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Amethi News: कर्बला सिर्फ युद्ध नहीं बल्कि आदर्शों की परीक्षा थी
संवाद न्यूज एजेंसी, अमेठी
Updated Mon, 07 Jul 2025 12:10 AM IST
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कमरौली के एक मदरसे में शहीदे इस्लाम कांफ्रेंस में यौमे आशूरा की दुआ मांगते लोग। स्रोत- संवाद
कमरौली/जगदीशपुर(अमेठी)। रायबरेली रोड स्थित मदरसा दारुल उलूम गरीब नवाज में चल रही बारह दिवसीय शहीद-ए-इस्लाम कांफ्रेंस की नौवीं रात कर्बला के इतिहास और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कुर्बानी को समर्पित रही। इस अवसर पर सुबह-ए-मदीना से शाम-ए-कर्बला को मार्मिक रूप में प्रस्तुत किया गया।
वक्ताओं ने बताया कि किस प्रकार इमाम हुसैन ने यजीद की बैअत से इन्कार मदीना छोड़ा, मक्का पहुंचे और फिर सत्य की राह पर चलते हुए कर्बला के मैदान में शहीद हो गए। उन्होंने कहा कि यह सफर मात्र भौगोलिक नहीं, बल्कि उसूलों और इंसाफ के लिए दी गई कुर्बानी है। मौलाना आलम कादरी ने कहा कि कर्बला सिर्फ युद्ध नहीं बल्कि आदर्शों की परीक्षा थी। इमाम हुसैन ने ज़ुल्म के सामने सिर झुकाने के बजाय शहादत को चुना। कार्यक्रम के समापन पर मौलाना आलम कादरी ने यौमे आशूरा की विशेष दुआ कराई और मुल्क में अमन, इंसाफ और भाईचारे की कामना की।
जगदीशपुर के मलावा गांव में शनिवार रात आयोजित 12 रोजा शहीदे आजम कांफ्रेंस के नौवें दिन मौलाना मेहंदी हसन ने कर्बला की जंग की कहानी पर रोशनी डालते हुए बताया कि पैगंबर के नवासे के सामने बेटे का प्यास से सूखा गला चीर दिया था। सच के लिए हुसैन ने शहादत दी थी।
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वक्ताओं ने बताया कि किस प्रकार इमाम हुसैन ने यजीद की बैअत से इन्कार मदीना छोड़ा, मक्का पहुंचे और फिर सत्य की राह पर चलते हुए कर्बला के मैदान में शहीद हो गए। उन्होंने कहा कि यह सफर मात्र भौगोलिक नहीं, बल्कि उसूलों और इंसाफ के लिए दी गई कुर्बानी है। मौलाना आलम कादरी ने कहा कि कर्बला सिर्फ युद्ध नहीं बल्कि आदर्शों की परीक्षा थी। इमाम हुसैन ने ज़ुल्म के सामने सिर झुकाने के बजाय शहादत को चुना। कार्यक्रम के समापन पर मौलाना आलम कादरी ने यौमे आशूरा की विशेष दुआ कराई और मुल्क में अमन, इंसाफ और भाईचारे की कामना की।
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जगदीशपुर के मलावा गांव में शनिवार रात आयोजित 12 रोजा शहीदे आजम कांफ्रेंस के नौवें दिन मौलाना मेहंदी हसन ने कर्बला की जंग की कहानी पर रोशनी डालते हुए बताया कि पैगंबर के नवासे के सामने बेटे का प्यास से सूखा गला चीर दिया था। सच के लिए हुसैन ने शहादत दी थी।