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Amar Ujala Samwad: कुश्ती आसान या राजनीति? जानिए ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त ने क्या जवाब दिया

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, गुरुग्राम Published by: स्वप्निल शशांक Updated Wed, 17 Dec 2025 02:36 PM IST
सार

योगेश्वर ने हरियाणा के खिलाड़ियों में जोश की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि हरियाणा की मिट्टी में जो जोश है और संघर्ष है, उससे हमें पदक मिलते हैं।

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Amar Ujala Samwad: Wrestling or Politics – What Olympic Medallist Yogeshwar Dutt Had to Say
योगेश्वर दत्त - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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हरियाणा इस बार खेल, संस्कृति और संवाद का बड़ा मंच बना है। अमर उजाला संवाद 2025 का आयोजन गुरुग्राम में हुआ, जहां खेल, मनोरंजन और राजनीति जगत की दिग्गज हस्तियां ने शिरकत किया। खास बात यह है कि इस मंच पर ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त और विश्व चैंपियन महिला मुक्केबाज जैस्मिन लंबोरिया भी नजर आए। इन दोनों ने खेलों पर बात सत्र में हिस्सा लिया। इस दौरान योगेश्वर ने बताया कि खेलना ज्यादा आसान है या राजनीति करना। 
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उन्होंने कहा, 'जिंदगी मुश्किल है। यहां खेल और राजनीति की बात नहीं है। अगर हम यहां तक आएं हैं तो संघर्ष करना पड़ेगा। आपने मुझे खेल की वजह से यहां पर बुलाया है और खेल की वजह से ही मैं राजनीति में आया हूं। राजनीति अलग है और खेल अलग है। खेल हमें खुशी देता है, लेकिन राजनीति हम कुछ अलग से करते हैं ताकि समाज की मदद कर सकें। हम राजनीति इसलिए करते हैं ताकि बच्चों की मदद कर सकें और खेलों में आगे बढ़ा सकें। समाज के लिए कुछ अच्छा करने का जरिया है। कुश्ती में दांव आमने-सामने लगते हैं, लेकिन राजनीति में पीछे से लगते हैं।'
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कुश्ती में जो हमने ऊंचाइयां छुईं थीं उसमें कोई रुकावट?
योगेश्वर से जब पूछा गया कि पिछले कुछ वक्त में कुश्ती में जो हमने ऊंचाइयां छुईं थीं उसमें एक रुकावट नजर आती है। तो इस पर उन्होंने कहा, 'कुश्ती में बिल्कुल रुकावट नहीं है क्योंकि पिछले पांच ओलंपिक से कुश्ती में हमें पदक मिले हैं। आप ओवरऑल खेलों की बात करो तो बिल्कुल हम उन ऊंचाइयों तक नहीं पहुंच सके जहां तक हमें होना चाहिए था। सरकार काफी खेलों पर काफी पैसा खर्च करती है, लेकिन मेरा मानना है कि खेलों को अगर और ऊंचाइयों तक ले जाना है तो कॉरपोरेट जगत को भी आगे आना चाहिए। खेलों में मदद करनी चाहिए। कुछ ऐसे भी हैं। जो पर्सनल एकेडमी चलाते हैं तो हमें उन पर ज्यादा फोकस करने की जरूरत है।'

'2036 ओलंपिक अगर हम करवाते हैं तो...'
योगेश्वर ने कहा, 'सरकार जैसे टॉप्स स्कीम के आधार पर बच्चों की मदद कर रही है, वैसे ही हम सभी को एक टीम के तौर पर काम करना होगा तभी हम ओलंपिक मेडल जीत सकते हैं। हम उतने मेडल नहीं जीत पाए जितने होने चाहिए थे। टोक्यो में हमारे सात पदक थे, लेकिन पेरिस में छह। हमारा मानना है कि 2036 ओलंपिक अगर हम करवाते हैं तो अगर 10-15 मेडल आएं या फिर हम शीर्ष पांच देशों में रह पाएं तो यह खेलों के लिए बहुत अच्छा होगा। साथ ही कॉरपोरेट जगत को आगे आना चाहिए। जो पर्सनल एकेडमी चलाते हैं, वो मदद करें और उन पर फोकस करें।'

हरियाणा के खिलाड़ियों के अंदर जोश की वजह क्या है?
योगेश्वर ने हरियाणा के खिलाड़ियों में जोश की वजह भी बताई। उन्होंने कहा, 'जब बात हरियाणा की आती है तो सबसे पहले हमारे ग्रामीण खेल हैं, कुश्ती है, कबड्डी है, बॉक्सिंग है, हॉकी है, इसकी आती है। हरियाणा के लोगों में इसको लेकर जुनून है। ये आती है हमारी संस्कृति से। हमें पुरखों से मिली है संस्कृति। वो चाहे खेल में हो, किसानी हो, समाज सेवा में हो, सेना में हो। आगे बढ़ना का जज्बा विरासत में मिला है। बड़ों से सीखा है। हमने ओलंपिक में अगर छह पदक जीते तो तीन हरियाणा से हैं। एशियन गेम्स में भी आधे पदक हरियाणा लाता है। जो खिलाड़ी के कोच का बड़ा योगदान रहता है। सरकार का भी रोल रहता है। हरियाणा की मिट्टी में जो जोश है और संघर्ष है, उससे हमें पदक मिलते हैं।'

योगेश्वर दत्त: मिट्टी के अखाड़े से ओलंपिक पोडियम तक
हरियाणा के गांव से निकले योगेश्वर दत्त ने भारतीय कुश्ती को नई पहचान दी। 14 साल की उम्र में घर छोड़कर छत्रसाल स्टेडियम पहुंचे योगेश्वर ने संघर्ष, चोट और निजी दुखों के बावजूद हार नहीं मानी। 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर उन्होंने इतिहास रचा और देशभर में प्रेरणा बने। एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में भी पदक जीतने वाले योगेश्वर के लिए कुश्ती जीवन का आधार रही। संन्यास के बाद भी वे मेंटर के रूप में भारतीय कुश्ती की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। 

Amar Ujala Samwad: योगेश्वर दत्त की संघर्ष, साहस और सपनों से भरी कहानी; हार, चोट और दर्द से लड़कर रचा इतिहास
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