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Auraiya News: आढ़तों में चल रहा नकद का खेल, क्रय केंद्रों पर एमएसपी हो रही फेल
संवाद न्यूज एजेंसी, औरैया
Updated Wed, 29 Oct 2025 11:06 PM IST
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फोटो-15- मंडी में खाद्यान्न उतरवाते किसान। संवाद
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औरैया। खाद्यान्न बिक्री को लेकर इस बार भी किसानों का रुख आढ़ताें की तरफ ही दिखाई दे रहा है। सरकार की ओर से एमएसपी न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ाेतरी के बाद भी किसान सरकारी खरीद केंद्र बहुत कम संख्या में पहुंच रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण सरकारी खरीद केंद्रों में बिक्री को लेकर बनाए गए मानक हैं। किसान इसे उलझन मान रहे हैं और नकद दाम मिलने को तवज्जो दे रहे हैं। आढ़त पर सरकारी केंद्रों से कम रकम मिलने के बाद भी किसान वहीं अपनी उपज बेच रहे हैं।
किसानों को लाभ देने के लिए मक्का व बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया है। मक्का का भाव 2,225 रुपये से बढ़ाकर 2400 रुपये प्रति क्विंटल जबकि बाजरा का समर्थन मूल्य 1625 रुपये से बढ़ाकर 2,775 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। सरकारी खरीद के लिए खाद्य एवं विपणन विभाग के दो क्रय केंद्र एक अक्तूबर से संचालित हैं।
प्रत्येक केंद्र को 700 मीट्रिक टन मक्का, 11,400 मीट्रिक टन बाजरा व 18,000 मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य दिया गया है। दोनों सरकारी क्रय केंद्रों में अभी तक मक्का की खरीद का खाता भी नहीं खुला है जबकि आढ़तों से लगभग 15 हजार क्विंटल मक्का बिक भी चुका है। इसके अलावा आढ़तों से लगभग 13 हजार क्विंटल बाजरा व 90 हजार क्विंटल धान की खरीद की जा चुकी है।
आंकड़े बताने के लिए काफी हैं कि किसान सरकारी मानकों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते। किसानों का कहना है कि सरकारी क्रय केंद्रों पर खाद्यान्न की नमी, गुणवत्ता आदि जैसे तमाम मानक पूरे करने में काफी समस्या आती है। इसके अलावा पैसा आने में काफी समय लग जाता है, जबकि उन्हें पैसों की जरूरत तुरंत होती है। ऐसे में आढ़त ही उनके लिए ठीक है।
किसी के पास खतौनी नहीं तो कोई कर्जदार
ऐसा नहीं कि सभी किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर जाना नहीं चाहते, ज्यादातर किसानों के पास आढ़त जाने के अलावा दूसरा विकल्प भी नहीं होता। ऐसा इसलिए, क्योंकि अधिकांश किसान बटाई पर खेती करते हैं। ऐसे में वह खसरा-खतौनी प्रस्तुत नहीं कर सकते और यह सरकारी क्रय केंद्रों के लिए अनिवार्य है। इसके अलावा ज्यादातर किसान केसीसी पर कर्ज लिए हुए हैं। सरकारी क्रय केंद्रों से उन्हीं खातों में पैसा आता और बैंक वह धनराशि काट लेते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए किसान कम दाम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर होते हैं। इतना होता है नुकसान सरकारी क्रय केंद्रों पर मक्का की एमएसपी 2400 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि आढ़त पर यह 2000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। इसी प्रकार क्रय केंद्रों पर बाजरा 2,775 रुपये प्रति क्विंटल तो आढ़त पर 2250 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। धान के दाम में ज्यादा फर्क नहीं है। क्रय केंद्र पर इसका मूल्य 2,369 रुपये प्रति क्विंटल है तो आढ़त पर 2300 रुपये प्रति क्विंटल।
बॉक्स :::
गीला होने से 30 हजार क्विंटल खाद्यान्न लौटा
सोमवार व मंगलवार को हुई बारिश के कारण गल्ला मंडी में आया लगभग 30 हजार क्विंटल खाद्यान्न गीला हो गया। इस कारण उसे वापस कर दिया गया है। किसान अब इसे सुखाकर दोबारा मंडी लेकर आएंगे। किसानों ने बताया कि गीला होने से खाद्यान्न खराब नहीं होता।
