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Delhi Blast: लाल किला ब्लास्ट में Threema एप का लिंक, जानिए स्विस मैसेजिंग प्लेटफॉर्म भारत में क्यों है बैन?
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Mon, 17 Nov 2025 07:11 AM IST
सार
Threema App Delhi Blast: दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट की जांच अब डिजिटल मोड़ ले चुकी है। सुरक्षाबलों को संदिग्धों की बातचीत स्विस मैसेजिंग ऐप Threema पर मिली है, जिसकी गहरी एन्क्रिप्शन और अनाम पहचान प्रणाली ने पूरा मामला और पेचीदा बना दिया है।
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आतंकि Threema app का कर रहे थे इस्तेमाल
- फोटो : AI
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विस्तार
लाल किले के पास हुई कार ब्लास्ट की जांच में एक हैरान करने वाला डिजिटल एंगल सामने आया है। सुरक्षाबलों ने खुलासा किया है कि इस हमले से जुड़े तीन डॉक्टर- डॉ. उमर उन नबी, डॉ. मुझम्मिल गणाई और डॉ. शाहीन शाहिद, Threema नाम के स्विस मैसेजिंग एप के जरिए लगातार बातचीत करते रहे। यह तीनों आरोपी फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े बताए जा रहे हैं। Threema की बेहद मजबूत एन्क्रिप्शन और यूजर की पहचान छिपाने वाली प्रणाली ने जांच एजेंसियों के लिए उन्हें पकड़ना बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया।
कैसे काम करता है Threema का सीक्रेट नेटवर्क?
जांच में यह पता चला कि आरोपियों ने एप की सिक्योरिटी संरचना का इस्तेमाल कर एक बंद कम्युनिकेशन नेटवर्क तैयार किया था। Threema की खासियत यह है कि इसमें न मोबाइल नंबर की जरूरत होती है, न ईमेल की। इसमें सिर्फ एक रैंडम आईडी से ही पूरा अकाउंट चल जाता है। इसी कारण संदिग्ध लंबे समय तक रडार से बाहर रहे।
यह भी पढ़ें: करोड़ों भारतीय यूजर्स को मुफ्त सब्सक्रिप्शन क्यों बांट रही एआई कंपनियां? समझिए क्या है वजह
सूत्रों का दावा है कि तीनों ने आगे बढ़कर अपना प्राइवेट Threema सर्वर भी बना लिया था। इसी सर्वर के जरिए वे लोकेशन, मैप, फाइलें और ब्लास्ट से जुड़ी प्लानिंग शेयर करते रहे। एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन, मेटाडाटा न स्टोर करने की नीति और दोनों तरफ से चैट डिलीट कर पाने की सुविधा ने फॉरेंसिक टीमों के लिए किसी भी सबूत को ट्रेस करना मुश्किल कर दिया है।
अब जांच टीमें यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि यह निजी सर्वर भारत में था या विदेश में और क्या इस मॉड्यूल से जुड़े और लोग भी मौजूद हैं।
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कैसे काम करता है Threema का सीक्रेट नेटवर्क?
जांच में यह पता चला कि आरोपियों ने एप की सिक्योरिटी संरचना का इस्तेमाल कर एक बंद कम्युनिकेशन नेटवर्क तैयार किया था। Threema की खासियत यह है कि इसमें न मोबाइल नंबर की जरूरत होती है, न ईमेल की। इसमें सिर्फ एक रैंडम आईडी से ही पूरा अकाउंट चल जाता है। इसी कारण संदिग्ध लंबे समय तक रडार से बाहर रहे।
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सूत्रों का दावा है कि तीनों ने आगे बढ़कर अपना प्राइवेट Threema सर्वर भी बना लिया था। इसी सर्वर के जरिए वे लोकेशन, मैप, फाइलें और ब्लास्ट से जुड़ी प्लानिंग शेयर करते रहे। एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन, मेटाडाटा न स्टोर करने की नीति और दोनों तरफ से चैट डिलीट कर पाने की सुविधा ने फॉरेंसिक टीमों के लिए किसी भी सबूत को ट्रेस करना मुश्किल कर दिया है।
अब जांच टीमें यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि यह निजी सर्वर भारत में था या विदेश में और क्या इस मॉड्यूल से जुड़े और लोग भी मौजूद हैं।
ब्लास्ट की जांच कर रही एनआईए की टीम
- फोटो : AI
भारत में क्यों बैन है Threema?
