शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने की पहल : धर्म निर्णयालय घोषित करेगा व्रत और त्योहारों की तिथि, दूर होंगे विवाद
ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने त्योहार और व्रत की तिथियों का विवाद दूर करने के लिए धर्म निर्णयालय का गठन किया है। परम धर्म संसद में शंकराचार्य ने रविवार को सनातन व्रत-पर्व निर्णय समिति का गठन किया।
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ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने त्योहार और व्रत की तिथियों का विवाद दूर करने के लिए धर्म निर्णयालय का गठन किया है। परम धर्म संसद में शंकराचार्य ने रविवार को सनातन व्रत-पर्व निर्णय समिति का गठन किया।
शंकराचार्य ने कहा कि कोई-कोई कालखंड ऐसे होते हैं, जो बहुत ही लाभदायक होते हैं। इसलिए हमारे पूर्वजों-ऋषियों ने शुभ कार्यों को करने के लिए उन्हीं विशिष्ट काल खंडों की खोज मुहूर्त के रूप में की है। दैव और पितृकर्म में उचित काल का विचार करके ही अनुष्ठान किया जाता है। हमारे पंचांग इस बारे में मार्गदर्शन करते हैं। हिंदू समाज में अनेक संप्रदाय और गणना के भेद हैं, जिनके कारण कभी-कभी एक ही पर्व दो या तीन दिन पंचांग में लिखे जाते हैं।
ऐसे में स्वयं के संप्रदाय के ज्ञान की अनभिज्ञता और संप्रदाय में गणना विधि की स्वीकार्यता की जानकारी न होने के कारण सामान्य जन जब भ्रम में पड़ जाते हैं, तब उनका मार्गदर्शन आवश्यक हो जाता है।
परम धर्म संसद 1008 में धर्मादेश पारित करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि इसके लिए हिंदू व्रत-पर्व निर्णय समिति का गठन किया जाता है। यह पूरे देश के विषय-विशेषज्ञों से मिलकर, सबसे चर्चा कर, सबके अभिमत लेकर शास्त्रीय निर्णय हिंदू जनता के सामने देगी। विषय स्थापना अनुसूया प्रसाद उनियाल ने की। चर्चा में जिज्ञेश पंड्या, सुनील शुक्ला, राघवेंद्र पाठक ने विचार व्यक्त किए।
धर्माधीश के रूप में देवेंद्र पांडेय ने संसद का संचालन किया। सदन में मौनी अमावस्या पर हुए हादसों में मरने वालों के लिए तीन बार शांति मंत्र का उद्घोष कर श्रद्धांजलि समर्पित की गई। ब्रह्मचारी कैवल्यानंद के लिए भी सदन ने शांति मंत्र पढ़कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।