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Jhansi: हर भवन का बनेगा डिजिटल नक्शा, नगर निगम और राजस्व विभाग के कर्मचारियों को मिला प्रशिक्षण
अमर उजाला नेटवर्क, झांसी
Published by: दीपक महाजन
Updated Fri, 19 Sep 2025 02:36 PM IST
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सार
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान आधारित शहरी बस्तियों का भूमि सर्वेक्षण (नक्शा) योजना शुरू की है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत झांसी और गोरखपुर नगर निगम को शामिल किया गया है।

नगर निगम, झांसी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
शहर के भवनों का डिजिटल नक्शा तैयार करने के लिए हवाई सर्वेक्षण से तैयार डाटा का अब जमीनी सर्वेक्षण शुरू होगा। इसके लिए, नगर निगम और राजस्व विभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। फिर लोगों से आपत्तियां मांगी जाएंगी।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान आधारित शहरी बस्तियों का भूमि सर्वेक्षण (नक्शा) योजना शुरू की है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत झांसी और गोरखपुर नगर निगम को शामिल किया गया है। इसी साल 18 फरवरी को योजना का शुभारंभ होने के बाद हेलीकॉप्टर से हवाई (ड्रोन कैमरा) सर्वे किया जा चुका है। अब जमीनी सर्वेक्षण शुरू किया जाएगा। ये कार्य भू-सर्वे के विशेषज्ञों के साथ नगर निगम और राजस्व विभाग की टीम मिलकर करेगी। फिर दोनों सर्वेक्षणों को जीआईएस तकनीक से जोड़ा जाएगा।
नगर आयुक्त सत्य प्रकाश ने बताया कि जमीनी सर्वेक्षण का कार्य करने वाले कर्मचारियों को दो चरणों में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। ये कार्य पूरा होने के बाद लोगों से आपत्तियां मांगकर निस्तारण किया जाएगा। फिर घरौनी की तर्ज पर ही लोगों को मालिकाना हक का प्रमाणपत्र मिलेगा।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान आधारित शहरी बस्तियों का भूमि सर्वेक्षण (नक्शा) योजना शुरू की है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत झांसी और गोरखपुर नगर निगम को शामिल किया गया है। इसी साल 18 फरवरी को योजना का शुभारंभ होने के बाद हेलीकॉप्टर से हवाई (ड्रोन कैमरा) सर्वे किया जा चुका है। अब जमीनी सर्वेक्षण शुरू किया जाएगा। ये कार्य भू-सर्वे के विशेषज्ञों के साथ नगर निगम और राजस्व विभाग की टीम मिलकर करेगी। फिर दोनों सर्वेक्षणों को जीआईएस तकनीक से जोड़ा जाएगा।
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नगर आयुक्त सत्य प्रकाश ने बताया कि जमीनी सर्वेक्षण का कार्य करने वाले कर्मचारियों को दो चरणों में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। ये कार्य पूरा होने के बाद लोगों से आपत्तियां मांगकर निस्तारण किया जाएगा। फिर घरौनी की तर्ज पर ही लोगों को मालिकाना हक का प्रमाणपत्र मिलेगा।