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Bijnor News: ऐसा बदला व्यवहार, मुर्गे के लालच में पिंजरे में फंस रहे गुलदार

Meerut Bureau मेरठ ब्यूरो
Updated Sun, 21 Dec 2025 01:44 AM IST
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Such a change in behavior, leopards are getting trapped in cages due to the greed for chicken.
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बिजनौर। कभी गुलदार को जंगल का सबसे धूर्त जानवर कहा जाता था, लेकिन गन्ने के खेतों में पैदा हुई गुलदार की नस्ल जंगल की चालाकियां भूल गई है। ऐसे गुलदार इंसानों पर ज्यादा हमले कर रहे हैं। वहीं, बड़े जानवरों की जगह मुर्गे जैसे छोटे जीवों के लालच में आसानी से पकड़े जा रहे हैं।
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इस साल करीब 25 गुलदार मुर्गे के कारण पिंजरों में कैद हो गए। वन अफसर इनके बदलते व्यवहार को इसका सबसे बड़ा कारण मान रहे हैं।
पांच साल पहले तक जिले के गन्ने के खेतों में गुलदारों की संख्या बहुत कम थी। अफजलगढ़, नगीना और नजीबाबाद क्षेत्र में रिजर्व फॉरेस्ट से सटे गांवों के आसपास यह देखे जाते थे।
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कोराना काल में लॉकडाउन लगा तो गुलदारों ने गन्ने के खेतों में शरण ले ली। यहीं से इनका व्यवहार बदलने लगा है। आसानी से मिल रहे शिकार की वजह से अब यह जंगल में नहीं जा रहे। यही नहीं जंगल वाली चालाकियां भी भूल रहे हैं।
रिजर्व फॉरेस्ट से आई गुलदारों की पीढ़ी चतुर-चालाक हुआ करती थी। इंसानों और बड़े जानवरों पर हमला करते थे। लेकिन उन्हें पकड़ना मुश्किल होता था। जानकार बताते हैं कि गन्ने के खेतों में पैदा हुई गुलदार की पीढ़ी आसान शिकार कर रही है। यही वजह है कि आसानी से पिंजरे में फंस रही है। आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं। साल 2021 में वन विभाग केवल तीन गुलदार पकड़ पाया था। साल 2022 में सात गुलदार पकड़ पाया। नगीना और कोतवाली देहात क्षेत्र में इंसानों पर हमले बढ़े तो सात जिलों की टीमें गुलदार पकड़ने में लगा दी गईंं। तब जाकर गुलदार पकड़े गए। वहीं, साल 2024 आते-आते गन्ने के खेतों में जन्में गुलदार बड़े होने लगे। वर्ष 2024 में 28 गुलदार पिंजरों में फंसे। इस साल 37 गुलदार पिंजरों में फंस चुके हैं। खास बात यह है कि इनमें से 25 गुलदार ऐसे पिंजरों में फंसे, जिनमें बकरा या अन्य जीव नहीं, बल्कि मुर्गे बंद किए गए थे। (संवाद)
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