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Farmer News: कृषि विवि तैयार कर रहा मशरूम की प्रजातियां, कम पानी और सीमित स्थान में भी होगा मोटा मुनाफा
अमर उजाला नेटवर्क, झांसी
Published by: दीपक महाजन
Updated Tue, 18 Nov 2025 02:17 PM IST
सार
विशेषज्ञों का कहना है कि बुंदेलखंड में मशरूम उत्पादन एक उभरता हुआ लाभकारी व्यवसाय है। इसके लिए कम पानी, कम स्थान और नियंत्रित वातावरण भी जरूरी है।
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मशरूम
- फोटो : संवाद
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विस्तार
रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में मशरूम उत्पादन और उद्यमिता केंद्र में अलग-अलग प्रजातियों की मशरूम तैयार हो रही है। किसान विश्वविद्यालय से मशरूम लेकर अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए भी यहां संपर्क कर सकते हैं।
पादप रोग वैज्ञानिक एवं सहायक प्राध्यापक डॉ. शुभा त्रिवेदी ने बताया कि उद्यमिता केंद्र लगातार प्रशिक्षण देकर किसानों को आधुनिक मशरूम उत्पादन तकनीक, प्रसंस्करण और उद्यमिता विकास से जोड़ रहा है। उच्च गुणवत्ता वाला खादी और औषधीय मशरूम का स्पॉन भी रियायती दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है। केंद्र पर तैयार होने वाली प्रमुख प्रजातियों में बटन मशरूम, धींगरी, शिटाके, किंग ओएस्टर, सफेद धींगरी और मिल्की मशरूम शामिल हैं। इनका मूल्य विश्वविद्यालय ने सिर्फ सौ रुपये प्रति किलो तय किया है। ताकि, सीमित संसाधनों वाले किसान भी आसानी से उत्पादन शुरू कर सकें।
विशेषज्ञों का कहना है कि बुंदेलखंड में मशरूम उत्पादन एक उभरता हुआ लाभकारी व्यवसाय है। इसके लिए कम पानी, कम स्थान और नियंत्रित वातावरण भी जरूरी है, जिससे यह किसानों के लिए उपयुक्त विकल्प बन रहा है। विश्वविद्यालय का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक किसान, महिला स्वयं सहायता समूह और युवा उद्यमी मशरूम आधारित व्यापार अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ाएं।
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पादप रोग वैज्ञानिक एवं सहायक प्राध्यापक डॉ. शुभा त्रिवेदी ने बताया कि उद्यमिता केंद्र लगातार प्रशिक्षण देकर किसानों को आधुनिक मशरूम उत्पादन तकनीक, प्रसंस्करण और उद्यमिता विकास से जोड़ रहा है। उच्च गुणवत्ता वाला खादी और औषधीय मशरूम का स्पॉन भी रियायती दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है। केंद्र पर तैयार होने वाली प्रमुख प्रजातियों में बटन मशरूम, धींगरी, शिटाके, किंग ओएस्टर, सफेद धींगरी और मिल्की मशरूम शामिल हैं। इनका मूल्य विश्वविद्यालय ने सिर्फ सौ रुपये प्रति किलो तय किया है। ताकि, सीमित संसाधनों वाले किसान भी आसानी से उत्पादन शुरू कर सकें।
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विशेषज्ञों का कहना है कि बुंदेलखंड में मशरूम उत्पादन एक उभरता हुआ लाभकारी व्यवसाय है। इसके लिए कम पानी, कम स्थान और नियंत्रित वातावरण भी जरूरी है, जिससे यह किसानों के लिए उपयुक्त विकल्प बन रहा है। विश्वविद्यालय का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक किसान, महिला स्वयं सहायता समूह और युवा उद्यमी मशरूम आधारित व्यापार अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ाएं।