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Chandauli News: सड़क पार है स्कूल, तीन साल में घट गए 179 बच्चे
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पीडीडीयू नगर-पड़ाव मार्ग पर दुलहीपुर के समीप सिक्स लेन पार करते कंपोजिट विद्यालय के बच्चे। संवा
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सिक्स लेन हाईवे पर दौड़ते तेज रफ्तार ट्रकों और बसों के बीच से रोजाना 5 से 10 साल तक के 200 बच्चे स्कूल पहुंचने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। पिछले तीन वर्षों में दुलहीपुर कंपोजिट विद्यालय से 179 बच्चे कम हुए हैं। इनमें सड़क पार करना भी एक प्रमुख कारण है।
कई ने सरकारी स्कूल छोड़ निजी स्कूलों का रुख कर लिया, जबकि बाकी बच्चे सड़क पार करने को मजबूर हैं। स्कूल के ठीक सामने सिक्स लेन बनने के बावजूद निर्माण के दौरान न कट बनाया गया, न अंडरपास, न क्रॉसिंग, न चेतावनी बोर्ड और न ही जेब्रा लाइन।
हाईवे से रोज 1400 से अधिक ट्रक और 8000 से अधिक वाहन गुजरते हैं, जिनकी रफ्तार निर्माण पूरा होने के साथ और तेज हो गई है।
ऐसे में हर सुबह और दोपहर बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। पड़ाव से गोधना तक सिक्स लेन का निर्माण किया जा रहा है। फिलहाल सिक्स लेन का निर्माण 90 प्रतिशत पूरा हो गया है। पीडीडीयू नगर में निर्माण चल रहा है।
सिक्स लेन से सटे दुलहीपुर में परिषदीय विद्यालय है। दुलहीपुर, करवत, डांडी आदि सभी गांव स्कूल के दूसरे तरफ ही पड़ते हैं। ऐसे में वहां से स्कूल आने वाले बच्चों को सुबह स्कूल आने के समय और शाम को छुट्टी होने के बाद सिक्स लेन को पैदल ही पार करना पड़ता है।
200 में 100 से ज्यादा बच्चे 5-10 साल के हैं, ऐसे में कभी भी हादसा हो सकता है। प्रधानाध्यापिका शशि सिंह ने कहा कि बच्चों की छुट्टी के बाद छह शिक्षिकाएं मिलकर रस्सी पकड़कर सड़क पार कराती हैं।
इसके बावजूद तेज रफ्तार वाहनों के कारण हर रोज बहस और टकराव की नौबत आ जाती है। विभागीय अफसरों को शिकायत भेजी गई है, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला।
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तीन साल में ऐसे घटी बच्चों की संख्या
2022 : 710 छात्र
2023 : 627 छात्र
2024 : 527 छात्र
2025 : 531 छात्र (सिर्फ 4 की बढ़ोतरी भी शिक्षकों की घर-घर मुहिम का नतीजा)
नियम क्या कहते हैं?
सड़क निर्माण के दौरान अगर मार्ग के किनारे स्कूल, अस्पताल या सार्वजनिक स्थल हों, तो एप्रोच कट, अंडरपास, चेतावनी बोर्ड और जेब्रा क्रॉसिंग अनिवार्य रूप से बनाया जाना चाहिए लेकिन सिक्स लेन बनाने वाली कार्यदायी संस्था ने इन नियमों की अनदेखी कर बच्चों की जान को खतरे में डाल दिया है।
तीन बजे छुट्टी के बाद हम छह शिक्षक मिलकर बच्चों को रस्सी से सड़क पार कराते हैं। वाहन चालक सुनते नहीं। रोज किचकिच करनी पड़ती है। स्कूल आने के समय बच्चों को दिक्कत होती है। -शशि सिंह, प्रधानाध्यापिका
जहां स्कूल हैं, वहां जेब्रा लाइन व अन्य इंतजाम किए जाएंगे, लेकिन ये काम निर्माण पूरा होने के बाद होता है। फिलहाल बच्चों के सुरक्षित आने-जाने के लिए अस्थायी व्यवस्था कराने पर विचार कर रहे हैं। -राजेश कुमार, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी
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कई ने सरकारी स्कूल छोड़ निजी स्कूलों का रुख कर लिया, जबकि बाकी बच्चे सड़क पार करने को मजबूर हैं। स्कूल के ठीक सामने सिक्स लेन बनने के बावजूद निर्माण के दौरान न कट बनाया गया, न अंडरपास, न क्रॉसिंग, न चेतावनी बोर्ड और न ही जेब्रा लाइन।
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हाईवे से रोज 1400 से अधिक ट्रक और 8000 से अधिक वाहन गुजरते हैं, जिनकी रफ्तार निर्माण पूरा होने के साथ और तेज हो गई है।
ऐसे में हर सुबह और दोपहर बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। पड़ाव से गोधना तक सिक्स लेन का निर्माण किया जा रहा है। फिलहाल सिक्स लेन का निर्माण 90 प्रतिशत पूरा हो गया है। पीडीडीयू नगर में निर्माण चल रहा है।
सिक्स लेन से सटे दुलहीपुर में परिषदीय विद्यालय है। दुलहीपुर, करवत, डांडी आदि सभी गांव स्कूल के दूसरे तरफ ही पड़ते हैं। ऐसे में वहां से स्कूल आने वाले बच्चों को सुबह स्कूल आने के समय और शाम को छुट्टी होने के बाद सिक्स लेन को पैदल ही पार करना पड़ता है।
200 में 100 से ज्यादा बच्चे 5-10 साल के हैं, ऐसे में कभी भी हादसा हो सकता है। प्रधानाध्यापिका शशि सिंह ने कहा कि बच्चों की छुट्टी के बाद छह शिक्षिकाएं मिलकर रस्सी पकड़कर सड़क पार कराती हैं।
इसके बावजूद तेज रफ्तार वाहनों के कारण हर रोज बहस और टकराव की नौबत आ जाती है। विभागीय अफसरों को शिकायत भेजी गई है, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला।
तीन साल में ऐसे घटी बच्चों की संख्या
2022 : 710 छात्र
2023 : 627 छात्र
2024 : 527 छात्र
2025 : 531 छात्र (सिर्फ 4 की बढ़ोतरी भी शिक्षकों की घर-घर मुहिम का नतीजा)
नियम क्या कहते हैं?
सड़क निर्माण के दौरान अगर मार्ग के किनारे स्कूल, अस्पताल या सार्वजनिक स्थल हों, तो एप्रोच कट, अंडरपास, चेतावनी बोर्ड और जेब्रा क्रॉसिंग अनिवार्य रूप से बनाया जाना चाहिए लेकिन सिक्स लेन बनाने वाली कार्यदायी संस्था ने इन नियमों की अनदेखी कर बच्चों की जान को खतरे में डाल दिया है।
तीन बजे छुट्टी के बाद हम छह शिक्षक मिलकर बच्चों को रस्सी से सड़क पार कराते हैं। वाहन चालक सुनते नहीं। रोज किचकिच करनी पड़ती है। स्कूल आने के समय बच्चों को दिक्कत होती है। -शशि सिंह, प्रधानाध्यापिका
जहां स्कूल हैं, वहां जेब्रा लाइन व अन्य इंतजाम किए जाएंगे, लेकिन ये काम निर्माण पूरा होने के बाद होता है। फिलहाल बच्चों के सुरक्षित आने-जाने के लिए अस्थायी व्यवस्था कराने पर विचार कर रहे हैं। -राजेश कुमार, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी