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शहर के 110 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास खुद का ‘आंगन’ ही नहीं
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कालीबाड़ी में चलता आंगनबाड़ी केंद्र।
शहर में चल रहे 115 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 110 किराए के भवनों में
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हर साल इनके किराए पर खर्च हो रहे हैं 5.94 लाख रुपये
बरेली। जिले में 2857 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इनमें से 115 शहर में चल रहे हैं। शहर के 110 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपना भवन नहीं है। ये किराए के भवनों में चल रहे हैं। ज्यादातर को आंगनबाड़ी वर्कर नियमविरुद्ध तरीके से अपने घरों में चला रही हैं। विभाग शहर में पराए भवनों नें चल रहे केंद्रों पर हर साल 5.94 लाख रुपये किराए पर खर्च कर रहा है।
जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों पर करीब साढ़े तीन लाख बच्चे पंजीकृत हैं। इन केंद्रों पर शहर के अधिकारी कभी निरीक्षण नहीं करते हैं। ये कहां चल रहे हैं, कैसे चल रहे हैं। वहां सुविधाएं हैं भी या नहीं और इनकी माली हालत कैसी है, इसकी जानकारी भी अधिकारियों को नहीं है। केंद्रों के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां निरीक्षण तो कभी नहीं होता है। महीने में खुलते भी चंद दिन ही है।
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कालीबाड़ी
कालीबाड़ी आंगनबाड़ी केंद्र पर रूपवती कार्यरत हैं। वह अपने घर में ही पहली मंजिल पर केंद्र चला रही हैं। शुक्रवार को अमर उजाला की टीम जब केंद्र का हाल जानने पहुंची तो पता चला कि वह विभागीय बैठक में शामिल होने र्गइं हैं। केंद्र पर महिलाओं के टीकाकरण का काम स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाया जा रहा हैं। केंद्र बेहद संकरी गली में हैं। वहां तक दुपहिया वाहन भी नहीं पहुंच पाते हैं।
सिकलापुर
यहां भी आंगनबाड़ी वर्कर शशिबाला यादव अपने घर में ही केंद्र चलाती हैं। उनकी बहू ने बताया कि केंद्र घर में चलता है लेकिन शुक्रवार को विभागीय बैठक होने की वजह से केंद्र बंद है। विभाग का खुद का कोई भवन नहीं है। 750 रुपये महीने में कहीं कोई अपना छोटा सा कमरा भी किराए पर देने को तैयार नहीं है। ऐसे में केंद्र और कहां चलाएं, इसलिए वह अपने घर से ही सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं।
मठ की चौकी
मठ की चौकी में दो आंगनबाड़ी वर्कर केंद्र चला रही है। यहां एक निजी अंग्रेजी स्कूल के कमरे में किराए पर केंद्र संचालित होता था। बाद में कमरे की छत जर्जर होने पर केंद्र का सामान वहां से हटा लिया गया, लेकिन आंगनबाड़ी से जुड़े कार्यक्रम आज भी स्कूल के परिसर में ही होते हैं। आंगनबाड़ी वर्कर सरोज भी शुक्रवार को केंद्र बंद करके बैठक में गईं थीं।
शहर में 110 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में चल रहे हैं। प्रत्येक भवन का 750 रुपये महीना किराया दिया जाता है। कोई भी आंगनबाड़ी वर्कर अपने घर में केंद्र नहीं चला सकती है। यह नियम के खिलाफ है। यदि कहीं कोई केंद्र वर्कर के घर में संचालित हो रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. आरबी सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी
आंगनबाड़ी केंद्रों पर उपलब्ध सुविधाएं