किसानों की बात
फोटो-17, मंडी आए दीपू यादव।
पैसा कब आएगा, पता नहीं रहता
ग्राम नगला जैसे राम निवासी दीपू यादव ने बताया कि सरकारी क्रय केंद्रों में झमेला बहुत है। पैसा कब मिलेगा, पता नहीं होता इसलिए आढ़त पर धान बेच दिया। पैसा तुरंत मिल गया, वह यही चाहते थे।
फोटो-18,फसल बेचकर आए मनोज।
- केंद्र पर कागजों का है झंझट
फफूंद के ग्राम सल्लापुर निवासी मनोज का कहना है कि उन्हें सरकारी क्रय केंद्राें के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। सुना है कि कई कागज देने पड़ते हैं। इसलिए आढ़त पर आए हैं। यहां तत्काल भुगतान की भी सुविधा है।
वर्जन
बुधवार को फिर से तेजी आई है
फोटो-19, मंडी सचिव हरविलास।
मंडी में मक्का, बाजरा व धान की बिक्री चल रही है। बारिश के कारण दो दिन बिक्री में कुछ कमी आई थी, पर बुधवार से फिर तेजी आ गई है। लक्ष्य पूरा करने का प्रयास जारी है।
- हरविलास, मंडी सचिव
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फोटो-20,बिधूना की आढत पर धान की छनाई व पैकिंग करते श्रमिक।संवाद
फोटो-21, सरकारी क्रय केंद्र पर पसरा सन्नाटा। संवाद
- मंडी में दो केंद्रों में सिर्फ एक पर ही हुई 11 क्विंटल बाजरे की खरीद
-पोर्टल पर सत्यापन में लेटलतीफी से किसान ले रहे आढ़तों का सहारा
संवाद न्यूज एजेंसी
बिधूना। सरकार की ओर से बाजरे का समर्थन मूल्य बढ़ाने के बावजूद ज्यादातर किसान अपनी फसल आढ़तों पर बेच रहे हैं। मंडी में खुले दो क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। इनमें एक केंद्र पर ही अब तक मात्र 11 क्विंटल बाजरे की खरीद हो सकी है जबकि दूसरे केंद्र पर खाता तक नहीं खुला है।
सरकार ने बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,775 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है। किसानों का बाजरा खरीदने के लिए 29 दिन पहले बिधूना मंडी समिति में खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा दो क्रय केंद्र खोले गए थे। इसके लिए एग्रीस्टैक पोर्टल पर किसान को पंजीकरण व सत्यापन कराना पड़ता है। पोर्टल धीमी गति से चलने से सत्यापन में दिक्कत आती है। इससे अक्सर किसानों को फसल बेचने के लिए इंतजार करना पड़ता है। इससे परेशान किसान सीधे आढ़तों पर फसल बेचना ज्यादा मुफीद समझते हैं। यही कारण है कि किसान सरकारी प्रक्रिया को धीमी और जटिल बताते हुए निजी व्यापारियों की ओर रुख कर रहे हैं।
प्रथम बाजरा क्रय केंद्र के प्रभारी राज नारायण ने बताया कि अब तक मात्र 11 क्विंटल बाजरे की खरीद हुई है। जो भी मानक के अनुरूप फसल लेकर आ रहा है, उसकी खरीद की जा रही है। दो दिन से मौसम खराब होने से किसान नहीं आ रहे हैं। वहीं, दूसरे क्रय केंद्र पर अब तक एक भी दाना की खरीद नहीं हो पाई है। केंद्र प्रभारी बलिराम ने बताया कि किसान केंद्र पर बाजरा बेचने नही आए हैं। बताया कि किसानों को सत्यापन में परेशानी आ रही है। एग्रीस्टैक पोर्टल पर फसल दिखाई नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि समस्या जल्द दूर हो जाएगी।
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सरकारी प्रक्रिया लंबी, आढ़ती से तुरंत मिलता भुगतान
फोटो-22, रघुवीरसिंह
सराय पुख्ता निवासी किसान रघुवीर सिंह जादौन ने कहा कि उन्होंने क्रय केंद्र पर 25 क्विंटल बाजरा बेचना चाहा लेकिन केंद्र पर रजिस्ट्रेशन और सत्यापन की दिक्कत से आढ़तियों को ही बेच दिया और तुरंत भुगतान मिल गया।
फोटो-23, धर्म सिंह
सत्यापन कराने में है झंझट
इंदपामऊ के किसान धर्म सिंह कहते हैं कि उन्होंने 8 क्विंटल बाजरा मंडी में बेचा है। लेखपाल को ढूंढना और सत्यापन कराना बड़ा झंझट भरा काम है। पैसे की जरूरत तुरंत रहती है। इसलिए वह लोग आढ़तियों को ही फसल बेच देते हैं।
फोटो-24, रतन सिंह
