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Hardoi News: बायोकेमिस्ट्री मशीन 17 घंटे रही खराब, किसी का उपचार तो किसी के ऑपरेशन में देरी
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हरदोई। स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय की सेंट्रल पैथोलॉजी में लगी बायोकेमिस्ट्री मशीनें खराब हो गई हैं। मशीनें खराब होने से जांचें ठप हो गई हैं। एक बड़ी मशीन और अन्य छोटी मशीनों के खराब होने से समय से जांचें नहीं हो पा रही हैं। किसी मरीज का उपचार तो किसी का ऑपरेशन रुका हुआ है। मशीन करीब 17 घंटे बंद रही इससे करीब डेढ़ सैकड़ा मरीज परेशान रहे।
मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल की सेंट्रल पैथाेलॉजी में मरीजों की सहूलियत के लिए लगी बायोकेमिस्ट्री मशीन खुद बीमार बनी रहती है। मशीन से मरीजों के लिवर फंक्शन टेस्ट (एलएफटी), किडनी फंक्शन टेस्ट (टीएफटी), कोलेस्ट्रॉल की जांच (लिपिड प्रोफाइल), शुगर व शरीर में इंफेक्शन (ईएसआर) आदि जांचें की जाती हैं। प्रतिदिन दो से ढ़ाई सैकड़ा जांचें होती हैं। बता दें कि सेंट्रल लैब में एक बड़ी बायोकेमिस्ट्री व चार छोटी मशीनें हैं। बीते कुछ दिन से छोटी मशीनों पर रक्त नमूनाें का परीक्षण नहीं हो पा रहा है और बड़ी मशीन प्रयोग में लाई जा रही थीं।
इसमें एक बार में 75 से 80 रक्त नमूने लग सकते हैं। अब यही मशीन बुधवार देर रात को बंद हो गई थी। 17 घंटे मशीन बंद रहने से जांचें ठप हो गई हैं। करीब 145 मरीजों की जांच रिपोर्ट भी लंबित हो हैं। इसके अलावा बृहस्पतिवार को मरीजों की जांच के नमूने भी बेहद कम संख्या में लिए गए। ऑपरेशन के लिए रुके मरीजों को भी परेशान होना पड़ा।
केस-1- जलपीपुर निवासी ईतू कुमारी गर्भवती हैं और बृहस्पतिवार को उनका ऑपरेशन होना था। उनके पति मंजेश कुमार और आशा रक्त नमूने के लिए भटकतीं नजर आईं लेकिन सेंट्रल लैब में घंटों तक रक्त परीक्षण ही नहीं हो पाया।
केस-2- शहर निवासी शांति देवी ने चिकित्सक को दिखाया। उनकी सीबीसी, एचआईवी और अन्य जांचें होनी थीं। मशीन खराब होने से मरीज को निजी लैब से जांच करानी पड़ी।
बायोकेमिस्ट्री की बड़ी मशीन में कुछ खराबी आने से वह बंद हो गई थी लेकिन देर शाम तक मशीन को दुरुस्त कर लिया गया। इसके बाद लिए गए रक्त नमूनों की जांच कर रिपोर्ट मरीजों को दे दी गईं। -डॉ. जेबी गोगोई, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज
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मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल की सेंट्रल पैथाेलॉजी में मरीजों की सहूलियत के लिए लगी बायोकेमिस्ट्री मशीन खुद बीमार बनी रहती है। मशीन से मरीजों के लिवर फंक्शन टेस्ट (एलएफटी), किडनी फंक्शन टेस्ट (टीएफटी), कोलेस्ट्रॉल की जांच (लिपिड प्रोफाइल), शुगर व शरीर में इंफेक्शन (ईएसआर) आदि जांचें की जाती हैं। प्रतिदिन दो से ढ़ाई सैकड़ा जांचें होती हैं। बता दें कि सेंट्रल लैब में एक बड़ी बायोकेमिस्ट्री व चार छोटी मशीनें हैं। बीते कुछ दिन से छोटी मशीनों पर रक्त नमूनाें का परीक्षण नहीं हो पा रहा है और बड़ी मशीन प्रयोग में लाई जा रही थीं।
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इसमें एक बार में 75 से 80 रक्त नमूने लग सकते हैं। अब यही मशीन बुधवार देर रात को बंद हो गई थी। 17 घंटे मशीन बंद रहने से जांचें ठप हो गई हैं। करीब 145 मरीजों की जांच रिपोर्ट भी लंबित हो हैं। इसके अलावा बृहस्पतिवार को मरीजों की जांच के नमूने भी बेहद कम संख्या में लिए गए। ऑपरेशन के लिए रुके मरीजों को भी परेशान होना पड़ा।
केस-1- जलपीपुर निवासी ईतू कुमारी गर्भवती हैं और बृहस्पतिवार को उनका ऑपरेशन होना था। उनके पति मंजेश कुमार और आशा रक्त नमूने के लिए भटकतीं नजर आईं लेकिन सेंट्रल लैब में घंटों तक रक्त परीक्षण ही नहीं हो पाया।
केस-2- शहर निवासी शांति देवी ने चिकित्सक को दिखाया। उनकी सीबीसी, एचआईवी और अन्य जांचें होनी थीं। मशीन खराब होने से मरीज को निजी लैब से जांच करानी पड़ी।
बायोकेमिस्ट्री की बड़ी मशीन में कुछ खराबी आने से वह बंद हो गई थी लेकिन देर शाम तक मशीन को दुरुस्त कर लिया गया। इसके बाद लिए गए रक्त नमूनों की जांच कर रिपोर्ट मरीजों को दे दी गईं। -डॉ. जेबी गोगोई, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज