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हुनरमंद बने और आंखें खोलें : कुलपति
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शहर के रामेश्वरदास अग्रवाल कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन रविवार को शुरू हुआ। इसका विषय ''उच्च शिक्षा एवं कौशल विकास : भारत में आजीविका के लिए संभावनाएं और चुनौतियां '' रहा। मुख्य अतिथि आरएमपीयू के कुलपति प्रो. नरेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि हुनरमंद बने और आंखें खोलें, ज्ञान सर्वत्र हैं।
उन्होंने कहा कि यह देखना आवश्यक है कि व्यक्ति की योग्यता का उपयोग किस प्रकार हो रहा है। व्यक्तिगत क्षमता बढ़ाने के लिए विदेश जाने की आवश्यकता नहीं है। शिक्षा को खरीद-वस्तु बनाना सबसे बडा अपराध है। इससे ज्ञान नहीं मिलता केवल डिग्री मिलती है। हमें अपनी सोच और समाज दोनों में परिवर्तन लाना होगा।
प्राचार्य ने कहा कि भारत का उद्देश्य नवाचार के साथ कौशल और क्षमता को बढ़ाना है। अमित सिंह ने कहा कि शिक्षा और रोजगार के आंकड़े देखते हुए छात्र-छात्राओं की व्यक्तिगत क्षमता को बढ़ाने के लिए संस्थान और महाविद्यालय स्तर पर प्रयास होने चाहिए। नलिनी भाटिया ने कहा कि युवा होने पर नहीं, बल्कि बाल्यकाल से ही बच्चे की रुचि और क्षमता को देखते हुए उसके विकास का निरंतर प्रयास करना चाहिए।
सम्मेलन से ऑनलाइन जुड़े पोलैंड के प्रो. क्रिस्टोफ स्टैक ने कहा कि विश्व में ज्ञान सर्वत्र है, केवल उसे उपयोगी बनाने की आवश्यकता है। छात्र इंटरनेट की मदद से यह कर सकते हैं। प्रो. मुकेश भारद्वाज ने कहा कि शिक्षण संस्थान का उद्देश्य केवल शिक्षा देना न होकर संस्कार देना भी होना चाहिए।
इससे पहले प्रो. मीता कौशल ने संगीतमय सरस्वती वंदना और स्वागत गान पेश किया। मुख्य वक्ता अमित सिंह, विशिष्ट अतिथि प्राचार्य डीएस कालेज अलीगढ़ प्रो. मुकेश भारद्वाज, अधिवक्ता नलिनी भाटिया यूएसए, प्राचार्य आरडी डिग्री कालेज प्रो. सुषमा यादव और कॉलेज के अध्यक्ष पदम नारायण अग्रवाल रहे। डॉ. ललितेश तिवारी ने आभार व्यक्त किया। संचालन डॉ. अनामिका सिंह एवं डॉ. बरखा भारद्वाज ने किया। तकनीकी सत्र का संचालन डॉ. प्रियंका सरोज ने किया।
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उन्होंने कहा कि यह देखना आवश्यक है कि व्यक्ति की योग्यता का उपयोग किस प्रकार हो रहा है। व्यक्तिगत क्षमता बढ़ाने के लिए विदेश जाने की आवश्यकता नहीं है। शिक्षा को खरीद-वस्तु बनाना सबसे बडा अपराध है। इससे ज्ञान नहीं मिलता केवल डिग्री मिलती है। हमें अपनी सोच और समाज दोनों में परिवर्तन लाना होगा।
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प्राचार्य ने कहा कि भारत का उद्देश्य नवाचार के साथ कौशल और क्षमता को बढ़ाना है। अमित सिंह ने कहा कि शिक्षा और रोजगार के आंकड़े देखते हुए छात्र-छात्राओं की व्यक्तिगत क्षमता को बढ़ाने के लिए संस्थान और महाविद्यालय स्तर पर प्रयास होने चाहिए। नलिनी भाटिया ने कहा कि युवा होने पर नहीं, बल्कि बाल्यकाल से ही बच्चे की रुचि और क्षमता को देखते हुए उसके विकास का निरंतर प्रयास करना चाहिए।
सम्मेलन से ऑनलाइन जुड़े पोलैंड के प्रो. क्रिस्टोफ स्टैक ने कहा कि विश्व में ज्ञान सर्वत्र है, केवल उसे उपयोगी बनाने की आवश्यकता है। छात्र इंटरनेट की मदद से यह कर सकते हैं। प्रो. मुकेश भारद्वाज ने कहा कि शिक्षण संस्थान का उद्देश्य केवल शिक्षा देना न होकर संस्कार देना भी होना चाहिए।
इससे पहले प्रो. मीता कौशल ने संगीतमय सरस्वती वंदना और स्वागत गान पेश किया। मुख्य वक्ता अमित सिंह, विशिष्ट अतिथि प्राचार्य डीएस कालेज अलीगढ़ प्रो. मुकेश भारद्वाज, अधिवक्ता नलिनी भाटिया यूएसए, प्राचार्य आरडी डिग्री कालेज प्रो. सुषमा यादव और कॉलेज के अध्यक्ष पदम नारायण अग्रवाल रहे। डॉ. ललितेश तिवारी ने आभार व्यक्त किया। संचालन डॉ. अनामिका सिंह एवं डॉ. बरखा भारद्वाज ने किया। तकनीकी सत्र का संचालन डॉ. प्रियंका सरोज ने किया।
