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Bijnor: पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ दबोचा लेखपाल, किसान से बोला था- पैसे लेकर ही काम करूंगा
अमर उजाला नेटवर्क, बिजनौर
Published by: मोहम्मद मुस्तकीम
Updated Tue, 23 Dec 2025 02:58 PM IST
सार
बिजनौर की सदर तहसील में तैनात बागपत निवासी लेखपाल रविंद्र भारद्वाज ने किसान धर्मेंद्र सिंह से जमीन की खसरा खतौनी में नाम ठीक कराने के एवज में 10 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। एंटी करप्शन टीम ने उसे दबोच लिया।
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पकड़ा गया लेखपाल।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बिजनौर की सदर तहसील में तैनात लेखपाल रविंद्र भारद्वाज को एंटी करप्शन की टीम ने पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। किसान की शिकायत पर टीम ने यह कार्यवाही की है।
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लेखपाल से पूछताछ करती टीम।
- फोटो : अमर उजाला
बिजनौर के गांव ननूपूरा निवासी किसान धर्मेंद्र सिंह ने 19 दिसंबर को मुरादाबाद स्थित भ्रष्टाचार निवारण संगठन के थाने में पहुंचकर शिकायत की थी। 20 दिसंबर को एंटी करप्शन की टीम ने बिजनौर पहुंचकर मामले की पड़ताल की और लेखपाल की रेकी की गई। जांच पड़ताल करने वाली टीम ने शिकायत को सही पाया। 22 तारीख की सुबह एंटी करप्शन की टीम का गठन हुआ और बिजनौर में कार्रवाई के लिए रूपरेखा तैयार की गई।
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मंगलवार को बिजनौर पहुंचकर एंटी करप्शन की टीम ने सदर तहसील में जाल बिछा दिया। किसान धर्मेंद्र सिंह ने जैसे ही लेखपाल रावेंद्र उर्फ रविंद्र कुमार भारद्वाज को पांच हजार रुपए दिए, तभी टीम ने लेखपाल को दबोच लिया। आरोपी लेखपाल गांव शिकोहपुर थाना बड़ौत, बागपत का रहने वाला है।
खसरा खतौनी में नाम ठीक करने के लिए मांगी थी रिश्वत
किसान धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि उनके पिता ने जमीन खरीदी थी। बैनामा कराते वक्त नाम धर्मेंद्र कुमार और उम्र 16 वर्ष लिखवा दी थी। किसान ने बताया कि अब मेरी उम्र 43 साल हो चुकी है लेकिन खसरा खतौनी में उम्र 16 साल ही दर्ज है। नाम धर्मेंद्र कुमार लिखा हुआ है जबकि आधार कार्ड और अन्य कागजों में नाम धर्मेंद्र सिंह है। नाम और उम्र ठीक करने के लिए एक महीना पहले एसडीएम के यहां शिकायती पत्र दिया था।
उक्त प्रार्थना पत्र लेखपाल के पास पहुंचा तो लेखपाल ने बुलाकर 10 हजार रुपये की डिमांड की थी। किसान ने बताया कि अपना नाम ठीक करने के लिए पिछले एक साल से तहसील के चक्कर काट रहे हैं। उनसे पहले उनके पिता ने भी कई बार नाम ठीक करने का प्रयास किया था लेकिन हो नहीं पाया।
किसान धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि उनके पिता ने जमीन खरीदी थी। बैनामा कराते वक्त नाम धर्मेंद्र कुमार और उम्र 16 वर्ष लिखवा दी थी। किसान ने बताया कि अब मेरी उम्र 43 साल हो चुकी है लेकिन खसरा खतौनी में उम्र 16 साल ही दर्ज है। नाम धर्मेंद्र कुमार लिखा हुआ है जबकि आधार कार्ड और अन्य कागजों में नाम धर्मेंद्र सिंह है। नाम और उम्र ठीक करने के लिए एक महीना पहले एसडीएम के यहां शिकायती पत्र दिया था।
उक्त प्रार्थना पत्र लेखपाल के पास पहुंचा तो लेखपाल ने बुलाकर 10 हजार रुपये की डिमांड की थी। किसान ने बताया कि अपना नाम ठीक करने के लिए पिछले एक साल से तहसील के चक्कर काट रहे हैं। उनसे पहले उनके पिता ने भी कई बार नाम ठीक करने का प्रयास किया था लेकिन हो नहीं पाया।
राजस्व कर्मियों ने किया लेखपाल को छुड़ाने का प्रयास
एंटी करप्शन की टीम ने बताया कि जिस वक्त तहसील में लेखपाल को रंगेहाथ पकड़ा गया, उस वक्त अन्य लेखपाल और राजस्व कर्मी एकत्र हो गए। उन्होंने लेखपाल को छुड़ाने का प्रयास किया लेकिन एंटी करप्शन की टीम सूझबूझ का परिचय देते हुए शहर कोतवाली लेकर पहुंच गई। शहर कोतवाली में भी राजस्व कर्मियों का जमावड़ा लगा रहा।
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एंटी करप्शन की टीम ने बताया कि जिस वक्त तहसील में लेखपाल को रंगेहाथ पकड़ा गया, उस वक्त अन्य लेखपाल और राजस्व कर्मी एकत्र हो गए। उन्होंने लेखपाल को छुड़ाने का प्रयास किया लेकिन एंटी करप्शन की टीम सूझबूझ का परिचय देते हुए शहर कोतवाली लेकर पहुंच गई। शहर कोतवाली में भी राजस्व कर्मियों का जमावड़ा लगा रहा।
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