आंगनबाड़ी केंद्रों पर छह वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और धात्री महिलाओं को पूरक पोषण प्रदान किया जाता है। इसके अलावा केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं और बच्चों का टीकाकरण कराया जाता है। रोग प्रतिरक्षण कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं। छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के स्वास्थ्य और गर्भवती की प्रसव पूर्व देखरेख, धात्री या स्तनपान कराने वाली माताओं की देखरेख का जिम्मा भी आंगनबाड़ी केंद्रों का है। आंगनबाड़ी महिला कार्यकर्ताओं और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के कर्मचारियों द्वारा नियमित स्वास्थ्य जांच, वजन का रिकॉर्ड रखना, टीकाकरण, कुपोषण का प्रबंधन, दवा का वितरण भी केंद्रों पर किया जाता है। पोषण स्वास्थ्य और शिक्षा घटक के तहत युवा महिलाओं में क्षमता निर्मित करने के लिए व्यवहार परिवर्तन संचार रणनीति का उपयोग करना भी केंद्रों का काम है, ताकि महिलाएं अपने, बच्चों और परिवार के स्वास्थ्य पोषण और विकास संबंधी जरूरतों का ध्यान रख सकें।

हर साल इनके किराए पर खर्च हो रहे हैं 5.94 लाख रुपये बरेली। जिले में 2857 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इनमें से 115 शहर में चल रहे हैं। शहर के 110 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपना भवन नहीं है। ये किराए के भवनों में चल रहे हैं। ज्यादातर को आंगनबाड़ी वर्कर नियमविरुद्ध तरीके से अपने घरों में चला रही हैं। विभाग शहर में पराए भवनों नें चल रहे केंद्रों पर हर साल 5.94 लाख रुपये किराए पर खर्च कर रहा है।
जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों पर करीब साढ़े तीन लाख बच्चे पंजीकृत हैं। इन केंद्रों पर शहर के अधिकारी कभी निरीक्षण नहीं करते हैं। ये कहां चल रहे हैं, कैसे चल रहे हैं। वहां सुविधाएं हैं भी या नहीं और इनकी माली हालत कैसी है, इसकी जानकारी भी अधिकारियों को नहीं है। केंद्रों के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां निरीक्षण तो कभी नहीं होता है। महीने में खुलते भी चंद दिन ही है।
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कालीबाड़ी
कालीबाड़ी आंगनबाड़ी केंद्र पर रूपवती कार्यरत हैं। वह अपने घर में ही पहली मंजिल पर केंद्र चला रही हैं। शुक्रवार को अमर उजाला की टीम जब केंद्र का हाल जानने पहुंची तो पता चला कि वह विभागीय बैठक में शामिल होने र्गइं हैं। केंद्र पर महिलाओं के टीकाकरण का काम स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाया जा रहा हैं। केंद्र बेहद संकरी गली में हैं। वहां तक दुपहिया वाहन भी नहीं पहुंच पाते हैं।
सिकलापुर
यहां भी आंगनबाड़ी वर्कर शशिबाला यादव अपने घर में ही केंद्र चलाती हैं। उनकी बहू ने बताया कि केंद्र घर में चलता है लेकिन शुक्रवार को विभागीय बैठक होने की वजह से केंद्र बंद है। विभाग का खुद का कोई भवन नहीं है। 750 रुपये महीने में कहीं कोई अपना छोटा सा कमरा भी किराए पर देने को तैयार नहीं है। ऐसे में केंद्र और कहां चलाएं, इसलिए वह अपने घर से ही सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं।
मठ की चौकी
मठ की चौकी में दो आंगनबाड़ी वर्कर केंद्र चला रही है। यहां एक निजी अंग्रेजी स्कूल के कमरे में किराए पर केंद्र संचालित होता था। बाद में कमरे की छत जर्जर होने पर केंद्र का सामान वहां से हटा लिया गया, लेकिन आंगनबाड़ी से जुड़े कार्यक्रम आज भी स्कूल के परिसर में ही होते हैं। आंगनबाड़ी वर्कर सरोज भी शुक्रवार को केंद्र बंद करके बैठक में गईं थीं।
शहर में 110 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में चल रहे हैं। प्रत्येक भवन का 750 रुपये महीना किराया दिया जाता है। कोई भी आंगनबाड़ी वर्कर अपने घर में केंद्र नहीं चला सकती है। यह नियम के खिलाफ है। यदि कहीं कोई केंद्र वर्कर के घर में संचालित हो रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. आरबी सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी