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Budaun News: 11 युवाओं की टोली गोवंश को पहना रही रेडियम पट्टी, बचा रही जान
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कुंवरगांव में थाने के पास गोवंश को रेडियम पट्टी पहनाते युवक। स्रोत स्वयं
- फोटो : credit
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कुंवरगांव। सड़क पर छुट्टा घूम रहे गोवंशों की चपेट में आकर अक्सर लोग घायल हो जाते हैं या उनकी जान चली जाती है। ऐसे हादसे रोकने और गोवंशों की जान बचाने के लिए नगर के 11 युवकों की टोली रात में सड़कों पर निकलती है और छुट्टा घूम रहे पशुओं के गले में रेडियम पट्टी पहनाती है ताकि लाइट पड़ने पर पट्टी चमक उठे और वाहन चालक पशुओं को देख लें।
टोली की अगुवाई कर रहे वार्ड संख्या 08 के रहने वाले शशांक सोलंकी ने बताया कि एक सप्ताह में उन लोगों ने करीब 150 निराश्रित पशुओं को रेडियम पट्टी पहनाई है। सबसे अधिक छुट्टा पशु नगर में आंवला- बदायूं रोड, विजय नगला रोड, घटपुरी मार्ग, रामलीला मैदान, साप्ताहिक बाजार, विद्युत उपकेंद्र और थाने के आसपास मिलते हैं।
बताया कि बदायूं से रेडियम पट्टी लेकर आते हैं। एक पट्टी की कीमत करीब 25 रुपये है। जनसहयोग से इसका खर्चा निकालते हैं। नगर स्थित पशु चिकित्सालय पर जब रेडियम पट्टी उपलब्ध होती है तो वहां से भी सहयोग ले लेते हैं। रेडियम पट्टी का विशेष लाभ यह है कि रात के अंधेरे में वाहनों की लाइट पड़ते ही यह चमकने लगती है, जिससे चालकों को समय रहते पशुओं के सामने होने का आभास हो जाता है और हादसा बच जाता है। इससे न सिर्फ पशुओं की जान बचती है, बल्कि वाहन चालक और यात्री भी सुरक्षित रहते हैं। (संवाद)
कई बार हमला भी कर देते हैं गोवंश
निराश्रित गोवंश को रेडियम पट्टी पहनाने में चुनौतियां भी कम नहीं हैं। भूखे प्यासे, चोटिल गोवंश असुरक्षा की भावना में हमला भी कर देते हैं। अमित राठौर ने बताया कि कई बार नगर पंचायत, पशुपालन विभाग से सहयोग लेना पड़ता है।
कोसने से ही नहीं चलता काम
रिषभ सोलंकी कहते हैं कि सरकारी तंत्र की व्यवस्थाओं में कुछ खामियां हैं, लेकिन केवल उन्हें कोसने से ही काम नहीं चलता। जरूरी यह भी है कि उस तंत्र के सुधार और अव्यवस्थाओं को दूर करने में हम कितना सहयोग कर सकते हैं। सबको अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
टोली में शामिल युवा
शशांक सोलंकी, अमित राठौर, रितिक गौतम, देवांश सोलंकी, वंश शंखधार, हिमांश सोलंकी, रिषभ सोलंकी, रवि गौतम, प्रतीक राठौर, मोनू गौतम, विवेक राठौर आदि।
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टोली की अगुवाई कर रहे वार्ड संख्या 08 के रहने वाले शशांक सोलंकी ने बताया कि एक सप्ताह में उन लोगों ने करीब 150 निराश्रित पशुओं को रेडियम पट्टी पहनाई है। सबसे अधिक छुट्टा पशु नगर में आंवला- बदायूं रोड, विजय नगला रोड, घटपुरी मार्ग, रामलीला मैदान, साप्ताहिक बाजार, विद्युत उपकेंद्र और थाने के आसपास मिलते हैं।
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बताया कि बदायूं से रेडियम पट्टी लेकर आते हैं। एक पट्टी की कीमत करीब 25 रुपये है। जनसहयोग से इसका खर्चा निकालते हैं। नगर स्थित पशु चिकित्सालय पर जब रेडियम पट्टी उपलब्ध होती है तो वहां से भी सहयोग ले लेते हैं। रेडियम पट्टी का विशेष लाभ यह है कि रात के अंधेरे में वाहनों की लाइट पड़ते ही यह चमकने लगती है, जिससे चालकों को समय रहते पशुओं के सामने होने का आभास हो जाता है और हादसा बच जाता है। इससे न सिर्फ पशुओं की जान बचती है, बल्कि वाहन चालक और यात्री भी सुरक्षित रहते हैं। (संवाद)
कई बार हमला भी कर देते हैं गोवंश
निराश्रित गोवंश को रेडियम पट्टी पहनाने में चुनौतियां भी कम नहीं हैं। भूखे प्यासे, चोटिल गोवंश असुरक्षा की भावना में हमला भी कर देते हैं। अमित राठौर ने बताया कि कई बार नगर पंचायत, पशुपालन विभाग से सहयोग लेना पड़ता है।
कोसने से ही नहीं चलता काम
रिषभ सोलंकी कहते हैं कि सरकारी तंत्र की व्यवस्थाओं में कुछ खामियां हैं, लेकिन केवल उन्हें कोसने से ही काम नहीं चलता। जरूरी यह भी है कि उस तंत्र के सुधार और अव्यवस्थाओं को दूर करने में हम कितना सहयोग कर सकते हैं। सबको अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
टोली में शामिल युवा
शशांक सोलंकी, अमित राठौर, रितिक गौतम, देवांश सोलंकी, वंश शंखधार, हिमांश सोलंकी, रिषभ सोलंकी, रवि गौतम, प्रतीक राठौर, मोनू गौतम, विवेक राठौर आदि।

कुंवरगांव में थाने के पास गोवंश को रेडियम पट्टी पहनाते युवक। स्रोत स्वयं- फोटो : credit