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High Court : कंप्यूटर शिक्षक भर्ती में गैर बीएड धारकों की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, सरकार से जवाब तलब

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Sat, 13 Sep 2025 07:23 PM IST
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सार

Allahabad High Court News : कंप्यूटर शिक्षक भर्ती में गैर बीएड धारकों को हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) कंप्यूटर पदों की भर्ती में गैर बीएड डिग्रीधारकों की नियुक्ति पर रोेेेक लगा दी है। हालांकि भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी। कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। 

High Court stays the appointment of non B.Ed holders in computer teacher recruitment, seeks response from gove
अदालत। - फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कंप्यूटर शिक्षक भर्ती में गैर बीएड धारकों को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने सहायक अध्यापक (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) कंप्यूटर पदों की भर्ती में गैर बीएड डिग्रीधारकों की नियुक्ति पर रोेेेक लगा दी है। कंप्यूटर शिक्षक भर्ती में बीएड की अनिवार्यता समाप्त करने पर सरकार से दो हफ्ते में जवाब तलब किया है। हालांकि, भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी।

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यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अरुण कुमार की अदालत ने जौनपुर निवासी प्रवीन मिश्रा व अन्य की ओर से वर्ष 2024 में बने छठे संशोधन नियम और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से 2025 में विज्ञापित सहायक अध्यापक भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस पद पर नियुक्ति के लिए बीएड की डिग्री अनिवार्य है, जबकि राज्य सरकार ने इसे केवल वांछनीय योग्यता बताकर भर्ती की राह आसान करने की कोशिश की। कोर्ट ने साफ किया कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की अधिसूचना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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गौरतलब है कि छठे संशोधन नियम व आयोग के विज्ञापन में कहा गया कि कंप्यूटर शिक्षक के पद पर बीएड केवल वरीयता मानी जाएगी, अनिवार्य नहीं, जबकि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की अधिसूचना के मुताबिक कंप्यूटर शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए बीएड अनिवार्य योग्यता है। इसके खिलाफ याचियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
 

अदालत ने सरकार की दलील मानने से किया इन्कार

याचियों के अधिवक्ता ने दलील दी कि एनसीटीई की 12 नवम्बर 2014 की अधिसूचना में बीएड को माध्यमिक स्तर के सभी अध्यापक पदों के लिए न्यूनतम योग्यता घोषित किया गया है। इसलिए राज्य सरकार इसे बदल नहीं सकती। वहीं, राज्य सरकार के अधिवक्ता ने दलील दी कि 2018 की भर्ती में बीएड योग्य अभ्यर्थियों की कमी के कारण बड़ी संख्या में पद रिक्त रह गए थे। छात्रों के हित में संशोधन कर अधिक उम्मीदवारों को अवसर देने की कोशिश की गई।

अदालत ने सरकार की दलीलों को मानने से इन्कार कर दिया। कहा कि एनसीटीई की अधिसूचना बाध्यकारी है और इसमें किसी भी प्रकार की ढील देना कानून के खिलाफ है। योग्यता में छूट देना शिक्षा की गुणवत्ता के साथ समझौता है। लिहाजा, कोर्ट ने गैर बीएड डिग्रीधारकों की नियुक्ति पर रोक लगा दी। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी। मामले की अगली सुनवाई 16 अक्तूबर को होगी।

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