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Exclusive: आगरा में पांच और फर्जी बैनामे उजागर, तीन के खिलाफ केस दर्ज; ऐसे किया बड़ा खेल

देश दीपक तिवारी, अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Fri, 09 May 2025 10:04 AM IST
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सार

आगरा के निबंधन विभाग के केंद्रीय अभिलेखागार में पांच बैनामे और फर्जी मिले हैं। इनके लेखपत्र और जिल्द रजिस्टर में क्रेता और विक्रेता अलग हैं। इनका स्याहा रजिस्टर व इंडैक्स भी अभिलेखागार से गायब है। इस मामले में उप निबंधक तृतीय की ओर से तीन लोगों के खिलाफ शाहगंंज थाने में केस दर्ज कराया गया है।
 

Five more fake deeds exposed in Agra case registered against three
रजिस्ट्री कार्यालय से बाहर निकती एसआईटी की टीम - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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आगरा में बड़े पैमाने पर जमीनों पर कब्जे का खेल चल रहा है। भूमाफिया ने फर्जी तरीके से बैनामा बनवाने वाले गैंग के साथ मिलकर निबंधन विभाग के केंद्रीय अभिलेखागार में सेंध लगाई। एक दर्जन बैनामे में फर्जीवाड़ा सामने आने पर शासन के निर्देश पर जांच के लिए एसआईटी गठित की गई।
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चार महीने में एसआईटी पांच से अधिक केस दर्ज कर चुकी है। करीब 15 लोगों को जेल भेज चुकी है। फिर भी फर्जी बैनामा कांड का एसआईटी को ओर-छोर नहीं मिल रहा है। जांच से भटकी एसआईटी अभिलेखागार में कितने बैनामे में फर्जीवाड़ा हुआ यह पता नहीं लगा सकी है।
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इधर, पांच बैनामे में फजीवाड़े की शिकायत महानिरीक्षक स्टांप से की गई है। महानिरीक्षक के आदेश पर सहायक महानिरीक्षक एके सिंह ने उप निबंधक तृतीय कार्यालय में जांच कराई। जिनमें पांच बैनामे में और फर्जीवाड़ा सामने आया है। बैनामे का विवरण सहित पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार को उप निबंधक कार्यालय से रिपोर्ट भेजी गई है। दस्तावेजों में कूटरचना के लिए तीन खरीदारों के नाम केस दर्ज करने के लिए कहा गया है। डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी का कहना है कि एसआईटी जल्द जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। जिन मामलों में गड़बड़ियां हैं, उनमें सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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इन बैनामे में मिला फर्जीवाड़ा
- लेखपत्र संख्या 106, तारीख 8 जनवरी 2003 को खंड संख्या 306 में पंजीकृत हुआ। विलेख पत्र में विक्रेता बंसल लाल पुत्र बैनीराम और क्रेता राजकुमार पुत्र बाबूलाल था। जबकि जिल्द बही नंबर 8 और इंडैक्स में क्रेता और विक्रेता की जगह अन्य नाम लिखे हुए हैं। जिल्द में विक्रेता तुलसीराम और क्रेता मुकेश बाज है। स्याहा रजिस्टर फट चुका है।
- लेखपत्र संख्या 110 तारीख 8 जनवरी 2003 का खंड संख्या 306 से रिकॉर्ड गायब है। जिल्द बही नंबर 8 में विक्रेता के रूप में समीमुद्दीन और क्रेता मोहम्मद अंसार का विवरण दर्ज है। बैनामा का स्याहा और इंडैक्स रजिस्टर भी क्षतिग्रस्त है।
- लेखपत्र संख्या 111 तारीख 8 जनवरी 2003 का खंड संख्या 306 में विक्रेता का नाम टीकाराम पुत्र रामदयाल और क्रेता का नाम राम खिलाड़ी पुत्र टीकम सिंह दर्ज है। जिल्द बही 8 में विक्रेता हज्जन मुन्नी बेगम और क्रेता चांदनी का नाम लिखा है। बैनामा का स्याहा व इंडैक्स क्षतिग्रस्त है।
- लेखपत्र संख्या 117 तारीख 10 जनवरी 2003 खंड संख्या 306 में विक्रेता बसंतलाल पुत्र ओम प्रकाश और क्रेता के रूप में अभिषेक अवस्थी पुत्र सत्यप्रकाश अवस्थी दर्ज है। जबकि इनका विवरण जिल्द बही 8 और इंडैक्स में दर्ज नहीं। जिल्द व इंडैक्स में विक्रेता जयसिंह तोमर और क्रेता विनीता कटारा है। स्याहा व इंडैक्स गायब है।
- लेखपत्र संख्या 118 तारीख 10 जनवरी 2003 खंड संख्या 306 में विक्रेता बंसतलाल पुत्र ओम प्रकाश और क्रेता अभिषेक अवस्थी पुत्र सत्य प्रकाश अवस्थी हैं। जिल्द बही और इंडैक्स में विक्रेता राजेंद्र सिंह व क्रेता के रूप में सौदान सिंह का नाम दर्ज है। स्याहा व इंडैक्स गायब हैं।
इनके खिलाफ दर्ज हुआ केस
- उप निबंधक तृतीय कार्यालय ने पुलिस कमिश्नर को भेजी रिपोर्ट में बैनामे में फर्जीवाड़ा के लिए पक्षकारों की भूमिका संदिग्ध मानी है। राजकुमार पुत्र बाबूलाल निवासी बस स्टैंड के पास, बाह और राम खिलाड़ी पुत्र टीकम सिंह निवासी राजपुर शमसाबाद एवं अभिषेक अवस्थी पुत्र सत्य प्रकाश अवस्थी निवासी रायगंज, सीपरी बाजार झांसी को दोषी मानते हुए खिलाफ शाहगंज थाने में केस दर्ज कराया है।

 

ये होते हैं स्याहा व इंडैक्स
बैनामे का रिकाॅर्ड चार जगह सुरक्षित रहता है। विलेख पत्र का विवरण जिल्द बही 8 में दर्ज होता है। विलेख पत्र की नकल स्याहा में की जाती है। जबकि इंडैक्स में विलेख पत्र का विवरण दर्ज होता है। रजिस्ट्री दफ्तर में 200 से अधिक बैनामे में हेराफेरी की गई। भूमाफिया ने विभागीय कर्मियों की सांठगांठ से इसे अंजाम दिया।
 
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