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Ghazipur News: कोसा सिल्क साड़ियां और बनारसी लहंगे की मांग
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गहमर। पितृपक्ष के कारण क्षेत्र के बाजारों में धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ी वस्तुओं के साथ पारंपरिक परिधानों की बिक्री में भी वृद्धि देखी जा रही है। कोसा सिल्क साड़ियां और बनारसी लहंगे महिलाओं की पसंद है। इससे स्थानीय बाजारों में रौनक लौट आई है।
पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ, श्राद्ध और तर्पण करते हैं। इस दौरान महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर धार्मिक कार्यों में भाग लेती हैं। ऐसे में कोसा सिल्क की साड़ियों की बढ़ती मांग ने बाजार को नई जान दी है। रेशमी कपड़े की मुलायम बनावट, हल्का वजन और पारंपरिक डिजाइन महिलाओं को विशेष रूप से लुभा रहे हैं। गहमर, करहिया, बारा, सतरामगंज बाजार भदौरा जैसे प्रमुख बाजारों में इन दिनों महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है। दुकानदारों के अनुसार, बनारसी लहंगे खासकर युवा वर्ग में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। पूजा-पाठ से लेकर घरेलू आयोजनों तक महिलाएं इन्हें गर्व से पहन रही हैं।
व्यापारियों का कहना है कि महिलाएं 500 से लेकर 5000 तक की साड़ियां खरीद रही हैं। साड़ी कारोबारी संजय गुप्ता ने बताया कि पिछले दो साल से बिक्री धीमी चल रही थी। इस बार कोसा सिल्क और बनारसी परिधानों की मांग उम्मीद से ज्यादा है।
महिलाएं परंपरा से जुड़ाव के साथ ट्रेंड को भी ध्यान में रख रही हैं। कपड़ा कारोबारी मनीष केसरवानी के अनुसार पितृपक्ष में कुछ साड़ियों के दाम बढ़ने के बाद भी महिलाएं इसकी खरीदारी कर रही हैं। नवरात्र के बाद दीपावली व शादी विवाह के लिए महिलाएं लहंगे और साड़ियों की खरीदारी कर रही हैं। संवाद

पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ, श्राद्ध और तर्पण करते हैं। इस दौरान महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर धार्मिक कार्यों में भाग लेती हैं। ऐसे में कोसा सिल्क की साड़ियों की बढ़ती मांग ने बाजार को नई जान दी है। रेशमी कपड़े की मुलायम बनावट, हल्का वजन और पारंपरिक डिजाइन महिलाओं को विशेष रूप से लुभा रहे हैं। गहमर, करहिया, बारा, सतरामगंज बाजार भदौरा जैसे प्रमुख बाजारों में इन दिनों महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है। दुकानदारों के अनुसार, बनारसी लहंगे खासकर युवा वर्ग में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। पूजा-पाठ से लेकर घरेलू आयोजनों तक महिलाएं इन्हें गर्व से पहन रही हैं।
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व्यापारियों का कहना है कि महिलाएं 500 से लेकर 5000 तक की साड़ियां खरीद रही हैं। साड़ी कारोबारी संजय गुप्ता ने बताया कि पिछले दो साल से बिक्री धीमी चल रही थी। इस बार कोसा सिल्क और बनारसी परिधानों की मांग उम्मीद से ज्यादा है।
महिलाएं परंपरा से जुड़ाव के साथ ट्रेंड को भी ध्यान में रख रही हैं। कपड़ा कारोबारी मनीष केसरवानी के अनुसार पितृपक्ष में कुछ साड़ियों के दाम बढ़ने के बाद भी महिलाएं इसकी खरीदारी कर रही हैं। नवरात्र के बाद दीपावली व शादी विवाह के लिए महिलाएं लहंगे और साड़ियों की खरीदारी कर रही हैं। संवाद