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जख्म गोली का, तो इलाज दांतों के डाक्टर से क्यों
जख्म गोली का, तो इलाज दांतों के डाक्टर से क्यों
Updated Wed, 22 Mar 2017 01:00 AM IST
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जख्म गोली का, तो इलाज दांतों के डाक्टर से क्यों
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो
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जब रामकुमार को गोली लगी थी, तो उसका उपचार दांतों के डाक्टर से क्यों कराया गया, यही वह सवाल था जिसने पुलिस को चौंका दिया। इस पर पड़ताल हुई तो केस खुलने में देर नहीं लगी। दरअसल, रामकुमार पर छह महीने पहले भी सोनू ने ही हमला कराया था। प्लान हत्या का था लेकिन गोली का निशाना चूक जाने से वह बच गया था। उसे सर्जन के पास ले जाने के बजाय सोनू अपने जिगरी दोस्त विकल छाबड़ा के पास ले गया। उसे टांके लगाने नहीं आते थे, फिर भी जैसे तैसे सिर को सिल दिया। इसकी जानकारी होते ही पुलिस ने सोनू से सख्ती के साथ पूछताछ शुरू कर दी।
पुलिस की मदद रामकुमार के पड़ोसियों ने भी की। उन्होंने बताया कि सोनू की आदतें ठीक नहीं हैं। छह महीने पहले जब रामकुमार पर हमला हुआ था, तब उसने केस दर्ज नहीं होने दिया था। पुलिस ने हरीश छाबड़ा से पूछा कि क्या वह गन शॉट इंजरी का उपचार कर सकता है, तो उसने न में जवाब दिया। फिर पूछा कि रामकुमार का उपचार क्यों किया तो सकपका गया। बोला, दोस्ती के नाते कर दिया। सोनू पर शक हो ही गया था, इसी बीच पुलिस को सीसीटीवी फुटेज मिल गए। इसमें सोनू की गाड़ी नजर आ गई।
बस फिर क्या था। कहानी खुलने लगी। मोबाइल की लोकेशन चेक की तो यह भी मौका ए वारदात की आई। काल डिटेल में हत्या से ठीक पहले सोनू की डा. विकल छाबड़ा और कल्लू गुप्ता से बातचीत का पता चला। कल्लू को पकड़कर पूछताछ हुई तो उसने शूटरों के नाम भी बता दिए।
साक्ष्य:1- सीसीटीवी फुटेज में सोनू की वैगन आर कार मौका ए वारदात पर नजर आई।
साक्ष्य: 2- घटना के समय सोनू के मोबाइल की लोकेशन भी घटनास्थल की पाई गई।
साक्ष्य: 3- सोनू के मोबाइल की कॉल डिटेल रिकार्ड में शूटरों से बातचीत का ब्योरा मिला।
साक्ष्य: 4- हत्या में इस्तेमाल किए गए तमंचे पुलिस ने शूटरों से बरामद कर लिए।
तीन वाहनों में सवार थे आरोपी
आगरा। एसएसपी ने बताया कि आरोपी तीन वाहनों में सवार थे। कल्लू गुप्ता और भूरी यादव स्कूटी पर थे। रिंकू उर्फ जितेंद्र उर्फ शहंशाह, सोनू ठाकुर और प्रभात मोटरसाइकिल पर थे। वैगन आर में मुरारी, बंटू और मिथुन असलहों के साथ थे। तीनों वाहन बरामद कर लिए गए हैं।
पांच लाख में किया जान का सौदा
शूटरों को पांच लाख रुपये दिया जाना तय हुआ था। इसमें से एक लाख रुपये बरामद किया गया है। शूटरों से एक -एक तमंचा और कारतूस भी बरामद किए गए हैं। माना जा रहा है कि सुपारी की रकम और ज्यादा हो सकती है। फरार आरोपी पकड़े जाने पर इसका पता चलेगा।
... तो पार्टनरों के हाथों में लग जाती हथकड़ी
चार करोड़ के कर्ज में डूबा था हत्यारोपी हरीश अग्रवाल
आगरा।
सोनू और रामकुमार पहले साथ ही बिजनेस करते थे। सोनू सट्टा और डब्बा कारोबार में पांच करोड़ से ज्यादा हार गया। उसकी कई आदतें भी खराब थीं। इसके चलते रामकुमार ने उसे अलग कर अपने ससुरालीजनों के साथ बिजनेस शुरू कर दिया। इस बीच सोनू चार करोड़ कर्ज में डूब गया। उसने प्लान बनाया कि रामकुमार की हत्या कर उसकी लगभग 20 करोड़ की संपत्ति को हड़प लेगा।
इससे उसका कर्ज भी उतर जाएगा। रामकुमार के बच्चे छोटे हैं, इसलिए उसे संपत्ति पर कब्जा करने में मुश्किल नहीं होती। उसने प्लान डा. विकल और कल्लू को बताया। कल्लू जेल जा चुका था। जेल में उसकी मुलाकात शूटरों से हुई थी। उसने पांच लाख में शूटरों का इंतजाम करा दिया। प्लान इस तरह था कि और दो दिन खुलासा न होने पर वह रामकुमार के बिजनेस पार्टनरों का नाम लेता। उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस पर दबाव बनाता। उनके जेल जाने पर उसका रास्ता पूरी तरह से साफ हो जाता। उसने रामकुमार की पत्नी को भी विश्वास में लेने की कोशिश की थी। उनके दिमाग में लगातार यह बात डाल रहा था कि हत्या के पीछे बिजनेस का विवाद है। लेकिन वह बातों में नहीं आई।
ताकि भाई जीवित न बचने पाए
