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Budaun News: महिला अस्पताल की गैलरी में हुआ प्रसव, नवजात की मौत
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पीड़ित का पति सूरज
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बदायूं। जिले के महिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। उझानी के सिरसौली गांव की एक गर्भवती महिला का अस्पताल की 100 शैय्या बिल्डिंग की गैलरी में ही सोमवार रात प्रसव कराना पड़ गया। आरोप है कि समय पर चिकित्सकीय सहायता न मिलने के कारण नवजात की मौत हो गई। मौके पर सुरक्षा कर्मी भी तैनात नहीं थे। घटना को लेकर महिला अस्पताल प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सिरसौली गांव निवासी सविता पत्नी सूरज को सोमवार रात प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने गांव की आशा कार्यकर्ता सीमा को बुलाया। इस दौरान एंबुलेंस पर कॉल की, जो 35 मिनट के इंतजार के बाद भी नहीं पहुंची। पीड़ा लगातार बढ़ती जा रही थी। ऐसे में आशा कार्यकर्ता और पति सूरज ई-रिक्शा से सविता को महिला अस्पताल, बदायूं लेकर पहुंचे।
सूरज पत्नी को महिला अस्पताल की 100 शैय्या बिल्डिंग में ले जाने लगा। हालत खराब होने पर उसे 100 शैय्या बिल्डिंग की गैलरी में बैठाकर डॉक्टरों को बुलाने के लिए अंदर भागता हुआ गया। पति सूरज का कहना है कि उसने तुरंत मदद के लिए आवाज लगाई, लेकिन आधे घंटे तक कोई डॉक्टर या नर्स मौके पर नहीं पहुंची।
इसी दौरान महिला अस्पताल की 100 शैय्या बिल्डिंग के अंदर गैलरी में उसका प्रसव हो गया। बाद में जब स्टाफ पहुंचा तो प्रसूता को डिलीवरी रूम में ले जाया गया, जहां डाॅक्टरों ने जांच के बाद नवजात बच्ची को मृत घोषित कर दिया। पीड़ित पति ने बताया कि समय पर इलाज न मिलने से उसकी नवजात की जान चली गई।
सुरक्षाकर्मी होते मौजूद तो बच सकती थी नवजात की जान
पिछले दिनों सिटी मजिस्ट्रेट सुरेश पाल सिंह ने महिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। जब उनको मौके पर दो गार्ड तैनात नहीं मिले। इसकी रिपोर्ट उन्होंने उच्चाधिकारियों को दी। चर्चा है कि महिला अस्पताल प्रशासन उस रिपोर्ट को गलत बता रहा था। वहीं, अब एक बार फिर रात में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। रात में अगर सुरक्षाकर्मी मौके पर होते तो शायद डाॅक्टर समय से मरीज के पास आ जाते तो नवजात की जान बच सकती थी।
रात में अस्पताल में नहीं रुकते डॉक्टर और स्टाफ
जिला महिला अस्पताल में दिन हो या रात हर समय डॉक्टर और स्टाफ की जरूरत होती है, क्योंकि प्रसव के मामले कभी भी सामने आ सकते हैं। इसमें हल्की से लापरवाही बच्चे और मां की जान ले सकते है। ऐसा ही मामला सोमवार की रात हुआ। अगर अस्पताल में डॉक्टर मौके पर होते तो नवजात की जान बच सकती थी।
सीएमएस कर रहीं स्टाफ को बचाने की कोशिश
महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. शोभा अग्रवाल ने दावा किया कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही ई-रिक्शा में नवजात पैदा हो गया था। यहां पहुंचने पर मरीज को सीधे प्रसव कक्ष में ले गए, जबकि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में साफ दिख रहा है कि महिला 100 शैय्या बिल्डिंग की गैलरी में प्रसव के लिए तड़प रही है। वह चिल्ला रही थी, लेकिन कोई भी स्टाफ मदद के लिए नहीं पहुंचा। उस दौरान कोई सुरक्षा कर्मी भी गैलरी में मौजूद नहीं था।
