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Bahraich News: पिंजरे में कैद हुआ 10 दिन से दहशत का पर्याय बना तेंदुआ

Lucknow Bureau लखनऊ ब्यूरो
Updated Wed, 03 Dec 2025 12:20 AM IST
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A caged leopard has been a source of terror for 10 days.
कारीपुरवा में वन विभाग द्वारा लगाए गए पिंजड़े में कैद तेंदुआ। - फोटो : कारीपुरवा में वन विभाग द्वारा लगाए गए पिंजड़े में कैद तेंदुआ।
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बौंडी। महसी ओर कैसरगंज तहसील क्षेत्र के गांवों में बीते 10 दिनों से दहशत का कारण बना तेंदुआ आखिरकार मंगलवार भोर में कारीपुरवा बाग में लगे पिंजरे में कैद हो गया। इससे क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली है। तेंदुए ने उमरी दहलो गांव की शांति देवी (55) पर पांच दिन पूर्व हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया था। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद से यह लगातार अलग-अलग गांवों में देखा जा रहा था। इससे ग्रामीणों में दहशत थी। बच्चों और महिलाओं का अकेले बाहर निकलना मुश्किल हो गया था। गांव के लोग खेतों में जाने से डर रहे थे। इससे गन्ना की कटाई और गेहूं की बोआई का कार्य प्रभावित हो रहा था।
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रविवार को तेंदुए की मौजूदगी तेजवापुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत मरौचा के गुलाबसिंहपुरवा गांव में ग्राम प्रधान अजय सिंह के घर के पास मिली थी। इस पर वन विभाग ने सक्रियता दिखाते हुए सोमवार सुबह गुलाबसिंहपुरवा और कटहा ग्राम पंचायत के कारीपुरवा बाग में पिंजरे लगाए थे। मंगलवार सुबह तेंदुआ कारीपुरवा स्थित पिंजरे में कैद हो गया। तेंदुए के पकड़े जाने से वन विभाग के अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली। अधिकारियों ने बताया कि यह वही तेंदुआ है जिसने उमरी दहलो गांव में बुजुर्ग महिला पर हमला किया था और तब से लगातार गांव बदलकर चकमा दे रहा था।
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इन ग्राम पंचायतों में थी दहशत
तेंदुए के कारण तेजवापुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत उमरी दहलो, बिराहिम डीहा, कटहा, केशवापुर, कारीपुरवा, मरौचा, विजौवापुर, चंदनापुर सिकड़िहा, सिंगाही समेत आधा दर्जन से अधिक गांवों के लोगों में दहशत थी। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कई दिनों से खेत में काम करना और सुबह-शाम घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था।
तीन-चार साल का है नर तेंदुआ
डीएफओ राम सिंह यादव ने बताया कि पकड़ा गया तेंदुआ नर है, जिसकी उम्र करीब तीन से चार वर्ष के बीच है। उसे मेडिकल परीक्षण के लिए जिला मुख्यालय लाया गया है। तीन डाक्टरों की टीम तेंदुए का परीक्षण करेगी। इसके बाद उच्चाधिकारियों के निर्देश पर उसे जिले से बाहर किसी सुरक्षित जंगल में छोड़ा जाएगा, ताकि भविष्य में किसी प्रकार की मानव–वन्यजीव संघर्ष की स्थिति उत्पन्न न हो।
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