Prayagraj News : लड़की बनने के लिए अपना निजी अंग काटने वाले छात्र की हुई प्लास्टिक सर्जरी, हालत खतरे से बाहर
Prayagraj News : लड़की बनने के लिए खुद ही अपना प्राइवेट पार्ट काटने वाले किशोर की प्लास्टिक सर्जरी शनिवार को एसआरएन अस्पताल में की गई। डॉ. मोहित जैन ने करीब दो घंटे तक उसका आपरेशन किया। आगे वह लड़का रहना चाहता है या लड़की बनना चाहता है इसके लिए काउंसलिंग की जाएगी। फिलहाल किशोर की हालत खतरे से बाहर है।

विस्तार
लड़की बनने की चाहत में अपना प्राइवेट पार्ट काटने वाले छात्र की शनिवार को प्लास्टिक सर्जरी विभाग में ऑपरेशन किया गया। इस दौरान क्षतिग्रस्त हिस्से को ठीक किया गया। वहीं किशोर अब पूरी तरह से खतरे के बाहर है, लेकिन उसके मन में जेंडर बदलने को लेकर क्या विचार चल रहा है, इसको लेकर मनोरोग विभाग की तरफ काउंसलिंग की जाएगी।

जेंडर बदलने की चाहत में खुद को इतनी बड़ी हानि पहुंचाने के बारे में कोई सपने में भी नहीं सोच सकता है, लेकिन इस किशोर ने सारी हदें पार कर दी हैं। जिसको लेकर अब चिकित्सक भी फूंक-फूंक कर अपना हर एक कदम आगे बढ़ा रहे हैं। शुक्रवार को स्वरूप रानी नेहरू चिकित्सालय के सर्जरी विभाग से यह मामला प्लास्टिक सर्जरी विभाग के लिए रेफर कर दिया गया था। जहां पर विभागाध्यक्ष मोहित जैन ने शनिवार को प्राइवेट पार्ट के चोटिल हिस्से की सर्जरी करके किशोर का सबसे पहले जीवन सुरक्षित किया।
यह ऑपरेशन की दो घंटे तक चला। जिसमें लड़के के जांघ से मांस लेकर घाव को भरने का काम किया गया। इस ऑपरेशन के बाद ब्लीडिंग और घाव वाली जगह पर इन्फेक्शन का खतरा समाप्त हो चुका है, लेकिन अब किशोर को कौन से जेंडर में अपना आगे का जीवन बिताना है, यह उसे ही तय करना है। इसके लिए बकायदा मनोरोग विभाग की तरफ से किशोर की कई चरणों में काउंसलिंग होगी। जिसके बाद ही आगे की प्रक्रिया की जाएगी। किशोर की काउंसलिंग करीब 15 दिनों तक चलेगी।
जेंडर बदलने की प्रक्रिया
वर्तमान में कई युवा हैं जिन्हें जेंडर बदलने का ख्याल मन में रहता है। ऐसे में इस प्रकार का कदम उठाना खुद के लिए और अपनों के लिए खतरनाक है। इसके लिए भी बकायदा प्रावधान है। अगर किसी को जेंडर बदलना है, तो वह पहले मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में आवेदन करे। अनुमति मिलने के बाद आवेदक की कई चरणों में काउंसलिंग होती है। इस दौरान बकायदा मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाता है। जिसमें फिजीशियन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, प्लास्टिक सर्जरी, यूरोलॉजी व न्यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सक मौजूद होते हैं। करीब छह महीने तक बोर्ड अपनी रिपोर्ट तैयार करता है। जिसके बाद जेंडर बदलने पर फैसला होता है। वहीं मरीज को अपनी सारी उम्र हार्मोंस का इंजेक्शन लेना होता है। जो कि परिस्थिति के हिसाब से मरीज को दिया जाता है।
जेंडर बदलने की क्या होती है उम्र
लिंग परिवर्तन के लिए कोई निश्चित सही या गलत उम्र नहीं होती, बल्कि यह व्यक्ति की व्यक्तिगत परिस्थितियों, चिकित्सा सलाह और स्थानीय कानूनों पर निर्भर करता है। भारत में कानूनी तौर पर आप 18 वर्ष की आयु के बाद लिंग परिवर्तन करा सकते हैं, लेकिन किसी भी उम्र में यानी 18 साल की उम्र के बाद जब निश्चित हों, तो यह निर्णय ले सकते हैं। 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों के लिए, माता-पिता की सहमति या कानूनी अनुमति आवश्यक होती है और ऐसे मामलों में चिकित्सा मूल्यांकन के बाद 16 वर्ष की आयु से हार्मोन थेरेपी शुरू की जा सकती है।
प्राइवेट पार्ट में जहां घाव थे, वहां प्लास्टिक सर्जरी करके किशोर के जीवन को सुरक्षित किया गया। इस सर्जरी के बाद रक्तस्राव व इन्फेक्शन का खतरा कम हो गया है। अब आगे किशोर को कौन से जेंडर में आगे का जीवन व्यतीत करना है, इसके लिए काउंसलिंग की जाएगी। जिसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। - डॉ. मोहित जैन, विभागाध्यक्ष, प्लास्टिक सर्जरी विभाग, मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज।
दर्द से तड़पते छात्र ने कहा- मुझे लड़का ही रहना है
लड़की बनने की चाहत में खुद के निजी अंग को काटने के बाद अब दर्द से कराह रहे छात्र का कहना है कि मुझे लड़का ही रहने दो। मुझे लड़की नहीं बनना है। शनिवार को प्लास्टिक सर्जरी के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि अब किशोर आगे का जीवन सामान्य रूप से जी सकेगा।