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Bijnor News: बिजनौर में वन विभाग ने हैदरपुर जैसा खूबसूरत वेटलैंड खोजा
संवाद न्यूज एजेंसी, बिजनौर
Updated Sun, 14 Dec 2025 12:34 AM IST
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चांदपुर के खानपुर खादर क्षेत्र में नाको वाली झील देखते वन विभाग के अधिकारी। स्रोत विभाग
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बिजनौर। पक्षी प्रेमियों के लिए अब जिले में ही हैदरपुर वेटलैंड जैसी झील वन विभाग ने खोज ली है। चांदपुर क्षेत्र में नाकोवाली झील (नारनौर झील) के नाम से यह वेटलैंड करीब 15 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पर वनस्पति, ठहरा पानी प्रवासी पक्षियों के लिए मुफीद बताया जा रहा है। वन विभाग ने इसे विकसित करने के लिए पूरी योजना तैयार कर ली है। सबकुछ ठीक रहा तो अगले साल पर्यटक यहां पहुंचकर प्रवासी पक्षियों का दीदार कर पाएंगे।
यह चांदपुर के खानपुर खादर की नाकोवाली झील है। गंगा से कुछ दूर बनी इस झील को नाकोवाली झील इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि यहां पर मगरमच्छ खूब दिखाई देते थे। फिलहाल यह अपने प्राकृतिक स्वरूप में हैं और बीच में दूर तक फैला ठहरा पानी है और दोनों ओर वनस्पति, घास और दलदली इलाके हैं। जो इसे प्रवासी पक्षियों के आने के लिए बेहतर बनाते हैं। वन विभाग ने इसे विकसित करने के लिए पूरा प्रोजेक्ट तैयार कर लिया है और शासन को भेजा जा रहा है। यहां पर पहुंचने के लिए सड़क से लेकर यहां घूमने के लिए ट्रेल भी बनाई जाएगी।
ये हंै वेटलैंड : वेटलैंड, जिसे आद्रभूमि भी कहा जाता है, यहां झील, दलदल, रुका हुआ पानी, जहां मछलियों से लेकर छोटे-छोटे जलीय जीव, घास के छोटे या बडे़ मैदान आदि चीजें होती हैं। हस्तिनापुर सेंक्चुअरि में 16 वेटलैंड हैं, वहीं हरेवली पर बड़ा वेटलैंड है।
सर्दियों में इन पक्षियों का रहता है बसेरा : इन क्षेत्रों में दिसंबर से मार्च माह के बीच कॉमन क्रेन, ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क, लिटिल ग्रेब, ग्रेट कॉर्मोरेंट, बुली नेक्ड स्टॉर्क, एशियन ओपन बिल स्टॉक, ग्रे लैग गूज, बार हेडेड गूज, सफेद इबीस, नॉर्दन पिनटेल, कॉमन पोचार्ड, रेड क्रिस्टेड पोचार्ड, सारस क्रेन, कॉमन कूट, लाल सुर्खाब आसानी से देखे जा सकते हैं।
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यह चांदपुर के खानपुर खादर की नाकोवाली झील है। गंगा से कुछ दूर बनी इस झील को नाकोवाली झील इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि यहां पर मगरमच्छ खूब दिखाई देते थे। फिलहाल यह अपने प्राकृतिक स्वरूप में हैं और बीच में दूर तक फैला ठहरा पानी है और दोनों ओर वनस्पति, घास और दलदली इलाके हैं। जो इसे प्रवासी पक्षियों के आने के लिए बेहतर बनाते हैं। वन विभाग ने इसे विकसित करने के लिए पूरा प्रोजेक्ट तैयार कर लिया है और शासन को भेजा जा रहा है। यहां पर पहुंचने के लिए सड़क से लेकर यहां घूमने के लिए ट्रेल भी बनाई जाएगी।
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ये हंै वेटलैंड : वेटलैंड, जिसे आद्रभूमि भी कहा जाता है, यहां झील, दलदल, रुका हुआ पानी, जहां मछलियों से लेकर छोटे-छोटे जलीय जीव, घास के छोटे या बडे़ मैदान आदि चीजें होती हैं। हस्तिनापुर सेंक्चुअरि में 16 वेटलैंड हैं, वहीं हरेवली पर बड़ा वेटलैंड है।
सर्दियों में इन पक्षियों का रहता है बसेरा : इन क्षेत्रों में दिसंबर से मार्च माह के बीच कॉमन क्रेन, ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क, लिटिल ग्रेब, ग्रेट कॉर्मोरेंट, बुली नेक्ड स्टॉर्क, एशियन ओपन बिल स्टॉक, ग्रे लैग गूज, बार हेडेड गूज, सफेद इबीस, नॉर्दन पिनटेल, कॉमन पोचार्ड, रेड क्रिस्टेड पोचार्ड, सारस क्रेन, कॉमन कूट, लाल सुर्खाब आसानी से देखे जा सकते हैं।
