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Ballia News: 15 दिन में देनी थी रिपोर्ट, 90 दिन बाद भी जांच शुरू नहीं हुई

Varanasi Bureau वाराणसी ब्यूरो
Updated Fri, 09 May 2025 12:56 AM IST
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The report was to be submitted in 15 days, but the investigation did not start even after 90 days
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बलिया। सिकंदरपुर तहसील क्षेत्र के पूर गांव में 44 वर्षों से चकबंदी प्रक्रिया चल रही है। लेकिन अभिलेखों में फर्जीवाड़ा कर गलत प्रविष्टियां दर्ज करने के आरोप में विरोध हाता रहा है। चार महीने पहले जांच के लिए बनी चार सदस्यीय टीम 90 दिन बाद भी जांच पूरी नहीं कर सकी है। जबकि बंदोबस्त अधिकारी ने जांच टीम से एक पखवाड़े के अंदर रिपोर्ट तलब की थी।
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चकबंदी अभिलेखों में हुई कथित धांधली की जांच पूरी नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश है। वहीं, विभागीय अधिकारी कर्मचारियों की कमी का हवाला देकर जांच नहीं होने की बात कह रहे हैं।
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पूर ग्राम पंचायत में करीब 44 वर्षों से चकबंदी प्रक्रियाधीन है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस दौरान चकबंदी प्राधिकारियों द्वारा गांव के अभिलेखों में फर्जीवाड़ा कर गलत प्रविष्टियां दर्ज कर दी गई है। इसकी जांच की मांग को लेकर पूर गांव निवासी व भगवान विश्वकर्मा जी न्यास पीठ, अयोध्या के प्रधान न्यासी राम अवध शर्मा ने 12 नवंबर 2024 को शासन के चकबंदी आयुक्त को शिकायती पत्र देकर गांव में चल रही चकबंदी प्रक्रिया में हुई धांधली की जांच की मांग की थी।
चकबंदी आयुक्त के 28 नवंबर 2024 के पत्र के आधार पर 25 जनवरी 2025 को बंदोबस्त अधिकारी शेखर सिंह ने चकबंदी अधिकारी चितबड़ागांव मधुकांत झा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम का गठन कर मामले की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी और सात फरवरी 2025 तक जांच रिपोर्ट तलब की थी,लेकिन टीम ने अब तक जांच ही शुरु नहीं की है।
बता दें कि पूर्व में चकबंदी आयुक्त को सौंपे शिकायती पत्र में रामअवध शर्मा ने उल्लेख किया था कि पूर गांव में चकबंदी प्रक्रिया लगभग 44 वर्ष से चल रही है।
ग्राम की जनसंख्या लगभग 40000 है। जिसकी बसावट 38 टोलों और पुरवों में है। चकबंदी की प्रक्रिया के दौरान कृषकों की पांच प्रतिशत भूमि की कटौती की गई है। साथ ही गांव के सभी टोलों एवं पुरवों में जन सुविधा हेतु समुचित भूमि आरक्षित नहीं की गई है,जिससे चकबंदी विभाग की कार्य प्रणाली भी संदेहास्पद लग रही है।
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