Hindi Diwas 2025 : हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम चौधरी हिंदी में फैसला देकर रचा कीर्तिमान, संख्या 27 हजार के पार
Hindi Diwas 2025 : न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त होने के बाद अपने करीब छह वर्ष के कार्यकालय में 27 हजार से अधिक फैसलों को हिंदी में देकर एक कीर्तिमान स्थापित किया है। जस्टिस चौधरी की हिंदी में अगाध आस्था है। उन्होंने कई चर्चित मामलों के फैसले भी हिंदी में दिया है।

विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने हिंदी में मुकदमों के निस्तारण का नया कीर्तिमान स्थापित किया है। अपने करीब छह वर्ष के कार्यकाल में अब तक (12 सितंबर 2025) तक उन्होंने कुल 79,502 मामलों का निपटारा किया, जिनमें से 27,846 मामले हिंदी में और 51,656 अंग्रेजी और हिंदी मिश्रित रहे हैं। इस तरह वे हिंदी में सर्वाधिक मामलों का निर्णय करने वाले न्यायाधीश बन गए हैं। न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी 12 दिसंबर 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए हैं।

जस्टिस चौधरी की अदालत में सबसे अधिक संख्या आपराधिक विविध जमानत आवेदनों की रही। कुल 34,597 जमानत याचिकाओं का उन्होंने निपटारा किया, जिनमें 18,049 हिंदी में और 16,548 अंग्रेजी व हिंदी मिश्रित भाषा में थीं। सीपीसी धारा 482 के तहत दाखिल आवेदन 21,532 रहे। इनमें 5,578 हिंदी और 15,954 अंग्रेजी व हिंदी मिश्रित भाषाओं में दर्ज हुए। तीसरे स्थान पर आपराधिक विविध रिट याचिकाएँ रहीं, जिनकी कुल संख्या 5,635 थी। इनमें से 87 हिंदी में और 5,548 अंग्रेजी व हिंदी मिश्रित भाषा में थी।
आपराधिक विविध समीक्षा आवेदन रिट जनहित याचिका और विशेष अपील दो-दो मामले हिंदी में रहे। जबकि ट्रांसफर आवेदन (आपराधिक), आपराधिक रिट जनहित याचिका, आर्बिट्रेशन एंड कंसिलिएशन एक्ट की धारा 37 के तहत अपील, आपराधिक अपील धारा 378 दं.प्र.सं. दोषपूर्ण और एससी/एसटी एक्ट दोषपूर्ण में दोषमुक्ति के खिलाफ अपील जैसी श्रेणियों में मामले हिंदी में निस्तारित किए। इस तरह देखा जाए तो जस्टिस गौतम चौधरी ने न केवल कुल मामलों के निस्तारण में उल्लेखनीय योगदान दिया है, बल्कि हिंदी भाषा में रिकॉर्ड संख्या में मुकदमों का निपटारा कर एक अलग पहचान भी बनाई है।
उच्च न्यायालय में निरंतर बढ़ रहा हिंदी का प्रयोग
जनमानस की ओर से क्षेत्रीय भाषाओं में न्याय देने की मांग लंबे समय से उठाई जा रही है। उस दिशा में सार्थक पहल हो रही है। प्रदेशवासियों को 17 मार्च 1866 से न्याय दिला रहे ऐतिहासिक इलाहाबाद उच्च न्यायालय में हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है। इसमें न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी, न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी व न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
न्यायमूर्ति डॉ. गौतम व न्यायमूर्ति शेखर 12 दिसंबर 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए हैं। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी का हिंदी से अगाध प्रेम है, वह लगातार हिंदी में निर्णय दे रहे हैं। उन्होंने 'पति पर पत्नी-संतानों के भरण-पोषण का वैधानिक व सामाजिक दायित्व, फर्जी बीएड डिग्री वाले अध्यापकों की बर्खास्तगी को सही करार देने सहित सैकड़ों निर्णय हिंदी में दिए हैं।
हिंदी में निर्णय की परंपरा
अंग्रेजी माध्यम से शुरुआत शिक्षा ग्रहण करने वाले न्यायमूर्ति डॉ. गौतम का हिंदी के प्रति गहरा लगाव है। उन्होंने अभी तक लगभग हजारों निर्णय हिंदी देकर इतिहास रचा है। उन्होंने ठोस आधार के बगैर अभियुक्त को हिरासत में लेना मूल अधिकारों का हनन जैसा चर्चित निर्णय हिंदी में दिया है।
1980 से हिंदी में फैसला देने का बड़ा रुझान
इलाहाबाद हाई कोर्ट में 1980 के दशक में न्यायमूर्ति रहे प्रेम शंकर गुप्त ने हिंदी के कामकाज को बढ़ावा दिया था। उन्होंने हिंदी में निर्णय देने की शुरुआत की थी। अपने 15 वर्ष के न्यायाधीश के कार्यकाल में उन्होंने चार हजार से अधिक निर्णय हिंदी में दिए। इनके बाद न्यायमूर्ति शंभूनाथ श्रीवास्तव अपने कार्यकाल में सुबह 10 से 11 बजे तक हर निर्णय हिंदी में देते थे।
छत्तीसगढ़ का लोकायुक्त रहते हुए आठ सौ से अधिक मुकदमे हिंदी में निर्णीत किए। उन्होंने 'क्या भारत में न्यायालयों की भाषा हिंदी व प्रादेशिक भाषा होनी चाहिए' शीर्षक से किताब भी लिखी है। न्यायमूर्ति रामसूरत सिंह, न्यायमूर्ति बनवारी लाल यादव, न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय व न्यायमूर्ति आरबी मेहरोत्रा ने अपने कार्यकाल में सैकड़ों निर्णय हिंदी में दिए हैं।