देश भर में ही कोयले के संकट के चलते इन दिनों बाहर से काफी महंगी बिजली मिल रही है। जिस कारण पावरकॉम कम ही खरीद पा रहा है। ऐसे में मांग व सप्लाई में 225 मेगावाट का अंतर होने कारण पावरकॉम को कट लगाने पड़े। शनिवार को गांवों में चार से पांच घंटे तक के कट लगे। माहिरों का मानना है कि कटों की शुरुआत फिलहाल गांवों से की गई है। पैडी सीजन में मांग 15000 मेगावाट तक पहुंचने की संभावना है। उस समय शहरों में भी कट लगाए जा सकते हैं। क्योंकि फिलहाल कोयले के संकट से निजात मिलता नजर नहीं आ रहा है। गांव रायमल माजरी के किसान गुरदीप सिंह के मुताबिक इतनी गरमी में कट लगने से काफी परेशानी हो रही है। रात को भी खेतीबाड़ी ट्यूबवेलों को पूरी सप्लाई नहीं मिलती है।