-सरकारी केंद्र की नहीं थी जानकारी
पसुआ के किसान रतन सिंह कहते हैं कि जानकारी के अभाव में उन्होंने अपना लगभग 20 क्विंटल बाजरा निजी आढ़त पर बेच दिया। उन्हें यह तक नहीं पता था कि सरकारी केंद्र पर बाजरे की खरीद भी शुरू हो चुकी है।
किसानों को लाभ देने के लिए मक्का व बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया है। मक्का का भाव 2,225 रुपये से बढ़ाकर 2400 रुपये प्रति क्विंटल जबकि बाजरा का समर्थन मूल्य 1625 रुपये से बढ़ाकर 2,775 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। सरकारी खरीद के लिए खाद्य एवं विपणन विभाग के दो क्रय केंद्र एक अक्तूबर से संचालित हैं।
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प्रत्येक केंद्र को 700 मीट्रिक टन मक्का, 11,400 मीट्रिक टन बाजरा व 18,000 मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य दिया गया है। दोनों सरकारी क्रय केंद्रों में अभी तक मक्का की खरीद का खाता भी नहीं खुला है जबकि आढ़तों से लगभग 15 हजार क्विंटल मक्का बिक भी चुका है। इसके अलावा आढ़तों से लगभग 13 हजार क्विंटल बाजरा व 90 हजार क्विंटल धान की खरीद की जा चुकी है।
आंकड़े बताने के लिए काफी हैं कि किसान सरकारी मानकों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते। किसानों का कहना है कि सरकारी क्रय केंद्रों पर खाद्यान्न की नमी, गुणवत्ता आदि जैसे तमाम मानक पूरे करने में काफी समस्या आती है। इसके अलावा पैसा आने में काफी समय लग जाता है, जबकि उन्हें पैसों की जरूरत तुरंत होती है। ऐसे में आढ़त ही उनके लिए ठीक है।
किसी के पास खतौनी नहीं तो कोई कर्जदार
ऐसा नहीं कि सभी किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर जाना नहीं चाहते, ज्यादातर किसानों के पास आढ़त जाने के अलावा दूसरा विकल्प भी नहीं होता। ऐसा इसलिए, क्योंकि अधिकांश किसान बटाई पर खेती करते हैं। ऐसे में वह खसरा-खतौनी प्रस्तुत नहीं कर सकते और यह सरकारी क्रय केंद्रों के लिए अनिवार्य है। इसके अलावा ज्यादातर किसान केसीसी पर कर्ज लिए हुए हैं। सरकारी क्रय केंद्रों से उन्हीं खातों में पैसा आता और बैंक वह धनराशि काट लेते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए किसान कम दाम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर होते हैं। इतना होता है नुकसान सरकारी क्रय केंद्रों पर मक्का की एमएसपी 2400 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि आढ़त पर यह 2000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। इसी प्रकार क्रय केंद्रों पर बाजरा 2,775 रुपये प्रति क्विंटल तो आढ़त पर 2250 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। धान के दाम में ज्यादा फर्क नहीं है। क्रय केंद्र पर इसका मूल्य 2,369 रुपये प्रति क्विंटल है तो आढ़त पर 2300 रुपये प्रति क्विंटल।
बॉक्स :::
गीला होने से 30 हजार क्विंटल खाद्यान्न लौटा
सोमवार व मंगलवार को हुई बारिश के कारण गल्ला मंडी में आया लगभग 30 हजार क्विंटल खाद्यान्न गीला हो गया। इस कारण उसे वापस कर दिया गया है। किसान अब इसे सुखाकर दोबारा मंडी लेकर आएंगे। किसानों ने बताया कि गीला होने से खाद्यान्न खराब नहीं होता।
किसानों की बात
फोटो-17, मंडी आए दीपू यादव।
पैसा कब आएगा, पता नहीं रहता
ग्राम नगला जैसे राम निवासी दीपू यादव ने बताया कि सरकारी क्रय केंद्रों में झमेला बहुत है। पैसा कब मिलेगा, पता नहीं होता इसलिए आढ़त पर धान बेच दिया। पैसा तुरंत मिल गया, वह यही चाहते थे।
फोटो-18,फसल बेचकर आए मनोज।
- केंद्र पर कागजों का है झंझट
फफूंद के ग्राम सल्लापुर निवासी मनोज का कहना है कि उन्हें सरकारी क्रय केंद्राें के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। सुना है कि कई कागज देने पड़ते हैं। इसलिए आढ़त पर आए हैं। यहां तत्काल भुगतान की भी सुविधा है।
