{"_id":"6946e3ac249709070d096612","slug":"devotees-listened-to-the-story-of-the-twenty-four-incarnations-of-god-ambedkar-nagar-news-c-91-1-ame1023-147404-2025-12-20","type":"story","status":"publish","title_hn":"Ambedkar Nagar News: श्रद्धालुओं ने सुनी भगवान के चौबीस अवतारों की कथा","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Ambedkar Nagar News: श्रद्धालुओं ने सुनी भगवान के चौबीस अवतारों की कथा
संवाद न्यूज एजेंसी, अम्बेडकरनगर
Updated Sat, 20 Dec 2025 11:28 PM IST
विज्ञापन
विज्ञापन
अंबेडकरनगर। अकबरपुर के मानिकपुर स्थित काली माता चौरा पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन चल रहा है। कथा के तीसरे दिन शनिवार को प्रवाचक जगजीवनानंद ने भगवान के 24 अवतारों की कथा सुनाई।
उन्होंने शुकदेव जन्म, परीक्षित श्राप और अमर कथा का वर्णन करते हुए बताया कि नारद जी के कहने पर पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि उनके गले में जो मुंडमाला है वह किसकी है। भोलेनाथ ने बताया वह मुंड किसी और के नहीं बल्कि स्वयं पार्वती के हैं। हर जन्म में पार्वती विभिन्न रूपों में शिव की पत्नी के रूप में जब भी देह त्याग करतीं तो शंकर उनके मुंड को अपने गले में धारण कर लेते। पार्वती ने हंसते हुए कहा हर जन्म में क्या मैं ही मरती रही, आप क्यों नहीं। शंकर जी ने कहा हमने अमर कथा सुन रखी है। प्रवाचक ने बताया कि भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कथा में बताया कि मनुष्यों का क्या कर्तव्य है, इसका बोध भागवत सुनकर ही होता है। विडंबना ये है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं। निष्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते हैं। इस दौरान राजीव उपाध्याय, सुनील आदि मौजूद रहे।
Trending Videos
उन्होंने शुकदेव जन्म, परीक्षित श्राप और अमर कथा का वर्णन करते हुए बताया कि नारद जी के कहने पर पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि उनके गले में जो मुंडमाला है वह किसकी है। भोलेनाथ ने बताया वह मुंड किसी और के नहीं बल्कि स्वयं पार्वती के हैं। हर जन्म में पार्वती विभिन्न रूपों में शिव की पत्नी के रूप में जब भी देह त्याग करतीं तो शंकर उनके मुंड को अपने गले में धारण कर लेते। पार्वती ने हंसते हुए कहा हर जन्म में क्या मैं ही मरती रही, आप क्यों नहीं। शंकर जी ने कहा हमने अमर कथा सुन रखी है। प्रवाचक ने बताया कि भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कथा में बताया कि मनुष्यों का क्या कर्तव्य है, इसका बोध भागवत सुनकर ही होता है। विडंबना ये है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं। निष्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते हैं। इस दौरान राजीव उपाध्याय, सुनील आदि मौजूद रहे।
विज्ञापन
विज्ञापन
