Baghpat: इंस्पेक्टर, दरोगा और पांच सिपाहियों पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश, युवक की अवैध हिरासत का मामला
बागपत के बड़ौत में अवैध हिरासत और फर्जी मुकदमा दर्ज करने के आरोपों पर सीजेएम ने इंस्पेक्टर अजय शर्मा, एसआई मुकेश और पांच सिपाहियों पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। सरोज की याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने 16 सितंबर को आदेश पारित किया।

विस्तार
बागपत जनपद के बड़ौत कस्बे में अवैध हिरासत और फर्जी मुकदमा दर्ज करने का गंभीर मामला सामने आया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रत्नम श्रीवास्तव ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए तत्कालीन थाना प्रभारी अजय शर्मा, एसआई मुकेश, हेड कांस्टेबल वरुण वीर सिंह और कांस्टेबल हरीश कुमार, अंशुल कुमार, अजीत सिंह, रोहित भाटी व देवेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

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यह आदेश सरोज नामक महिला की ओर से जनवरी 2021 में दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने उनके बेटे मोहित को बिना वजह हिरासत में लिया और फर्जी मुकदमे में जेल भेज दिया। सरोज ने बताया कि उनका गांव की सुनीता नामक महिला से विवाद चल रहा था, जिसकी पुलिस से जान-पहचान थी। उसी के दबाव में उनके बेटों को फंसाने की कोशिश की गई।
शिकायत के अनुसार, 12 जनवरी 2021 को कांस्टेबल मोहित और रंजन उनके घर आए और बेटे के बारे में पूछताछ की। दो दिन बाद 14 जनवरी को पुलिस ने खेत से लौटते समय उनके बेटे अमित को पकड़ लिया। जब वे थाने पहुंचीं तो न सिर्फ बेटे को छोड़ा नहीं गया बल्कि अभद्रता भी की गई। उन्हें धमकी दी गई कि यदि थाने से नहीं गईं तो बेटे का एनकाउंटर कर दिया जाएगा।
महिला का आरोप है कि उनके बेटे को 19 जनवरी तक अवैध हिरासत में रखा गया और बाद में चोरी का फर्जी मुकदमा दर्ज कर चालान कर दिया गया। इस दौरान घर में लगे सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट दिखा कि पुलिस उनके घर में न तो आई और न ही गई, ऐसे में बरामदगी की कहानी झूठी साबित होती है।
सीजेएम ने सभी साक्ष्यों और तर्कों को सुनने के बाद 16 सितंबर को आदेश दिया कि आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ बड़ौत कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया जाए। यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है और अब कानूनी कार्रवाई का इंतजार है।