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जैवलिन की नई उम्मीद सचिन यादव: चोटों और मुश्किलों के बावजूद बागपत का बेटा बना भाला फेंक का सितारा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बागपत Published by: डिंपल सिरोही Updated Fri, 19 Sep 2025 02:37 PM IST
सार

बागपत के खेकड़ा निवासी जेवलिन थ्रोअर सचिन यादव की कहानी संघर्ष और जज्बे की मिसाल है। चोटों और तकनीकी चुनौतियों से जूझने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 84.39 मीटर थ्रो कर नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक जीता।

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Javelin Star Sachin Yadav: Overcoming Injuries and Challenges to Create History
सचिन यादव - फोटो : PTI

बागपत जिले के खेकड़ा गांव के 25 वर्षीय भाला फेंक खिलाड़ी सचिन यादव ने अपनी पहली ही विश्व चैंपियनशिप में ऐसा कारनामा कर दिखाया, जिसकी उम्मीद शायद किसी ने नहीं की थी। करीब 100 किलो वजन और छह फुट पांच इंच लंबे सचिन ने न सिर्फ अपने आदर्श नीरज चोपड़ा को पछाड़ा बल्कि पेरिस ओलंपिक चैंपियन अरशद नदीम और डाइमंड लीग विजेता जूलियन वेबर को भी पीछे छोड़ दिया।

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खेकड़ा कस्बे के मोहल्ला अहिरान निवासी सचिन यादव आज जेवलिन थ्रो की दुनिया में नई पहचान बना रहे हैं। उनकी इस सफलता के पीछे वर्षों का संघर्ष और धैर्य छिपा हुआ है।

उन्होंने भाला फेंकने की शुरुआत बड़े सपनों के साथ की थी, लेकिन राह बिल्कुल आसान नहीं थी। शुरुआत में उनके थ्रो तकनीकी रूप से कमजोर थे, कभी सीधा नहीं जाता और अक्सर एक ओर गिर जाता। इस कमी को दूर करने के लिए उन्होंने लगातार घंटों तक अभ्यास किया।

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Javelin Star Sachin Yadav: Overcoming Injuries and Challenges to Create History
सचिन यादव - फोटो : PTI

सचिन के सामने दूसरी बड़ी चुनौती उनके लंबे कद और भारी शरीर के साथ तालमेल बैठाना था। भाले को सही दिशा में नियंत्रित करना उनके लिए आसान नहीं था। इसके लिए उन्हें फिटनेस पर अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ी।

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सचिन यादव - फोटो : PTI

शुरुआती दौर में कई बार निराशा हाथ लगी, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय खुद को और मजबूत बनाया। उनके करियर में एक मोड़ तब आया जब नौकरी मिलने के बाद उन्होंने दो महीने तक प्रशिक्षण ही छोड़ दिया।

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Javelin Star Sachin Yadav: Overcoming Injuries and Challenges to Create History
सचिन यादव - फोटो : PTI

उस समय पड़ोसी संदीप यादव ने उन्हें फिर से प्रेरित किया और मैदान में लौटाया। सचिन मानते हैं कि अगर उस समय उन्होंने दोबारा अभ्यास शुरू न किया होता तो शायद आज यह मुकाम हासिल नहीं कर पाते।

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सचिन यादव - फोटो : PTI

चोटें भी उनकी राह में बार-बार रोड़ा बनकर आईं। देहरादून में हुए नेशनल गेम्स के दौरान भी वे चोटिल हो गए थे। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पूरे जज्बे के साथ खेलते हुए 84.39 मीटर का रिकॉर्ड थ्रो किया। इस प्रदर्शन ने उन्हें न केवल स्वर्ण पदक दिलाया बल्कि बागपत का नाम भी रोशन कर दिया। सचिन आज हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।

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