सब्सक्राइब करें

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
Hindi News ›   Spirituality ›   Religion ›   kala shtami 2019: facts about kal bhairav temple in varanasi

कालाष्टमी 2019 : जानिए काल भैरव जन्म कथा, क्यों कहे जाते हैं काशी के कोतवाल

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Thu, 25 Apr 2019 12:14 PM IST
विज्ञापन
kala shtami 2019: facts about kal bhairav temple in varanasi
काल भैरव जन्म कथा
विज्ञापन

कालाष्टमी का पर्व बैशाख माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 26 अप्रैल को कालाष्टमी है। कालाष्टमी पर काल भैरव की विशेष रूप से पूजा-आराधना और व्रत का विधान है । काल भैरव को भगवान शंकर का रुद्रावतार माना जाता है। भैरव बाबा को काशी के कोतवाल है। कालाष्टमी के मौके पर आइए जानते है काल भैरव के जन्म की कथा और  काशी से इनका कनेक्शन।

loader
Trending Videos


काशी में इनकी नियुक्ति स्वयं भगवान महादेव ने की थी। मान्यता है कि काशी में रहने के लिए हर व्यक्ति को यहां के कोतवाल यानी बाबा भैरव की आज्ञा लेनी पड़ती है। बनारस में मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ काशी के राजा हैं और काल भैरव इन प्राचीन नगरी के कोतवाल। यही कारण है कि भगवान भैरव का दर्शन किये बगैर बाबा विश्वनाथ का दर्शन अधूरा माना जाता है। 
विज्ञापन
विज्ञापन


07 मई 2019, मंगलवार को अक्षय तृतीया पर अपार धन-संपदा की प्राप्ति हेतु करवाए जा रहे सामूहिक श्री लक्ष्मी कुबेर यज्ञ से जुड़ें 

काल भैरव जन्म कथा

काल भैरव के जन्म को लेकर पुराणों में एक बड़ी ही रोचक कथा है। शिव पुराण के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी में कौन सर्वश्रेष्ठ है इस बात को लेकर वाद-विवाद पैदा हो गया। तब दोनों ने अपने आपको श्रेष्ठ बताया और आपस में एक दूसरे से युद्ध करने लगे। इसके बाद सभी देवताओं ने वेद से पूछा तो उत्तर आया कि जिनके भीतर चराचर जगत, भूत, भविष्य और वर्तमान समाया हुआ है भगवान शिव ही सर्वश्रेष्ठ हैं। 

ब्रह्माजी ने शिवजी को कहे अपशब्द

वेद के मुख से शिव के बारे में यह सब सुनकर ब्रह्माजी ने अपने पांचवें मुख से शिव के बारे में भला-बुरा कहा। इससे वेद दुखी हुए। उसी समय एक दिव्यज्योति के रूप में भगवान रूद्र प्रकट हुए। तब ब्रह्मा ने कहा कि हे रूद्र तुम मेरे ही सिर से पैदा हुए हो। अधिक रुदन करने के कारण मैंने ही तुम्हारा नाम रूद्र रखा है इसलिए तुम मेरी सेवा में आ जाओ।

काल भैरव ने नाखून से काटा ब्रह्माजी का सिर 

ब्रह्माजी के इस आचरण पर शिवजी को भयानक क्रोध आ गया और उन्होंने भैरव को उत्पन्न करके कहा कि तुम ब्रह्मा पर शासन करो। दिव्य शक्ति संपन्न भैरव ने अपने बाएं हाथ की सबसे छोटी अंगुली के नाखून से शिव के प्रति अपमान जनक शब्द कहने वाले ब्रह्मा जी के पांचवें सिर को ही काट दिया।

काशी में मिला ब्रह्मा हत्या से मुक्ति

बाद में शिवजी के कहने पर भैरवजी काशी प्रस्थान किया जहां ब्रह्रा हत्या से मुक्ति मिली। रूद्र ने इन्हें काशी का कोतवाल नियुक्त किया। आज भी ये काशी के कोतवाल के रूप में पूजे जाते हैं। इनके दर्शन किए वगैर बाबा विश्वनाथ का दर्शन अधूरा रहता है।

विज्ञापन
विज्ञापन
सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें आस्था समाचार से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। आस्था जगत की अन्य खबरें जैसे पॉज़िटिव लाइफ़ फैक्ट्स,स्वास्थ्य संबंधी सभी धर्म और त्योहार आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़।
 
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें अमर उजाला हिंदी न्यूज़ APP अपने मोबाइल पर।
Amar Ujala Android Hindi News APP Amar Ujala iOS Hindi News APP
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed