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Train: घने कोहरे में ट्रेनों को रफ्तार दे रही फॉग सेफ्टी डिवाइस, 800 मीटर पहले ही पता चल जाता है सिग्नल का

अमर उजाला नेटवर्क, हाथरस Published by: चमन शर्मा Updated Mon, 22 Dec 2025 04:07 PM IST
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सार

पहले कोहरे की वजह से ट्रेनें अधिकतम 40 से 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ही चल पाती थीं, इस डिवाइस से अधिकतम रफ्तार 75 से 80 किमी प्रति घंटे तक पहुंच रही है।

Fog safety devices speed up trains in dense fog
कोहरे को लेकर ट्रेनों के इंजन में लगी एंटी फॉग सेफ्टी डिवाइस - फोटो : संवाद
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विस्तार
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घने कोहरे को देखते हुए पूर्वोत्तर रेलवे की ओर से सभी ट्रेनों के ड्राइवरों को फॉग सेफ्टी डिवाइस दी गई है। इस डिवाइस की मदद से कोहरे के दौरान ट्रेनों की गति में 10 से 25 किलोमीटर प्रति घंटे का इजाफा हुआ है। जीपीएस तकनीकी पर आधारित इस डिवाइस से ट्रेन के ड्राइवर को सिग्नल का पता लगाने में आसानी हो रही है। उन्हें लगभग 800 मीटर की दूरी से सिग्नल का पता चला जाता है। इसके बाद वे अपनी रफ्तार कम और ज्यादा करते हैं।

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पहले कोहरे की वजह से ट्रेनें अधिकतम 40 से 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ही चल पाती थीं, इस डिवाइस से अधिकतम रफ्तार 75 से 80 किमी प्रति घंटे तक पहुंच रही है। पूर्वोत्तर रेलवे के मथुरा-कासगंज रेल खंड पर कुछ साल पहले तक कोहरे के समय में सिग्नल मैन को रेलवे ट्रैक पर डेटोनेटर (पटाखे) फोड़ने पड़ते थे, ताकि ट्रेन के ड्राइवर को सिग्नल का पता चल सके, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

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फॉग सेफ्टी डिवाइस सभी ट्रेनों में है। घने कोहरे में यह काफी कारगर साबित हो रही है। इससे कोहरे में ट्रेनों की गति में इजाफा हुआ है, ट्रेनों के ड्राइवरों को भी इससे काफी मदद मिल रही है।-संजीव कुमार शर्मा, वरिष्ठ मंडलीय वाणिज्य प्रबंधक, इज्जतनगर मंडल।

इज्जतनगर मंडल की 240 ट्रेनें फॉग डिवाइस से लैस

पूर्वोत्तर रेलवे की कुल 980 ट्रेनों को एंटी फॉग डिवाइस से लैस कर दिया गया है। इसमें इज्जतनगर मंडल की 240, लखनऊ मंडल की 315 और वाराणसी मंडल की 415 ट्रेनें शामिल हैं।

सिग्नल पोस्टों पर लगाई गईं ल्यूमिनस स्ट्रिप
रेलवे की ओर से सभी सिग्नल साइटिंग बोर्ड और पोस्ट पर लाइन मार्किंग करा दी गई है। सिग्नल और क्रॉसिंग पर लगे बैरियर पर भी ल्यूमिनस स्ट्रिप (प्रकाश उत्सर्जित करने वाली पट्टी या टेप) लगाई गई है।

मथुरा-कासगंज जैसे सिंगल ट्रैक पर अधिक कारगर
फॉग सेफ्टी डिवाइस मथुरा-कासगंज रेल खंड के सिंगल ट्रैक पर अधिक कारगर साबित हो रही है। ऐसी लाइन पर सिग्नल की संख्या कम होती है। ट्रेनों को गुजारने के लिए उन्हें पिछले स्टेशनों पर ही रोक दिया जाता है।

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