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Balrampur News: 17 तटबंधों में 98 किमी का गैप होने से बढ़ी परेशानी
संवाद न्यूज एजेंसी, बलरामपुर
Updated Tue, 08 Jul 2025 12:21 AM IST
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बलरामपुर के भड़रिया तटबंध पर गैप से मचती है तबाही। -संवाद
बलरामपुर। राप्ती नदी व 17 पहाड़ी नालों की बाढ़ से सुरक्षा दिलाने वाले जिले के 17 तटबंधों में 98 किमी से अधिक का गैप है। इससे हर वर्ष 85 गांवों में बाढ़ की तबाही मचती है। तीन लाख से अधिक की आबादी को परेशानी होती है। बाढ़ से लोगों को सुरक्षा दिलाने के लिए जिला प्रशासन ने शासन को गैप भरने का प्रस्ताव भेजा है। बजट का इंतजार किया जा रहा है। तटबंधों का गैप भर जाने से बाढ़ से सुरक्षा मिलेगी।
शहर को राप्ती नदी की बाढ़ से बचाने वाले 21 किमी लंबे एमएलटीडी (मेवालाल तालाब दिपवा) तटबंध में तीन किमी का गैप पहले से है। इसी तरह पहले से ही बलरामपुर-भड़रिया तटबंध में भी करीब 9.5 किमी का गैप है। भोजपुर-शाहपुर तटबंध में भी पहले से ही करीब 3.5 किमी का गैप है।
भगवानपुर तटबंध में करीब तीन किमी, करमहना तटबंध में पांच किमी, करमहना रिटायर्ड तटबंध में छह किमी, करमहना-भोजपुर तटबंध में 4.3 किमी, बेलहा-चरनगहिया तटबंध में 6.5 किमी, रामनगर तटबंध में डेढ़ किमी, खरझार नाले के तटबंध में 1.5 किमी, चौहत्तर खुर्द तटबंध में ढाई किमी का गैप है।
बिलोहा-बनकसिया तटबंध में 3.2 किमी, पिपरिहा-जमुनी तटबंध में चार किमी, इमिलिया-खादर तटबंध में छह किमी व फरुहवा तटबंध में 4.5 किमी का गैप बताया जा रहा है। इन 17 तटबंधों में करीब 98 किमी का गैप होने से राप्ती नदी की बाढ़ से तीना तहसीलों के 85 से अधिक गांवों में तबाही मचती है।
तटबंधों में गैप का प्रमुख कारण जमीन का विवाद सामने आ रहा है। वहीं निर्माण के समय पूरा बजट न मिलना भी प्रमुख कारण माना जा रहा है।
बाढ़ के समय ही बेघर हो जाते हैं लोग
सदर, उतरौला व तुलसीपुर तहसील के 85 से अधिक गांव राप्ती नदी व पहाड़ी नालों की बाढ़ से प्रभावित होते हैं। ग्रामीण विंदेश्वरी प्रसाद, मनोहर लाल, बलदेव व सुजीत का कहना है कि बाढ़ के समय प्रभावित गांवों में पानी भर जाता है। घरों में पानी भर जाने से लोगों को बेघर होना पड़ता है। बाढ़ के समय प्रभावित गांवों के लोगों को खानाबदोश की जिंदगी बितानी पड़ती है।
भेजा गया है प्रस्ताव
सभी तटबंधों में गैप भरने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। बजट मिलने का इंतजार किया जा रहा है। बजट मिलने पर सभी तटबंधों के गैप भरवा दिए जाएंगे।
-भरत राम, अधिशासी अभियंता, बाढ़ खंड
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शहर को राप्ती नदी की बाढ़ से बचाने वाले 21 किमी लंबे एमएलटीडी (मेवालाल तालाब दिपवा) तटबंध में तीन किमी का गैप पहले से है। इसी तरह पहले से ही बलरामपुर-भड़रिया तटबंध में भी करीब 9.5 किमी का गैप है। भोजपुर-शाहपुर तटबंध में भी पहले से ही करीब 3.5 किमी का गैप है।
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भगवानपुर तटबंध में करीब तीन किमी, करमहना तटबंध में पांच किमी, करमहना रिटायर्ड तटबंध में छह किमी, करमहना-भोजपुर तटबंध में 4.3 किमी, बेलहा-चरनगहिया तटबंध में 6.5 किमी, रामनगर तटबंध में डेढ़ किमी, खरझार नाले के तटबंध में 1.5 किमी, चौहत्तर खुर्द तटबंध में ढाई किमी का गैप है।
बिलोहा-बनकसिया तटबंध में 3.2 किमी, पिपरिहा-जमुनी तटबंध में चार किमी, इमिलिया-खादर तटबंध में छह किमी व फरुहवा तटबंध में 4.5 किमी का गैप बताया जा रहा है। इन 17 तटबंधों में करीब 98 किमी का गैप होने से राप्ती नदी की बाढ़ से तीना तहसीलों के 85 से अधिक गांवों में तबाही मचती है।
तटबंधों में गैप का प्रमुख कारण जमीन का विवाद सामने आ रहा है। वहीं निर्माण के समय पूरा बजट न मिलना भी प्रमुख कारण माना जा रहा है।
बाढ़ के समय ही बेघर हो जाते हैं लोग
सदर, उतरौला व तुलसीपुर तहसील के 85 से अधिक गांव राप्ती नदी व पहाड़ी नालों की बाढ़ से प्रभावित होते हैं। ग्रामीण विंदेश्वरी प्रसाद, मनोहर लाल, बलदेव व सुजीत का कहना है कि बाढ़ के समय प्रभावित गांवों में पानी भर जाता है। घरों में पानी भर जाने से लोगों को बेघर होना पड़ता है। बाढ़ के समय प्रभावित गांवों के लोगों को खानाबदोश की जिंदगी बितानी पड़ती है।
भेजा गया है प्रस्ताव
सभी तटबंधों में गैप भरने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। बजट मिलने का इंतजार किया जा रहा है। बजट मिलने पर सभी तटबंधों के गैप भरवा दिए जाएंगे।
-भरत राम, अधिशासी अभियंता, बाढ़ खंड