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Barabanki News: भुसैले में रखा आजादी के दीवाने का शिलापट्ट
संवाद न्यूज एजेंसी, बाराबंकी
Updated Fri, 26 Jan 2024 03:16 AM IST
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बाराबंकी। गणतंत्र दिवस के मौके पर यह खबर देते हुए हमें अफसोस तो हो रहा है, मगर जिम्मेदारों को इसका अहसास दिलाना भी जरूरी है। महात्मा गांधी के आंदोलन को धार देने वाले जिले के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय विशंभर दयाल अवस्थी को बिसरा दिया गया। यातना सहते हुए जेल में ही शहीद हो जाने वाले इस सेनानी का शिलापट्ट भूसैले (भूसा रखने वाला कमरा) में रखा मिला।
त्रिवेदीगंज ब्लॉक के कांहीपुर गांव निवासी विशंभरदयाल अवस्थी कई बार जेल गए। रक्त का कण-कण समर्पित नामक किताब में उल्लेख है कि 14 दिसंबर 1942 को धारा 394 आईपीसी के तहत एसडीएम हैदरगढ़ कोर्ट ने दो वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी। जेल के अंदर खाने में उन्हें कांच पीसकर खिलाया जाने लगा। यातनाएं भी दी जाने लगीं। 18-19 जून 1943 की मध्य रात्रि मात्र 32 साल की उम्र में जेल में ही उनकी मृत्यु हो गई।
बीते साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से इनके गांव में एक शिलापट्ट लगाने को भेजा गया। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अमर उजाला ने इनके गांव पहुंचकर शिलापटट् का पता लगाया तो वह प्रधान के घर पर भूसे वाले कमरे में रखा मिला। हैदरगढ़ के एसडीएम अनुराग सिंह ने बताया कि इसकी जांच होगी।
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त्रिवेदीगंज ब्लॉक के कांहीपुर गांव निवासी विशंभरदयाल अवस्थी कई बार जेल गए। रक्त का कण-कण समर्पित नामक किताब में उल्लेख है कि 14 दिसंबर 1942 को धारा 394 आईपीसी के तहत एसडीएम हैदरगढ़ कोर्ट ने दो वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी। जेल के अंदर खाने में उन्हें कांच पीसकर खिलाया जाने लगा। यातनाएं भी दी जाने लगीं। 18-19 जून 1943 की मध्य रात्रि मात्र 32 साल की उम्र में जेल में ही उनकी मृत्यु हो गई।
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बीते साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से इनके गांव में एक शिलापट्ट लगाने को भेजा गया। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अमर उजाला ने इनके गांव पहुंचकर शिलापटट् का पता लगाया तो वह प्रधान के घर पर भूसे वाले कमरे में रखा मिला। हैदरगढ़ के एसडीएम अनुराग सिंह ने बताया कि इसकी जांच होगी।