वर्जन
बुधवार को फिर से तेजी आई है
फोटो-19, मंडी सचिव हरविलास।
मंडी में मक्का, बाजरा व धान की बिक्री चल रही है। बारिश के कारण दो दिन बिक्री में कुछ कमी आई थी, पर बुधवार से फिर तेजी आ गई है। लक्ष्य पूरा करने का प्रयास जारी है।
- हरविलास, मंडी सचिव
फोटो-20,बिधूना की आढत पर धान की छनाई व पैकिंग करते श्रमिक।संवाद
फोटो-21, सरकारी क्रय केंद्र पर पसरा सन्नाटा। संवाद
- मंडी में दो केंद्रों में सिर्फ एक पर ही हुई 11 क्विंटल बाजरे की खरीद
-पोर्टल पर सत्यापन में लेटलतीफी से किसान ले रहे आढ़तों का सहारा
संवाद न्यूज एजेंसी
बिधूना। सरकार की ओर से बाजरे का समर्थन मूल्य बढ़ाने के बावजूद ज्यादातर किसान अपनी फसल आढ़तों पर बेच रहे हैं। मंडी में खुले दो क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। इनमें एक केंद्र पर ही अब तक मात्र 11 क्विंटल बाजरे की खरीद हो सकी है जबकि दूसरे केंद्र पर खाता तक नहीं खुला है।
सरकार ने बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,775 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है। किसानों का बाजरा खरीदने के लिए 29 दिन पहले बिधूना मंडी समिति में खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा दो क्रय केंद्र खोले गए थे। इसके लिए एग्रीस्टैक पोर्टल पर किसान को पंजीकरण व सत्यापन कराना पड़ता है। पोर्टल धीमी गति से चलने से सत्यापन में दिक्कत आती है। इससे अक्सर किसानों को फसल बेचने के लिए इंतजार करना पड़ता है। इससे परेशान किसान सीधे आढ़तों पर फसल बेचना ज्यादा मुफीद समझते हैं। यही कारण है कि किसान सरकारी प्रक्रिया को धीमी और जटिल बताते हुए निजी व्यापारियों की ओर रुख कर रहे हैं।
प्रथम बाजरा क्रय केंद्र के प्रभारी राज नारायण ने बताया कि अब तक मात्र 11 क्विंटल बाजरे की खरीद हुई है। जो भी मानक के अनुरूप फसल लेकर आ रहा है, उसकी खरीद की जा रही है। दो दिन से मौसम खराब होने से किसान नहीं आ रहे हैं। वहीं, दूसरे क्रय केंद्र पर अब तक एक भी दाना की खरीद नहीं हो पाई है। केंद्र प्रभारी बलिराम ने बताया कि किसान केंद्र पर बाजरा बेचने नही आए हैं। बताया कि किसानों को सत्यापन में परेशानी आ रही है। एग्रीस्टैक पोर्टल पर फसल दिखाई नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि समस्या जल्द दूर हो जाएगी।
सरकारी प्रक्रिया लंबी, आढ़ती से तुरंत मिलता भुगतान
फोटो-22, रघुवीरसिंह
सराय पुख्ता निवासी किसान रघुवीर सिंह जादौन ने कहा कि उन्होंने क्रय केंद्र पर 25 क्विंटल बाजरा बेचना चाहा लेकिन केंद्र पर रजिस्ट्रेशन और सत्यापन की दिक्कत से आढ़तियों को ही बेच दिया और तुरंत भुगतान मिल गया।
फोटो-23, धर्म सिंह
सत्यापन कराने में है झंझट
इंदपामऊ के किसान धर्म सिंह कहते हैं कि उन्होंने 8 क्विंटल बाजरा मंडी में बेचा है। लेखपाल को ढूंढना और सत्यापन कराना बड़ा झंझट भरा काम है। पैसे की जरूरत तुरंत रहती है। इसलिए वह लोग आढ़तियों को ही फसल बेच देते हैं।
फोटो-24, रतन सिंह
-सरकारी केंद्र की नहीं थी जानकारी
पसुआ के किसान रतन सिंह कहते हैं कि जानकारी के अभाव में उन्होंने अपना लगभग 20 क्विंटल बाजरा निजी आढ़त पर बेच दिया। उन्हें यह तक नहीं पता था कि सरकारी केंद्र पर बाजरे की खरीद भी शुरू हो चुकी है।

फोटो-15- मंडी में खाद्यान्न उतरवाते किसान। संवाद

फोटो-15- मंडी में खाद्यान्न उतरवाते किसान। संवाद

फोटो-15- मंडी में खाद्यान्न उतरवाते किसान। संवाद

फोटो-15- मंडी में खाद्यान्न उतरवाते किसान। संवाद

फोटो-15- मंडी में खाद्यान्न उतरवाते किसान। संवाद

फोटो-15- मंडी में खाद्यान्न उतरवाते किसान। संवाद

फोटो-15- मंडी में खाद्यान्न उतरवाते किसान। संवाद

फोटो-15- मंडी में खाद्यान्न उतरवाते किसान। संवाद

फोटो-15- मंडी में खाद्यान्न उतरवाते किसान। संवाद