Hepatitis B in UP: चंदौली के गांव में एक ही परिवार के पांच लोग मिले हेपेटाइटिस-बी संक्रमित, नहीं पता लग पा रहा
चंदौली के गांव में एक ही परिवार के पांच लोग हेपेटाइटिस-बी संक्रमित मिले।
पेट दर्द और उल्टी की शिकायत पर वाराणसी के शास्त्री अस्पताल रामनगर में सभी की जांच कराई थी।

विस्तार
नियामताबाद विकास खंड के लौंदा झांसी गांव में एक ही परिवार के 5 लोग हेपेटाइटिस बी संक्रमित मिले हैं। परिवार के अन्य 14 लोगों की भी जांच कराई गई जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। चिंता की बात यह है कि अब तक स्वास्थ्य विभाग को इसकी मुख्य वजह पता नहीं चल पाई है। अब परिवारवालों की आगे की जांच और इलाज बीएचयू में करवाने की तैयारी चल रही है।

ग्रामीणों की मानें तो एक सप्ताह पहले गांव के लोगों को पेट दर्द और उल्टी की शिकायत मिली। इस पर परिवार के लोग रामनगर स्थित लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल आए। यहां 19 लोगों की जांच की गई। सीएमएस डॉ. गिरीश चंद्र द्विवेदी ने बताया कि अस्पताल में जिन 19 लोगों की जांच हुई है, उसमें पांच लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, बाकी 14 रिपोर्ट निगेटिव आई है। संक्रमितों में 65 वर्षीय महिला के साथ ही 24-28-32-37 साल के चार युवक भी हैं। रिपोर्ट पॉजिटिव आने की जानकारी तुरंत सीएमओ चंदौली को दी गई।
आज स्वास्थ्य विभाग की टीम ने लिया दोबारा सैंपल
नियामताबाद के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. रविकांत सिंह ने बताया कि लौंदा झांसी गांव में 5 लोग हेपेटाइटिस बी संक्रमित मिले हैं। सोमवार को गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची। यहां लैब टेक्निशियन की मदद से संक्रमितों के साथ अन्य लोगों की भी फिर से जांच करवाने के लिए सैंपल लिया गया। यही नहीं गांव में संक्रमण कैसे फैला इसकी भी पूरी जांच गई। सीएमओ डॉ. युगल किशोर राय ने बताया कि लौंदा गांव में संक्रमितों की सूची वाराणसी के शास्त्री अस्पताल रामनगर के सीएमएस के माध्यम से मिली है।
आईएमएस बीएचयू में निशुल्क, जांच की है व्यवस्था
आईएमएस बीएचयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. देवेश प्रकाश यादव ने बताया कि विभाग में हेपेटाइटिस की जांच और उपचार की निशुल्क व्यवस्था है। ओपीडी में आने वाले मरीजों के साथ ही अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से भी मरीजों को इस बारे में जागरूक किया जाता है। आम तौर पर मां से बच्चे में हेपेटाइटिस होने की संभावना अधिक रहती है। अगर कोई गर्भवती महिला हैं और हेपेटाइटिस बी है, तो उसके होने वाले बच्चे में इसके होने की संभावना रहती है।