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7 करोड़ के फर्नीचर घोटाले में जांच समिति गठित
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31 मार्च को प्रकाशित खबर की पीडीएफ।
- फोटो : BANDA
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बांदा। जनपद के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में आपूर्ति किए गए 7 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत के घटिया फर्नीचर घोटाले में जांच के लिए डीएम ने सीडीओ की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम गठित कर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है। उधर, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने आपूर्तिकर्ता फर्म को 15 दिन के अंदर घटिया फर्नीचर न बदलने पर काली सूची में डालने और एफआईआर दर्ज कराने की चेतावनी दी है।
जनपद के 494 उच्च प्राथमिक स्कूलों में 14,957 डेस्क बेंच/फर्नीचर की आपूर्ति की गई है। इसके लिए शासन ने 7 करोड़ 11 लाख 95 हजार 530 रुपये जारी किए हैं। प्रत्येक डेस्क की कीमत 4760 रुपये की दर से भुगतान किया जा रहा है। फर्नीचर की आपूर्ति सीतापुर की एक फर्म को सौंपी गई है।
फर्म ने जो फर्नीचर स्कूलों को आपूर्ति किया है वह इतना घटिया है कि उठाने-धरने में ही टूट रहा है। 30 मार्च (बुधवार) को प्राथमिक शिक्षक संघ की जिला यूनिट ने जिलाध्यक्ष आशुतोष त्रिपाठी के नेतृत्व में बीएसए व अन्य अधिकारियों को शिकायती पत्र देकर घटिया फर्नीचर आपूर्ति की गैर विभागीय अधिकारियों से जांच कराने की मांग की थी।
डीएम अनुराग पटेल ने घटिया फर्नीचर संबंधी अमर उजाला में छपी खबर का हवाला देकर जारी आदेश में इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए सीडीओ की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की है। समिति के सदस्यों में डिप्टी कलेक्टर लाल सिंह सहित जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, आईटीआई अनुदेशक (काष्ठ) नरेंद्र प्रजापति को शामिल किया गया है। समिति को निर्देश दिया है कि एक सप्ताह के अंदर जांच करके अपनी विस्तृत संयुक्त जांच रिपोर्ट उन्हें पेश करें।
उधर, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रामपाल सिंह ने फर्नीचर आपूर्ति करने वाली सीतापुर की फर्म को जारी आदेश में कहा है कि 15 अप्रैल तक सभी क्षतिग्रस्त/खराब फर्नीचर बदलना सुनिश्चित करें। वरना उच्चाधिकारियों को सूचित करके फर्म को काली सूची में डालकर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
बीएसए ने फर्म को इस बात के लिए भी लताड़ा है कि फर्नीचर बदलने के बारे में पहले भी आदेश दिए गए थे लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। बीएसए ने सभी खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अपने क्षेत्र के स्कूलों में क्षतिग्रस्त या खराब डेस्क बेंच की सूची दो दिन में उपलब्ध कराएं।

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जनपद के 494 उच्च प्राथमिक स्कूलों में 14,957 डेस्क बेंच/फर्नीचर की आपूर्ति की गई है। इसके लिए शासन ने 7 करोड़ 11 लाख 95 हजार 530 रुपये जारी किए हैं। प्रत्येक डेस्क की कीमत 4760 रुपये की दर से भुगतान किया जा रहा है। फर्नीचर की आपूर्ति सीतापुर की एक फर्म को सौंपी गई है।
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फर्म ने जो फर्नीचर स्कूलों को आपूर्ति किया है वह इतना घटिया है कि उठाने-धरने में ही टूट रहा है। 30 मार्च (बुधवार) को प्राथमिक शिक्षक संघ की जिला यूनिट ने जिलाध्यक्ष आशुतोष त्रिपाठी के नेतृत्व में बीएसए व अन्य अधिकारियों को शिकायती पत्र देकर घटिया फर्नीचर आपूर्ति की गैर विभागीय अधिकारियों से जांच कराने की मांग की थी।
डीएम अनुराग पटेल ने घटिया फर्नीचर संबंधी अमर उजाला में छपी खबर का हवाला देकर जारी आदेश में इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए सीडीओ की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की है। समिति के सदस्यों में डिप्टी कलेक्टर लाल सिंह सहित जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, आईटीआई अनुदेशक (काष्ठ) नरेंद्र प्रजापति को शामिल किया गया है। समिति को निर्देश दिया है कि एक सप्ताह के अंदर जांच करके अपनी विस्तृत संयुक्त जांच रिपोर्ट उन्हें पेश करें।
उधर, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रामपाल सिंह ने फर्नीचर आपूर्ति करने वाली सीतापुर की फर्म को जारी आदेश में कहा है कि 15 अप्रैल तक सभी क्षतिग्रस्त/खराब फर्नीचर बदलना सुनिश्चित करें। वरना उच्चाधिकारियों को सूचित करके फर्म को काली सूची में डालकर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
बीएसए ने फर्म को इस बात के लिए भी लताड़ा है कि फर्नीचर बदलने के बारे में पहले भी आदेश दिए गए थे लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। बीएसए ने सभी खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अपने क्षेत्र के स्कूलों में क्षतिग्रस्त या खराब डेस्क बेंच की सूची दो दिन में उपलब्ध कराएं।