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Budaun News: जिले के पांचों हाईवे पर न स्थायी एंबुलेंस न ही क्रेन की सुविधा
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चंदौसी -बिसौली रोड पर नहीं दिखे सुरक्षा के कोई इंतजाम। संवाद
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बदायूं। बदायूं-बिजनौर, बरेली-मथुरा, बदायूं-दातागंज-शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद-मुरादाबाद और बिसौली-शाहाबाद-गंगाघाट समेत कुल पांच प्रमुख हाईवे जिले से होकर गुजरते हैं, लेकिन इनमें कहीं भी न तो स्थायी एंबुलेंस की तैनाती है, न ही क्रेन की सुविधा उपलब्ध है। पुलिस पिकेट की भी व्यवस्था दुरुस्त नहीं है।
हाईवे पर यदि कोई बड़ा सड़क हादसा हो जाए तो घायलों को समय पर इलाज मिलना मुश्किल हो जाता है। अक्सर देखा जाता है कि दुर्घटना के बाद स्थानीय लोग ही निजी वाहनों से घायलों को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करते हैं। जिले में मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद हाईवे किनारे ट्रामा सेंटर की व्यवस्था न होना गंभीर सवाल खड़े करता है।
संबंधित विभाग और एनएचआई भले ही नियमित पेट्रोलिंग का दावा करते हों, लेकिन हकीकत यह है कि हाईवे पर पेट्रोलिंग वाहन बहुत कम दिखाई देते हैं। बृहस्पतिवार को जब हाईवे पर इंतजामों की पड़ताल की तो कई-कई किलोमीटर तक न तो कोई पुलिस वाहन नजर आया, न ही कोई सहायता केंद्र। साफ है कि दुर्घटना या वाहन खराब होने की स्थिति में राहगीरों को काफी देर तक मदद का इंतजार करना पड़ेगा। (संवाद)
झाड़ियों और अंधे मोड़ों से बढ़ रहा खतरा
हाईवे के डिवाइडर और किनारों पर उगीं झाड़ियां भी हादसों का कारण बन रही हैं। इन झाड़ियों की वजह से सामने से आने वाले वाहन दिखाई नहीं देते। इससे ओवरटेक करते समय टक्कर का खतरा बढ़ जाता है। कई स्थानों पर संकेतक बोर्ड भी या तो टूटे हुए हैं या फिर झाड़ियों में छिप गए हैं। रात के समय स्ट्रीट लाइट की कमी स्थिति को और गंभीर बना देती है।
रात में हाईवे की चौकियाें से पुलिस कर्मी रहते हैं नदारद
बुधवार की रात जब शहर में हाईवे के आसपास की चौकियों पर पुलिस सक्रियता की पड़ताल की गई तो कई जगह पुलिस कर्मी नदारद मिले। इनमें कचहरी के पास से एमएफ हाईवे निकला है। यहां पुलिस चौकी पर भी पुलिस सक्रिय नहीं दिखी। इसी तरह नवादा व जवारपुरी चौकी और शहर की छह सड़का चौकी पर भी पुलिस नजर नहीं आई। ऐसे में रात में यदि कोई हादसा हो तो उससे निपटना आसान नहीं होगा।
ये हैं सुरक्षा मानक
प्रत्येक 20–25 किलोमीटर पर स्थायी एंबुलेंस की तैनाती।
दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को हटाने के लिए 24 घंटे क्रेन सुविधा।
हाईवे किनारे पुलिस पिकेट और सहायता बूथ।
प्रमुख स्थानों पर ट्रामा सेंटर या फर्स्ट एड यूनिट।
नियमित हाईवे पेट्रोलिंग, खासकर रात के समय।
डिवाइडर और किनारों से झाड़ियों की नियमित कटाई।
स्पीड ब्रेकर, रिफ्लेक्टर, साइन बोर्ड और स्ट्रीट लाइट की सुदृढ़ व्यवस्था।
टोल प्लाजा और व्यस्त चौराहों पर आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर का स्पष्ट प्रदर्शन।
वाहन चालक बरतें ये सावधानियां
हाईवे पर निर्धारित गति सीमा का पालन करें।
ओवरटेक करते समय सामने से आने वाले वाहनों पर पूरी नजर रखें।
रात के समय लो बीम/हाई बीम का सही उपयोग करें।
वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें।
लंबी यात्रा से पहले वाहन की ब्रेक, टायर और लाइट की जांच करें।
थकान महसूस होने पर वाहन रोककर विश्राम करें।
धुंध या कोहरे में हैज़र्ड लाइट और फॉग लाइट का प्रयोग करें।
गंगा एक्सप्रेस-वे शुरू होने के बाद बढ़ेगी समस्या
जिले में अब तक किसी भी हाईवे पर टोल प्लाजा नहीं है। निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस-वे पर तीन इंटरचेंज जिले में बन रहे हैं। इन तीनों जगहों पर टोल प्लाजा भी बनाया जा रहा है। इसके शुरू होने के बाद और अधिक सतर्कता बरतनी होगी, नहीं तो हादसे सामने आ सकते हैं।
हाईवे पर नियमित पेट्रोलिंग होती है। इस समय बरेली-मथुरा हाईवे पर निर्माण कार्य भी चल रहा है। कोहरे में लोग सतर्क होकर वाहन चलाएं और सुरक्षित सफर करें। विभाग की टीमें लगातार सक्रिय रहती है। - उत्कर्ष शुक्ला, परियोजना निदेशक, एनएचआई
