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Prayagraj : ग्रामीणों के लिए प्रशासन ने चलवाईं तीन बड़ी नावें, तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों ने घर छोड़ा

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Sun, 03 Aug 2025 05:51 PM IST
सार

गंगा-यमुना के बढ़ते जल स्तर के कारण झूंसी के कछारी गांवों और तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की मुसीबत दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। इस दफे बाढ़ का नजारा 2013 जैसा दिखाई दे रहा है।

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Prayagraj: Administration operated three big boats for the villagers, people living in coastal areas
झूंसी में बाढ़ के बाद ग्रामीणों के लिए प्रशासन ने चलवाई नाव। - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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गंगा-यमुना के बढ़ते जल स्तर के कारण झूंसी के कछारी गांवों और तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की मुसीबत दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। इस दफे बाढ़ का नजारा 2013 जैसा दिखाई दे रहा है। शनिवार को झूंसी के तटवर्ती इलाकों में बने मठ, मंदिर और आश्रम के भीतर बाढ़ का पानी दाखिल हो गया। इससे साधु-संतों और बटुक छात्रों के लिए भारी संकट खड़ा हो गया है।लगातार बढ़ते जलस्तर और तेज हवा को देखते हुए शनिवार से प्रशासन ने झूंसी के कछारी इलाके में आवागमन के लिए तीन बड़ी नावें भी चलवाई गईं।

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इसके पहले चार छोटी और एक मझली नाव का संचालन किया जा रहा था। बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के पहले बदरा मार्ग पर झूंसी पुलिस ने बैरीकेडिंग भी कर दी है। शनिवार को जलस्तर पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया। रातभर में बदरा-सोनौटी मार्ग पर पानी बढ़कर 15 से 16 फीट हो गया। देखते ही देखते बदरा, सोनौटी, ढोलबजवा, बहादुरपुर, गंजिया, हेतापट्टी, इब्राहिमपुर, खजुरी, मदारपुर, पैगंबरपुर, फैज्जुलापुर, सकरा, इब्राहिमपुर समेत तकरीबन डेढ़ दर्जन से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।
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ग्रामीणों की सैकड़ों बीघे धान की फसल भी चौपट हो गई है। नई तथा पुरानी झूंसी के तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग घर छोड़कर जा चुके हैं। यहां के मठ, आश्रम और मंदिर भी बाढ़ में डूब गए हैं। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया है। शाम सात बजे तक नाव चलाने के निर्देश दिए गए हैं। उधर, बाढ़ के दौरान ही गंगा के कछार में बालू में गाड़े गए शव भी उतराने लगे हैं। एक शव शनिवार को उतराने लगा। बदरा-सोनौटी गांव के पास शव के उतराता हुआ देख ग्रामीण सहम गए।

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झूंसी में बाढ़ के चलते ग्रामीणों के नाव चलाई जा रही हैं। - फोटो : अमर उजाला।

800 मकानों में तीन दिन से बिजली आपूर्ति ठप

बाढ़ के कारण किसी अनहोनी से बचने के लिए कछार के तकरीबन 800 घरों की बिजली आपूर्ति भी तीन पहले ठप कर दी गई थी। इससे ग्रामीणों की मुसीबत और बढ़ गई है। बिजली गुल होने से रातभर प्रभावित गांवों में अंधेरा पसरा रह रहा है। साथ ही अन्य कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं।

2013 के बाढ़ जैसा नजारा

12 साल पहले 2013 में आई बाढ़ का नजारा लोगों के जेहन में ताजा होने लगा है। ग्रामीणों का कहना है कि 2013 में आई बाढ़ की शुरुआत भी कुछ ऐसे ही हुई थी। गांव के बुजुर्ग लाखन यादव, रामा पहलवान, सूरज, रामप्रताप यादव का कहना है कि 2013 की बाढ़ ने सबकुछ तबाह कर दिया था। सैकड़ों ग्रामीण घर से बेघर हो गए थे।

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झूंसी के छतनाग गंगा घाट पर नाव से अंतिम संस्कार के लिए शव ले जाते ग्रामीण। - फोटो : अमर उजाला।

अंत्येष्टि स्थल तक पहुंचा बाढ़ का पानी, सिर्फ एक नाव से पहुंच रहे लोग

बाढ़ का पानी झूंसी के कछारी गांवों के साथ ही तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। जलस्तर बढ़ने से लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। वह ऊपरी मंजिल पर शिफ्ट हो गए हैं। लगातार बढ़ रहे जलस्तर के कारण झूंसी का छतनाग श्मशान घाट भी पूरी तरह से बाढ़ में डूब गया है। जिस वजह से शवों के अंतिम संस्कार में लोगों को परेशानी हो रही।

नाव से शव लेकर लोग अंतिम संस्कार करने पहुंच रहे हैं। शुक्रवार को एक नाव पर शव के साथ ही करीब एक दर्जन ग्रामीण सवार हो गए। वहीं, आसपास मौजूद लोग नाव पर सवार लोगों को देखकर दंग रह गए। उन्होंने कहा कि लापरवाही के चलते किसी दिन भी हादसा हो सकता है। वहीं, प्रशासन इससे पूरी तरह अंजान बना हुआ है।

फूलपुर के बिरकाजी गांव निवासी 70 वर्षीय जीतलाल सोनी का देहांत शुक्रवार की सुबह हो गया था। दोपहर में तकरीबन ढाई बजे गांव के दो दर्जन जीतलाल का शव लेकर अंतिम संस्कार करने के लिए पहुंचे थे। जलस्तर बढ़ने से शवों का अंतिम संस्कार घाट की टीले पर किया जा रहा है। जिसके बाद लोग छोटी नाव पर शव रखकर रवाना हो गए। वहीं, नाव गंगा की लहर और बहाव में डगमगा रही थी।

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