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Gonda News: कार्तिक पूर्णिमा पर तिर्रे मनोरमा मेले में कल उमड़ेंगे श्रद्धालु
संवाद न्यूज एजेंसी, गोंडा
Updated Mon, 03 Nov 2025 11:58 PM IST
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रुपईडीह। कहते हैं कि जहां मन रमे, वहीं मनोरमा और जहां मन की मुराद मिले, वहीं मनवर है। कार्तिक पूर्णिमा पर आगामी बुधवार को जिले में लगने वाले मेलों में तिर्रे मनोरमा मेले का विशिष्ट स्थान है। मेले में जनपद के अलावा पड़ोसी जिलों से भी श्रद्धालु आते हैं और पवित्र सरोवर में स्नान कर दान-पुण्य करते हैं। राम जानकी मंदिर में माथा टेककर श्रद्धालु आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
यह पवित्र स्थल ब्रह्मज्ञानी ऋषि कुमार नचिकेता के पिता महर्षि उद्दालक की तपोभूमि मानी जाती है। इसका उल्लेख महाभारत पुराण के शल्य पर्व में किया गया है। मान्यता है कि महर्षि उद्दालक ने सरस्वती का आह्वान ‘मनोरमा’ नाम से किया था। यज्ञ से पूर्व मां सरस्वती प्रकट हुईं और अपने पावन जल से यज्ञ भूमि को पवित्र करते हुए नदी के रूप में प्रवाहित हो गईं। तीर्थ स्थल होने के बावजूद आज भी यह स्थान बदहाल है। श्रद्धालुओं की भीड़ होने के बावजूद यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव साफ दिखाई देता है।
गांव निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक रुद्र बख्श सिंह और ओमप्रकाश सिंह बताते हैं कि लगभग 200 वर्ष पूर्व गोंडा नरेश राजा देवी बख्श सिंह ने इस सरोवर की खुदाई कराकर राम जानकी मंदिर का निर्माण कराया था। मनवर नदी यहीं से निकलकर ताड़ीताल होते हुए बस्ती जिले के मखौड़ा के पास कुआनो नदी में समाहित हो जाती है। महर्षि उद्दालक ने इसी जंगल में बने एक टीले पर घोर तपस्या की और यहीं देह त्याग दी थी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर का ट्रस्ट बनाया जाए ताकि मंदिर और उसकी संपत्ति की देखभाल सुनिश्चित की जा सके। वर्तमान में मंदिर में कोई नियमित पुजारी नहीं है। यहां दो होमगार्डों की नियमित ड्यूटी रहती है, जो भगवान को भोग लगाते हैं।
मेले में सजने लगीं दुकानें, मगर सुविधाएं नदारद
मेले के लिए दो दिन पहले से ही दूर-दराज से मिठाई, खिलौने और प्रसाद आदि के व्यापारी अपनी दुकानें सजाने लगते हैं। मेले में सैकड़ों क्विंटल गट्टे की बिक्री होती है। इतना प्रसिद्ध मेला होने के बावजूद यहां श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। न ही शौचालय की सुविधा है। मंदिर परिसर के पास निर्माणाधीन सामुदायिक शौचालय पांच वर्ष से अधूरा पड़ा है।
मेले में रहेंगे सुरक्षा इंतजाम
इटियाथोक थानाध्यक्ष कृष्ण गोपाल राय ने बताया कि मेले में उमड़ने वाली भीड़ के मद्देनजर मेला क्षेत्र के चारों ओर बैरिकेडिंग कराई गई है। सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के लिए पुलिस और पीएसी के जवानों की तैनाती की गई है। मेले में अस्थायी पुलिस चौकी और खोया-पाया केंद्र भी स्थापित किया गया है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
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यह पवित्र स्थल ब्रह्मज्ञानी ऋषि कुमार नचिकेता के पिता महर्षि उद्दालक की तपोभूमि मानी जाती है। इसका उल्लेख महाभारत पुराण के शल्य पर्व में किया गया है। मान्यता है कि महर्षि उद्दालक ने सरस्वती का आह्वान ‘मनोरमा’ नाम से किया था। यज्ञ से पूर्व मां सरस्वती प्रकट हुईं और अपने पावन जल से यज्ञ भूमि को पवित्र करते हुए नदी के रूप में प्रवाहित हो गईं। तीर्थ स्थल होने के बावजूद आज भी यह स्थान बदहाल है। श्रद्धालुओं की भीड़ होने के बावजूद यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव साफ दिखाई देता है।
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गांव निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक रुद्र बख्श सिंह और ओमप्रकाश सिंह बताते हैं कि लगभग 200 वर्ष पूर्व गोंडा नरेश राजा देवी बख्श सिंह ने इस सरोवर की खुदाई कराकर राम जानकी मंदिर का निर्माण कराया था। मनवर नदी यहीं से निकलकर ताड़ीताल होते हुए बस्ती जिले के मखौड़ा के पास कुआनो नदी में समाहित हो जाती है। महर्षि उद्दालक ने इसी जंगल में बने एक टीले पर घोर तपस्या की और यहीं देह त्याग दी थी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर का ट्रस्ट बनाया जाए ताकि मंदिर और उसकी संपत्ति की देखभाल सुनिश्चित की जा सके। वर्तमान में मंदिर में कोई नियमित पुजारी नहीं है। यहां दो होमगार्डों की नियमित ड्यूटी रहती है, जो भगवान को भोग लगाते हैं।
मेले में सजने लगीं दुकानें, मगर सुविधाएं नदारद
मेले के लिए दो दिन पहले से ही दूर-दराज से मिठाई, खिलौने और प्रसाद आदि के व्यापारी अपनी दुकानें सजाने लगते हैं। मेले में सैकड़ों क्विंटल गट्टे की बिक्री होती है। इतना प्रसिद्ध मेला होने के बावजूद यहां श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। न ही शौचालय की सुविधा है। मंदिर परिसर के पास निर्माणाधीन सामुदायिक शौचालय पांच वर्ष से अधूरा पड़ा है।
मेले में रहेंगे सुरक्षा इंतजाम
इटियाथोक थानाध्यक्ष कृष्ण गोपाल राय ने बताया कि मेले में उमड़ने वाली भीड़ के मद्देनजर मेला क्षेत्र के चारों ओर बैरिकेडिंग कराई गई है। सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के लिए पुलिस और पीएसी के जवानों की तैनाती की गई है। मेले में अस्थायी पुलिस चौकी और खोया-पाया केंद्र भी स्थापित किया गया है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।