Threema कोई नया नाम नहीं है। सरकार ने मई 2023 में IT Act की धारा 69A के तहत इस एप को प्रतिबंधित कर दिया था। जांच में पाया गया था कि पाकिस्तान-आधारित कई ग्रुप इस तरह के हाई-एन्क्रिप्शन एप्स का इस्तेमाल भारत में प्रोपेगेंडा फैलाने और संपर्क साधने के लिए कर रहे थे। Threema के साथ Zangi, Briar, Nandbox, SafeSwiss, BChat, Element, Second Line, IMO और MediaFire जैसे एप भी बैन किए गए थे, क्योंकि इन प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी लगभग नामुमकिन होती है।
भले ही एप बंद हो, लेकिन एजेंसियों को शक है कि आरोपियों ने VPN का इस्तेमाल कर देश की पाबंदियों को चकमा दिया। विदेश यात्रा, खासकर तुर्की और UAE के दौरान तो वे इसे बिना किसी रोक-टोक के चला सकते थे।
यह भी पढ़ें: बदल जाएगा मोबाइल कम्यूनिकेशन का भविष्य, सरकार उठाने जा रही बड़ा कदम, जानिए पूरी जानकारी
Threema की पेमेंट प्रणाली भी ट्रैकिंग को मुश्किल बनाती है। यूजर एप खरीदने के लिए नकद राशि स्विट्जरलैंड भेज सकते हैं या Bitcoin से भुगतान कर सकते हैं। दोनों ही तरीकों में डिजिटल रिकॉर्ड नहीं बनता।
टेक्नोलॉजी बनी आतंकवादियों का हथियार
लाल किला ब्लास्ट जांच यह साफ दिखाती है कि आतंकवाद अब सिर्फ जमीनी नहीं, बल्कि डिजिटल दुनिया में भी गहराई तक फैल चुका है। एक ऐसा एप, जो प्राइवेसी और सिक्योर चैटिंग के लिए बनाया गया था, गलत हाथों में जाकर बड़े हमलों की प्लानिंग का साधन बन सकता है। फॉरेंसिक टीम जैसे-जैसे डिजिटल सबूतों की परतें खोल रही है, साफ है कि भविष्य में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और भी जटिल होने वाली है।
Threema कोई नया नाम नहीं है। सरकार ने मई 2023 में IT Act की धारा 69A के तहत इस एप को प्रतिबंधित कर दिया था। जांच में पाया गया था कि पाकिस्तान-आधारित कई ग्रुप इस तरह के हाई-एन्क्रिप्शन एप्स का इस्तेमाल भारत में प्रोपेगेंडा फैलाने और संपर्क साधने के लिए कर रहे थे। Threema के साथ Zangi, Briar, Nandbox, SafeSwiss, BChat, Element, Second Line, IMO और MediaFire जैसे एप भी बैन किए गए थे, क्योंकि इन प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी लगभग नामुमकिन होती है।
भले ही एप बंद हो, लेकिन एजेंसियों को शक है कि आरोपियों ने VPN का इस्तेमाल कर देश की पाबंदियों को चकमा दिया। विदेश यात्रा, खासकर तुर्की और UAE के दौरान तो वे इसे बिना किसी रोक-टोक के चला सकते थे।
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Threema की पेमेंट प्रणाली भी ट्रैकिंग को मुश्किल बनाती है। यूजर एप खरीदने के लिए नकद राशि स्विट्जरलैंड भेज सकते हैं या Bitcoin से भुगतान कर सकते हैं। दोनों ही तरीकों में डिजिटल रिकॉर्ड नहीं बनता।
टेक्नोलॉजी बनी आतंकवादियों का हथियार
लाल किला ब्लास्ट जांच यह साफ दिखाती है कि आतंकवाद अब सिर्फ जमीनी नहीं, बल्कि डिजिटल दुनिया में भी गहराई तक फैल चुका है। एक ऐसा एप, जो प्राइवेसी और सिक्योर चैटिंग के लिए बनाया गया था, गलत हाथों में जाकर बड़े हमलों की प्लानिंग का साधन बन सकता है। फॉरेंसिक टीम जैसे-जैसे डिजिटल सबूतों की परतें खोल रही है, साफ है कि भविष्य में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और भी जटिल होने वाली है।