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Auraiya News: जिला अस्पताल में हड्डी टूटे तो एक्सरे मिलेगा न डाॅक्टर
संवाद न्यूज एजेंसी, औरैया
Updated Tue, 28 Oct 2025 10:54 PM IST
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औरैया। सड़क हादसे में या फिर मारपीट की किसी घटना में हाथ-पैर की हड्डी टूट जाए तो जिला अस्पताल में इसका कोई इलाज तो दूर मददगार भी नहीं है। हाल यह है कि अस्पताल में स्थापित एक्सरे मशीन का फोकस लैंस दो साल से टूटी हड्डियों पर नहीं पड़ा है। कारण यह है कि न तो हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक हैं, न ही एक्सरे की जांच करने वाले रेडियोलॉजिस्ट। ऐसे में दर्द लेकर आने मरीजों को या तो 12 किमी दूर स्थित मेडिकल काॅलेज भेजा जाता है या फिर कोई दलाल उन्हें दर्द से छुटकारा दिलाने का भरोसा देकर नजदीक के किसी नर्सिंगहोम में भर्ती करा देता है।
संयुक्त जिला अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ का टोटा हमेशा से रहा है। वर्ष 2016 में पहली बार यहां डॉ प्रमोद कुमार कटियार हड्डी रोग विशेषज्ञ के रूप में आए। चार साल बाद उनका स्थानांतरण हो गया। इसके बाद डॉ राजेश मोहन गुप्ता आए, पर वह भी कुछ महीनों में चले गए। उसके बाद से अभी तक अस्पताल में किसी भी हड्डी रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं हो पाई है। समस्या बस यहीं तक सीमित नहीं है। एक्सरे की जांच के लिए यहां रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं है।
अस्पताल में एक चेस्ट फिजिशियन हैं, जो टीबी या फेफड़ों में संक्रमण देखने के लिए एक्सरे कराते हैं। यह जांच लैब टेक्नीशियन से कराई जाती है। हड्डी रोग विशेषज्ञ व चिकित्सक न होने के कारण पिछले दो साल से एक्स-रे मशीन का फोकस लैंस टूटी हड्डियों पर नहीं पड़ा है। इधर, अस्पताल के जिस कक्ष संख्या-पांच में हड्डी रोग कक्ष बना था, उस पर चूने से पुताई करा दी गई है। यहां अब दूसरे विभाग के चिकित्सक बैठते हैं।
- घट गई एक्सरे जांच की संख्या
हड्डी रोग विशेषज्ञ की जब अस्पताल में तैनाती थी, उस वक्त प्रतिदिन 30-40 एक्सरे होते थे, जो अब घटकर 8-10 ही रह गए हैं। अस्पताल आने वाले मरीजों को जब पता चलता है कि यहां न डॉक्टर हैं न एक्सरे की सुविधा तो मजबूरी में उन्हें मेडिकल कॉलेज जाना पड़ता है।
प्राइवेट अस्पताल संचालकों को मिलता है लाभ
संयुक्त जिला अस्पताल में हड्डी रोग के मरीज न देखे जाने व एक्सरे जांच न होने का सीधा लाभ प्राइवेट अस्पताल संचालकों को मिलता है। कुछ मरीज तो मेडिकल कॉलेज का रुख करते हैं, पर कुछ इसके दूर होने के चलते यहीं प्राइवेट अस्पताल चले जाते हैं।
मरीजों की बात
फोटो-28एयूआरपी 03- इमरजेंसी में मौजूद अखिलेश कुमार। संवाद
भटक रहे एक्सरे मिला न डॉक्टर
जिला अस्पताल में मौजूद खगीपुर निवासी अखिलेश कुमार ने बताया कि वह बाइक से गिरकर घायल हो गए हैं। उनके दोनों पैरों में गंभीर चोट आई। उनको डर है कि कहीं फ्रैक्चर न हो इसलिए अस्पताल आए। काफी देर से भटक रहे हैं एक्सरे मिल पाया न डॉक्टर, कोई कुछ बताने को भी तैयार नहीं है।
फोटो-28एयूआरपी04- इमरजेंसी में मौजूद दीक्षा। संवाद
पट्टी बांधकर चलता कर दिया
खगीपुर फफूंद निवासी दीक्षा के साथ आए परिजनों ने बताया कि वह सड़क हादसे में घायल हो गई है। अस्पताल में उनके पैरों पर पट्टी तो बांध दी गई लेकिन आगे के उपचार का विकल्प अस्पताल प्रशासन के पास नहीं था। अब तो मेडिकल कॉलेज ही जाना पड़ेगा।
