{"_id":"6632f47c69f0d965d30fd9ff","slug":"girl-who-never-went-to-school-was-admitted-to-class-seven-dm-asked-for-answers-2024-05-02","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"आगरा: वाह, बीएसए साहब... जो कभी नहीं गई स्कूल, उसका कक्षा सात में करा दिया प्रवेश, डीएम ने मांगा जवाब","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
आगरा: वाह, बीएसए साहब... जो कभी नहीं गई स्कूल, उसका कक्षा सात में करा दिया प्रवेश, डीएम ने मांगा जवाब
अमर उजाला न्यूज नेवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Thu, 02 May 2024 07:33 AM IST
विज्ञापन
सार
14 वर्षीय दृष्टिबाधित पलक की शिक्षा में उम्र बाधा बन रही है। वे कक्षा चार में पढ़ना चाहती है, लेकिन उसका प्रवेश कक्षा 7 में करा दिया गया है।

पलक
- फोटो : अमर उजाला

Trending Videos
विस्तार
कोई बच्चा एक छलांग में कितनी सीढ़ियां चढ़ सकता है। एक, दो, तीन या चार....। पर, जो बिटिया कभी स्कूल नहीं गई उसका प्रवेश बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सीधे कक्षा सात में करा दिया। वो भी नेत्रहीन स्कूल में। उसकी खता सिर्फ इतनी है कि उसे 14 साल से सिर्फ एक आंख से दिखता है।
रुनकता निवासी धर्मप्रकाश पेशे से मजदूर हैं। चार बच्चे हैं। दो बड़ी लड़कियों की शादी हो चुकी है। एक लड़का प्राइवेट नौकरी करता है। सबसे छोटी बेटी 14 साल की पलक दृष्टिबाधित है। उसे एक आंख से दिखाई नहीं देता। गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय द्वितीय में वह पढ़ना चाहती थी। दो महीने स्कूल गई। कक्षा चार में बैठी।
विज्ञापन
Trending Videos
रुनकता निवासी धर्मप्रकाश पेशे से मजदूर हैं। चार बच्चे हैं। दो बड़ी लड़कियों की शादी हो चुकी है। एक लड़का प्राइवेट नौकरी करता है। सबसे छोटी बेटी 14 साल की पलक दृष्टिबाधित है। उसे एक आंख से दिखाई नहीं देता। गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय द्वितीय में वह पढ़ना चाहती थी। दो महीने स्कूल गई। कक्षा चार में बैठी।
विज्ञापन
विज्ञापन
आरोप है कि प्रधानाध्यापक मंजू देवी ने उसे प्रवेश नहीं दिया। बिटिया ने वीडियो बनाकर डीएम से गुहार लगाई। डीएम भानु चंद्र ने संज्ञान लेकर बीएसए को बिटिया का प्रवेश कराने के निर्देश दिए। बीएसए ने एबीएसए सौरभ आनंद को बिटिया का सूर स्मारक इंटर कॉलेज जहां नेत्रहीन बच्चे पढ़ते हैं कक्षा सात में मंगलवार को प्रवेश करा दिया।
बिना पढ़े ही सीधे कक्षा सात में प्रवेश होने पर बुधवार को पिता धर्मप्रकाश ने आपत्ति जताई। उन्होंने अमर उजाला से कहा कि यह कैसा न्याय है। जो बच्ची कभी स्कूल नहीं गई। उसे सीधे कक्षा सात में जबरन प्रवेश करा दिया। वह कक्षा सात का कोर्स कैसे पढ़ सकती है। कक्षा चार में प्रवेश चाहती है, क्योंकि उसकी मां ने उसे घर पर थोड़ा बहुत पढ़ाया है। उसे सिर्फ अक्षर ज्ञान है।
वहीं, आरोप है कि प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश नहीं मिलने पर वीडियो के माध्यम से अपनी बात डीएम तक पहुंचाने पर प्रधानाध्यापक ने बिटिया को उसके घर जाकर खूब खरी-खोटी सुनाई थी।
वहीं, आरोप है कि प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश नहीं मिलने पर वीडियो के माध्यम से अपनी बात डीएम तक पहुंचाने पर प्रधानाध्यापक ने बिटिया को उसके घर जाकर खूब खरी-खोटी सुनाई थी।
बीएसए की दलील...
बेसिक शिक्षा अधिकारी जितेंद्र गोंड ने बताया कि उम्र के हिसाब से बच्ची पढ़ने में तेज है। 6 से 14 साल के बच्चे का प्रवेश कक्षा आठ में होता है। उसका प्रवेश कक्षा सात में कराया है। पिता को आपत्ति है तो कल दोबारा जांच कराएंगे।
उम्र नहीं बनेगी बाधा
जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी ने बताया कि दिव्यांग बेटी की शिक्षा में उम्र बाधा नहीं बनेगी। जिस कक्षा में प्रवेश चाहती है, उसी में मिलना चाहिए। बीएसए को प्रवेश के निर्देश दिए थे। लापरवाही बरती गई है तो जवाब मांगा जाएगा।
बेसिक शिक्षा अधिकारी जितेंद्र गोंड ने बताया कि उम्र के हिसाब से बच्ची पढ़ने में तेज है। 6 से 14 साल के बच्चे का प्रवेश कक्षा आठ में होता है। उसका प्रवेश कक्षा सात में कराया है। पिता को आपत्ति है तो कल दोबारा जांच कराएंगे।
उम्र नहीं बनेगी बाधा
जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी ने बताया कि दिव्यांग बेटी की शिक्षा में उम्र बाधा नहीं बनेगी। जिस कक्षा में प्रवेश चाहती है, उसी में मिलना चाहिए। बीएसए को प्रवेश के निर्देश दिए थे। लापरवाही बरती गई है तो जवाब मांगा जाएगा।