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Gangaur Vrat 2020: जानें गणगौर व्रत की संपूर्ण व्रत विधि एवं व्रत कथा

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: रुस्तम राणा Updated Fri, 27 Mar 2020 06:41 AM IST
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Gangaur Vrat 2020 date vrat vidhi and vrat katha
गणगौर व्रत 2020 - फोटो : google
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गणगौर व्रत माता पार्वती और भगवान शिव की उपासना के लिए रखा जाता है। विवाहित महिलाएं सौभाग्य प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती हैं। हालांकि अविवाहित महिलाएं भी अच्छे जीवनसाथी के लिए यह व्रत रखती हैं। लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि यह व्रत महिलाओं के द्वारा पति को बिना बताये रखा जाता है। प्रति वर्ष यह व्रत चैत्र शुक्ल तृतीया को रखा जाता है और इस वर्ष यह तिथि 27 मार्च को पड़ रही है। लेकिन इस व्रत में कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। आइए जानते हैं गणगौर व्रत किन चीजों का ध्यान रखा जाना चाहिए। इस व्रत की विधि और कथा क्या है।

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गणगौर व्रत की संपूर्ण विधि

  • इस व्रत की तैयारी करीब सात-आठ दिन पहले से होती है। इसके तहत जो विवाहित महिला इस व्रत को रखना चाहती है उसे कृष्ण पक्ष की एकादशी को प्रातः स्नान करके गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के ही किसी पवित्र स्थान पर लकड़ी की बनी टोकरी में जवारे बोना चाहिए।
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  • इसी दिन से व्रती महिला को केवल एक समय का ही भोजन करना चाहिए।
  • गौरीजी का विसर्जन न होने तक रोजाना गौरीजी की विधि-विधान से पूजा करें
  • मां गौरी को सोल शृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं।
  • इसके साथ ही उन्हें चंदन, अक्षत, धूप-दीप, नैवेद्यादि अर्पित करें।
  • इसके पश्चात गौरीजी को भोग लगाया जाता है।
  • भोग के बाद गणगौर व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
  • कथा सुनने के बाद गौरीजी पर चढ़ाए हुए सिंदूर से अपनी मांग भरें।
  • जबकि कुंवारी महिलाएं गौरीजी को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लें।
  • चैत्र शुक्ल द्वितीया (सिंजारे) को गौरीजी को किसी नदी, तालाब या सरोवर पर ले जाकर उन्हें स्नान कराएं।
  • चैत्र शुक्ल तृतीया को भी गौरी-शिव को स्नान कराएं
  • अब उन्हें सुंदर वस्त्राभूषण पहनाकर डोल या पालने में बिठाएं।
  • इसी दिन शाम को गाजे-बाजे से नाचते-गाते हुए महिलाएं और पुरुष भी एक समारोह या एक शोभायात्रा के रूप में गौरी-शिव को नदी या तालाब में विसर्जित करें।
  • और फिर अपना उपवास खोलें। 

गणगौर व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, कहा जाता है कि एकबार चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि के दिन मां पार्वती और शिवजी नारदमुनि के साथ भ्रमण पर निकले थे। इस दौरान वे एक गांव में पहुंचें।  जब गांव की महिलाओं को उनके आगमन की खबर लगी तो वे उनकी स्वागत की तैयारी में जुट गईं। जहां समृद्ध परिवारों की महिलाओं ने मां गौरी-शिव के स्वागत के लिए ना ना प्रकार के पकवान और फल की तैयारी करने लगीं। तो वहीं गरीब महिलाओं ने जो उनसे बन पड़ा उन्होंने वैसा ही स्वागत किया। लेकिन मां गौरी उनके भाव को देखकर बेहद प्रसन्न हो गईं। मां गौरी ने उन महिलाओं की भक्ति को देखकर उन्हें सौभाग्य रस के रूप में आशीर्वाद दिया। इसके बाद जब समृद्ध परिवार की महिलाएं तरह-तरह के मिष्ठान और पकवान लेकर आईं तो उन्हें आशीर्वाद के रूप में देने के लिए मां गौरी के पास कुछ न था। ऐसे में भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि अब आपके पास इन्हें देने के लिए कुछ नहीं बचा क्योंकि आपने सारा आशीर्वाद गरीब महिलाओं को दे दिया। तब माता पार्वती ने अपने खून के छींटों से उन पर अपने आशीर्वाद दिया। 

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