हाईवे के किनारे जितने भी थाना व चौकी हैं वहां के पुलिस कर्मियों को लगातार अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। रात व दिन में पुलिस की टीमें लगातार पेट्रोलिंग करती हैं। यदि कोई पुलिस कर्मी ड्यूटी में लापरवाही कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. बृजेश कुमार सिंह, एसएसपी
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हाईवे पर यदि कोई बड़ा सड़क हादसा हो जाए तो घायलों को समय पर इलाज मिलना मुश्किल हो जाता है। अक्सर देखा जाता है कि दुर्घटना के बाद स्थानीय लोग ही निजी वाहनों से घायलों को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करते हैं। जिले में मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद हाईवे किनारे ट्रामा सेंटर की व्यवस्था न होना गंभीर सवाल खड़े करता है।
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संबंधित विभाग और एनएचआई भले ही नियमित पेट्रोलिंग का दावा करते हों, लेकिन हकीकत यह है कि हाईवे पर पेट्रोलिंग वाहन बहुत कम दिखाई देते हैं। बृहस्पतिवार को जब हाईवे पर इंतजामों की पड़ताल की तो कई-कई किलोमीटर तक न तो कोई पुलिस वाहन नजर आया, न ही कोई सहायता केंद्र। साफ है कि दुर्घटना या वाहन खराब होने की स्थिति में राहगीरों को काफी देर तक मदद का इंतजार करना पड़ेगा। (संवाद)
झाड़ियों और अंधे मोड़ों से बढ़ रहा खतरा
हाईवे के डिवाइडर और किनारों पर उगीं झाड़ियां भी हादसों का कारण बन रही हैं। इन झाड़ियों की वजह से सामने से आने वाले वाहन दिखाई नहीं देते। इससे ओवरटेक करते समय टक्कर का खतरा बढ़ जाता है। कई स्थानों पर संकेतक बोर्ड भी या तो टूटे हुए हैं या फिर झाड़ियों में छिप गए हैं। रात के समय स्ट्रीट लाइट की कमी स्थिति को और गंभीर बना देती है।
रात में हाईवे की चौकियाें से पुलिस कर्मी रहते हैं नदारद
बुधवार की रात जब शहर में हाईवे के आसपास की चौकियों पर पुलिस सक्रियता की पड़ताल की गई तो कई जगह पुलिस कर्मी नदारद मिले। इनमें कचहरी के पास से एमएफ हाईवे निकला है। यहां पुलिस चौकी पर भी पुलिस सक्रिय नहीं दिखी। इसी तरह नवादा व जवारपुरी चौकी और शहर की छह सड़का चौकी पर भी पुलिस नजर नहीं आई। ऐसे में रात में यदि कोई हादसा हो तो उससे निपटना आसान नहीं होगा।
ये हैं सुरक्षा मानक
प्रत्येक 20–25 किलोमीटर पर स्थायी एंबुलेंस की तैनाती।
दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को हटाने के लिए 24 घंटे क्रेन सुविधा।
हाईवे किनारे पुलिस पिकेट और सहायता बूथ।
प्रमुख स्थानों पर ट्रामा सेंटर या फर्स्ट एड यूनिट।
नियमित हाईवे पेट्रोलिंग, खासकर रात के समय।
डिवाइडर और किनारों से झाड़ियों की नियमित कटाई।
स्पीड ब्रेकर, रिफ्लेक्टर, साइन बोर्ड और स्ट्रीट लाइट की सुदृढ़ व्यवस्था।
टोल प्लाजा और व्यस्त चौराहों पर आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर का स्पष्ट प्रदर्शन।
वाहन चालक बरतें ये सावधानियां
हाईवे पर निर्धारित गति सीमा का पालन करें।
ओवरटेक करते समय सामने से आने वाले वाहनों पर पूरी नजर रखें।
रात के समय लो बीम/हाई बीम का सही उपयोग करें।
वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें।
लंबी यात्रा से पहले वाहन की ब्रेक, टायर और लाइट की जांच करें।
थकान महसूस होने पर वाहन रोककर विश्राम करें।
धुंध या कोहरे में हैज़र्ड लाइट और फॉग लाइट का प्रयोग करें।
गंगा एक्सप्रेस-वे शुरू होने के बाद बढ़ेगी समस्या
जिले में अब तक किसी भी हाईवे पर टोल प्लाजा नहीं है। निर्माणाधीन गंगा एक्सप्रेस-वे पर तीन इंटरचेंज जिले में बन रहे हैं। इन तीनों जगहों पर टोल प्लाजा भी बनाया जा रहा है। इसके शुरू होने के बाद और अधिक सतर्कता बरतनी होगी, नहीं तो हादसे सामने आ सकते हैं।
हाईवे पर नियमित पेट्रोलिंग होती है। इस समय बरेली-मथुरा हाईवे पर निर्माण कार्य भी चल रहा है। कोहरे में लोग सतर्क होकर वाहन चलाएं और सुरक्षित सफर करें। विभाग की टीमें लगातार सक्रिय रहती है। - उत्कर्ष शुक्ला, परियोजना निदेशक, एनएचआई
हाईवे के किनारे जितने भी थाना व चौकी हैं वहां के पुलिस कर्मियों को लगातार अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। रात व दिन में पुलिस की टीमें लगातार पेट्रोलिंग करती हैं। यदि कोई पुलिस कर्मी ड्यूटी में लापरवाही कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. बृजेश कुमार सिंह, एसएसपी

चंदौसी -बिसौली रोड पर नहीं दिखे सुरक्षा के कोई इंतजाम। संवाद

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