लगातार किया जा रहा पत्राचार
हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक की नियुक्ति के संदर्भ में शासन से लगातार पत्राचार किया जा रहा है। अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। जल्द ही इसके लिए दोबारा पत्र लिखा जाएगा। यही स्थिति रेडियोलाॅजिस्ट की भी है। ऊपर तक जानकारी दी गई है, कब नियुक्ति होती है, पता नहीं।
- डॉ अनिल कुमार गुप्ता, सीएमएस
संयुक्त जिला अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ का टोटा हमेशा से रहा है। वर्ष 2016 में पहली बार यहां डॉ प्रमोद कुमार कटियार हड्डी रोग विशेषज्ञ के रूप में आए। चार साल बाद उनका स्थानांतरण हो गया। इसके बाद डॉ राजेश मोहन गुप्ता आए, पर वह भी कुछ महीनों में चले गए। उसके बाद से अभी तक अस्पताल में किसी भी हड्डी रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं हो पाई है। समस्या बस यहीं तक सीमित नहीं है। एक्सरे की जांच के लिए यहां रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं है।
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अस्पताल में एक चेस्ट फिजिशियन हैं, जो टीबी या फेफड़ों में संक्रमण देखने के लिए एक्सरे कराते हैं। यह जांच लैब टेक्नीशियन से कराई जाती है। हड्डी रोग विशेषज्ञ व चिकित्सक न होने के कारण पिछले दो साल से एक्स-रे मशीन का फोकस लैंस टूटी हड्डियों पर नहीं पड़ा है। इधर, अस्पताल के जिस कक्ष संख्या-पांच में हड्डी रोग कक्ष बना था, उस पर चूने से पुताई करा दी गई है। यहां अब दूसरे विभाग के चिकित्सक बैठते हैं।
- घट गई एक्सरे जांच की संख्या
हड्डी रोग विशेषज्ञ की जब अस्पताल में तैनाती थी, उस वक्त प्रतिदिन 30-40 एक्सरे होते थे, जो अब घटकर 8-10 ही रह गए हैं। अस्पताल आने वाले मरीजों को जब पता चलता है कि यहां न डॉक्टर हैं न एक्सरे की सुविधा तो मजबूरी में उन्हें मेडिकल कॉलेज जाना पड़ता है।
प्राइवेट अस्पताल संचालकों को मिलता है लाभ
संयुक्त जिला अस्पताल में हड्डी रोग के मरीज न देखे जाने व एक्सरे जांच न होने का सीधा लाभ प्राइवेट अस्पताल संचालकों को मिलता है। कुछ मरीज तो मेडिकल कॉलेज का रुख करते हैं, पर कुछ इसके दूर होने के चलते यहीं प्राइवेट अस्पताल चले जाते हैं।
मरीजों की बात
फोटो-28एयूआरपी 03- इमरजेंसी में मौजूद अखिलेश कुमार। संवाद
भटक रहे एक्सरे मिला न डॉक्टर
जिला अस्पताल में मौजूद खगीपुर निवासी अखिलेश कुमार ने बताया कि वह बाइक से गिरकर घायल हो गए हैं। उनके दोनों पैरों में गंभीर चोट आई। उनको डर है कि कहीं फ्रैक्चर न हो इसलिए अस्पताल आए। काफी देर से भटक रहे हैं एक्सरे मिल पाया न डॉक्टर, कोई कुछ बताने को भी तैयार नहीं है।
फोटो-28एयूआरपी04- इमरजेंसी में मौजूद दीक्षा। संवाद
पट्टी बांधकर चलता कर दिया
खगीपुर फफूंद निवासी दीक्षा के साथ आए परिजनों ने बताया कि वह सड़क हादसे में घायल हो गई है। अस्पताल में उनके पैरों पर पट्टी तो बांध दी गई लेकिन आगे के उपचार का विकल्प अस्पताल प्रशासन के पास नहीं था। अब तो मेडिकल कॉलेज ही जाना पड़ेगा।
लगातार किया जा रहा पत्राचार
हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक की नियुक्ति के संदर्भ में शासन से लगातार पत्राचार किया जा रहा है। अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। जल्द ही इसके लिए दोबारा पत्र लिखा जाएगा। यही स्थिति रेडियोलाॅजिस्ट की भी है। ऊपर तक जानकारी दी गई है, कब नियुक्ति होती है, पता नहीं।
- डॉ अनिल कुमार गुप्ता, सीएमएस