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Jhansi: दो हजार से शुरु किया था कारोबार...50 लाख टर्नओवर तक पहुंचा, 25 को दिया रोजगार
अमर उजाला नेटवर्क, झांसी
Published by: दीपक महाजन
Updated Sat, 13 Sep 2025 01:31 PM IST
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सार
पिता प्रेमनारायण डोंगरे साइबर कैफे चलाते हैं, जो कोविड काल में बंद रहा। इसके बाद प्रतिभा ने अपनी कला को आय का जरिया बनाने का फैसला लिया।

महिला उद्यमी प्रतिभा
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
‘मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया..’ मजरूह सुल्तानपुरी की ये लाइनें पुलिया नं. नौ की प्रतिभा डोंगरे पर चरितार्थ होती है। उन्होंने बुंदेलखंड की चितेरी कला को स्वरोजगार का माध्यम बनाया। वर्ष 2022 में पिता से दो हजार रुपये लेकर चितेरी कला पर आधारित कई प्रोडक्ट बनाए, जो लोगों को इतना ज्यादा भाया कि अब 50 लाख से ज्यादा का टर्नओवर हो गया है। करीब 25 महिलाओं को जोड़कर उन्हें जीविका दी है।
प्रतिभा डोंगरे ने 2020 में ग्वालियर से आर्ट से पीजी किया। पिता प्रेमनारायण डोंगरे साइबर कैफे चलाते हैं, जो कोविड काल में बंद रहा। इसके बाद प्रतिभा ने अपनी कला को आय का जरिया बनाने का फैसला लिया। चितेरी कला पर आधारित गमछे बनाए। सप्लाई की समस्या हुई तो नगर निगम, सीडीओ, जिला प्रशासन आदि से संपर्क किया। सभी ने सम्मान के बतौर दिए जाने वाले गमछा के ऑर्डर देना शुरू कर दिया। इसके साथ ही पेंटिंग, तोरण, फैशनेबल जूट के प्रोडक्ट बनाना शुरू किया, जो लोगों को इतने ज्यादा भाए कि मांग तेजी से बढ़ने लगी।
महिलाओं को अपने रोजगार से मदद के लिए जोड़ा। इस समय 25 महिलाएं उनके साथ काम कर रही हैं और टर्नओवर 50 लाख से ज्यादा हो गया है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष सांसद अनुराग शर्मा सिडनी गए थे, जहां आए 57 देशों के प्रतिनिधियों का सांसद ने उनके यहां बने गमछों से सम्मान किया। अब वह जर्मनी की एक कंपनी के अधिकृत अधिकारी डॉ. मार्क ओलिवर से चितेरी कला व जूट से बने प्रोडक्ट की सप्लाई के लिए एमओयू करने जा रही हैं।

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प्रतिभा डोंगरे ने 2020 में ग्वालियर से आर्ट से पीजी किया। पिता प्रेमनारायण डोंगरे साइबर कैफे चलाते हैं, जो कोविड काल में बंद रहा। इसके बाद प्रतिभा ने अपनी कला को आय का जरिया बनाने का फैसला लिया। चितेरी कला पर आधारित गमछे बनाए। सप्लाई की समस्या हुई तो नगर निगम, सीडीओ, जिला प्रशासन आदि से संपर्क किया। सभी ने सम्मान के बतौर दिए जाने वाले गमछा के ऑर्डर देना शुरू कर दिया। इसके साथ ही पेंटिंग, तोरण, फैशनेबल जूट के प्रोडक्ट बनाना शुरू किया, जो लोगों को इतने ज्यादा भाए कि मांग तेजी से बढ़ने लगी।
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महिलाओं को अपने रोजगार से मदद के लिए जोड़ा। इस समय 25 महिलाएं उनके साथ काम कर रही हैं और टर्नओवर 50 लाख से ज्यादा हो गया है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष सांसद अनुराग शर्मा सिडनी गए थे, जहां आए 57 देशों के प्रतिनिधियों का सांसद ने उनके यहां बने गमछों से सम्मान किया। अब वह जर्मनी की एक कंपनी के अधिकृत अधिकारी डॉ. मार्क ओलिवर से चितेरी कला व जूट से बने प्रोडक्ट की सप्लाई के लिए एमओयू करने जा रही हैं।