मामले की जानकारी हुई है। इस संबंध में महिला सीएमएस को बता दिया गया है। आगे की कार्रवाई उनके स्तर से ही की जानी है। -डॉ. रामेश्वर मिश्रा, सीएमओ
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सिरसौली गांव निवासी सविता पत्नी सूरज को सोमवार रात प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने गांव की आशा कार्यकर्ता सीमा को बुलाया। इस दौरान एंबुलेंस पर कॉल की, जो 35 मिनट के इंतजार के बाद भी नहीं पहुंची। पीड़ा लगातार बढ़ती जा रही थी। ऐसे में आशा कार्यकर्ता और पति सूरज ई-रिक्शा से सविता को महिला अस्पताल, बदायूं लेकर पहुंचे।
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सूरज पत्नी को महिला अस्पताल की 100 शैय्या बिल्डिंग में ले जाने लगा। हालत खराब होने पर उसे 100 शैय्या बिल्डिंग की गैलरी में बैठाकर डॉक्टरों को बुलाने के लिए अंदर भागता हुआ गया। पति सूरज का कहना है कि उसने तुरंत मदद के लिए आवाज लगाई, लेकिन आधे घंटे तक कोई डॉक्टर या नर्स मौके पर नहीं पहुंची।
इसी दौरान महिला अस्पताल की 100 शैय्या बिल्डिंग के अंदर गैलरी में उसका प्रसव हो गया। बाद में जब स्टाफ पहुंचा तो प्रसूता को डिलीवरी रूम में ले जाया गया, जहां डाॅक्टरों ने जांच के बाद नवजात बच्ची को मृत घोषित कर दिया। पीड़ित पति ने बताया कि समय पर इलाज न मिलने से उसकी नवजात की जान चली गई।
सुरक्षाकर्मी होते मौजूद तो बच सकती थी नवजात की जान
पिछले दिनों सिटी मजिस्ट्रेट सुरेश पाल सिंह ने महिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। जब उनको मौके पर दो गार्ड तैनात नहीं मिले। इसकी रिपोर्ट उन्होंने उच्चाधिकारियों को दी। चर्चा है कि महिला अस्पताल प्रशासन उस रिपोर्ट को गलत बता रहा था। वहीं, अब एक बार फिर रात में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। रात में अगर सुरक्षाकर्मी मौके पर होते तो शायद डाॅक्टर समय से मरीज के पास आ जाते तो नवजात की जान बच सकती थी।
रात में अस्पताल में नहीं रुकते डॉक्टर और स्टाफ
जिला महिला अस्पताल में दिन हो या रात हर समय डॉक्टर और स्टाफ की जरूरत होती है, क्योंकि प्रसव के मामले कभी भी सामने आ सकते हैं। इसमें हल्की से लापरवाही बच्चे और मां की जान ले सकते है। ऐसा ही मामला सोमवार की रात हुआ। अगर अस्पताल में डॉक्टर मौके पर होते तो नवजात की जान बच सकती थी।
सीएमएस कर रहीं स्टाफ को बचाने की कोशिश
महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. शोभा अग्रवाल ने दावा किया कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही ई-रिक्शा में नवजात पैदा हो गया था। यहां पहुंचने पर मरीज को सीधे प्रसव कक्ष में ले गए, जबकि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में साफ दिख रहा है कि महिला 100 शैय्या बिल्डिंग की गैलरी में प्रसव के लिए तड़प रही है। वह चिल्ला रही थी, लेकिन कोई भी स्टाफ मदद के लिए नहीं पहुंचा। उस दौरान कोई सुरक्षा कर्मी भी गैलरी में मौजूद नहीं था।
मामले की जानकारी हुई है। इस संबंध में महिला सीएमएस को बता दिया गया है। आगे की कार्रवाई उनके स्तर से ही की जानी है। -डॉ. रामेश्वर मिश्रा, सीएमओ

पीड़ित का पति सूरज

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