आगरा। रामकुमार एक बार हमले में बच चुका था। इस बार सोनू ने ऐसा प्लान बनाया कि वह बचने न पाए। बाइक सवार शूटरों के पास तमंचे थे। अगर उनका निशाना चूक जाता तो वैगन आर में भी शूटर असलाह लेकर बैठे थे। प्लान इस तरह था कि उनका निशाना चूकने पर ये गोलियों से भून डालते। रामकुमार के घायल होने पर सोनू उसे लेकर कई छोटे अस्पतालों में चक्कर काटता रहा ताकि बचने की उम्मीद न रहे। उसने पुलिस को सूचना भी नहीं दी थी।

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पुलिस की मदद रामकुमार के पड़ोसियों ने भी की। उन्होंने बताया कि सोनू की आदतें ठीक नहीं हैं। छह महीने पहले जब रामकुमार पर हमला हुआ था, तब उसने केस दर्ज नहीं होने दिया था। पुलिस ने हरीश छाबड़ा से पूछा कि क्या वह गन शॉट इंजरी का उपचार कर सकता है, तो उसने न में जवाब दिया। फिर पूछा कि रामकुमार का उपचार क्यों किया तो सकपका गया। बोला, दोस्ती के नाते कर दिया। सोनू पर शक हो ही गया था, इसी बीच पुलिस को सीसीटीवी फुटेज मिल गए। इसमें सोनू की गाड़ी नजर आ गई।
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बस फिर क्या था। कहानी खुलने लगी। मोबाइल की लोकेशन चेक की तो यह भी मौका ए वारदात की आई। काल डिटेल में हत्या से ठीक पहले सोनू की डा. विकल छाबड़ा और कल्लू गुप्ता से बातचीत का पता चला। कल्लू को पकड़कर पूछताछ हुई तो उसने शूटरों के नाम भी बता दिए।
साक्ष्य:1- सीसीटीवी फुटेज में सोनू की वैगन आर कार मौका ए वारदात पर नजर आई।
साक्ष्य: 2- घटना के समय सोनू के मोबाइल की लोकेशन भी घटनास्थल की पाई गई।
साक्ष्य: 3- सोनू के मोबाइल की कॉल डिटेल रिकार्ड में शूटरों से बातचीत का ब्योरा मिला।
साक्ष्य: 4- हत्या में इस्तेमाल किए गए तमंचे पुलिस ने शूटरों से बरामद कर लिए।
तीन वाहनों में सवार थे आरोपी
आगरा। एसएसपी ने बताया कि आरोपी तीन वाहनों में सवार थे। कल्लू गुप्ता और भूरी यादव स्कूटी पर थे। रिंकू उर्फ जितेंद्र उर्फ शहंशाह, सोनू ठाकुर और प्रभात मोटरसाइकिल पर थे। वैगन आर में मुरारी, बंटू और मिथुन असलहों के साथ थे। तीनों वाहन बरामद कर लिए गए हैं।
पांच लाख में किया जान का सौदा
शूटरों को पांच लाख रुपये दिया जाना तय हुआ था। इसमें से एक लाख रुपये बरामद किया गया है। शूटरों से एक -एक तमंचा और कारतूस भी बरामद किए गए हैं। माना जा रहा है कि सुपारी की रकम और ज्यादा हो सकती है। फरार आरोपी पकड़े जाने पर इसका पता चलेगा।
... तो पार्टनरों के हाथों में लग जाती हथकड़ी
चार करोड़ के कर्ज में डूबा था हत्यारोपी हरीश अग्रवाल
आगरा।
सोनू और रामकुमार पहले साथ ही बिजनेस करते थे। सोनू सट्टा और डब्बा कारोबार में पांच करोड़ से ज्यादा हार गया। उसकी कई आदतें भी खराब थीं। इसके चलते रामकुमार ने उसे अलग कर अपने ससुरालीजनों के साथ बिजनेस शुरू कर दिया। इस बीच सोनू चार करोड़ कर्ज में डूब गया। उसने प्लान बनाया कि रामकुमार की हत्या कर उसकी लगभग 20 करोड़ की संपत्ति को हड़प लेगा।
इससे उसका कर्ज भी उतर जाएगा। रामकुमार के बच्चे छोटे हैं, इसलिए उसे संपत्ति पर कब्जा करने में मुश्किल नहीं होती। उसने प्लान डा. विकल और कल्लू को बताया। कल्लू जेल जा चुका था। जेल में उसकी मुलाकात शूटरों से हुई थी। उसने पांच लाख में शूटरों का इंतजाम करा दिया। प्लान इस तरह था कि और दो दिन खुलासा न होने पर वह रामकुमार के बिजनेस पार्टनरों का नाम लेता। उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस पर दबाव बनाता। उनके जेल जाने पर उसका रास्ता पूरी तरह से साफ हो जाता। उसने रामकुमार की पत्नी को भी विश्वास में लेने की कोशिश की थी। उनके दिमाग में लगातार यह बात डाल रहा था कि हत्या के पीछे बिजनेस का विवाद है। लेकिन वह बातों में नहीं आई।
ताकि भाई जीवित न बचने पाए
आगरा। रामकुमार एक बार हमले में बच चुका था। इस बार सोनू ने ऐसा प्लान बनाया कि वह बचने न पाए। बाइक सवार शूटरों के पास तमंचे थे। अगर उनका निशाना चूक जाता तो वैगन आर में भी शूटर असलाह लेकर बैठे थे। प्लान इस तरह था कि उनका निशाना चूकने पर ये गोलियों से भून डालते। रामकुमार के घायल होने पर सोनू उसे लेकर कई छोटे अस्पतालों में चक्कर काटता रहा ताकि बचने की उम्मीद न रहे। उसने पुलिस को सूचना भी नहीं दी थी।