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यूपीएससी: छप्पर के स्कूल से शुरू हुई शिक्षा की बुनियाद, किसान के बेटे ने 248वीं रैंक हासिल कर पाया मुकाम
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Tue, 22 Apr 2025 09:34 PM IST
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सार
UPSC Result: भौसाना गांव के किसान के बेटे ने यूपीएससी में 248वीं रैंक पाई है। आशुतोष शुक्ला को चौथे प्रयास में सफलता मिली। आशुतोष के पिता कैंसर से पीड़ित हैं।

आशुतोष शुक्ला पिता व मां संग
- फोटो : अमर उजाला

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विस्तार
शिवराजपुर के भौसाना निवासी किसान के बेटे आशुतोष शुक्ला ने यूपीएससी परीक्षा में 248वीं रैंक पाकर क्षेत्र का नाम रोशन कर दिया। बेटे की सफलता पर कैंसर पीड़ित पिता और गृहणी मां के जहां खुशी से आंसू नहीं थम रहे हैं। वहीं, गांव में जश्न का माहाैल है। आशुतोष अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता के संघर्ष को देते हैं। कहा कि पिता का सपना था कि बेटा बड़ा अधिकारी बने और उनके सपने पर वह खरे उतरे।
भौसाना गांव निवासी राजीव मोहन शुक्ल उर्फ पंकज छह बीघा खेत में किसानी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं। बताया कि पांचवीं तक आशुतोष गांव में ही भैयालाल के छप्पर वाले स्कूल पढ़ा है। फिर कल्याणपुर इंदिरानगर स्थित सरस्वती ज्ञान मंदिर में आशुतोष को 2014 में 10वीं की परीक्षा में 96 प्रतिशत अंक मिले। वहीं, 2016 में 12वीं की परीक्षा 99 प्रतिशंत अंकों के साथ पास की। बाद में आशुतोष ने दिल्ली के हिंदू काॅलेज से केमिस्ट्री ऑनर्स किया। आशुतोष ने बताया कि उनकी सफलता को श्रेय मां-पिता का है। पिता की इच्छा थी कि वह बड़े अधिकारी बने।
मम्मी मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित करती थीं। जिस कारण मैं नियमित रूप से आठ-नाै घंटे पढ़ पाया और सफल हुआ। आशुतोष ने बताया कि 2021-22 में पिता के कैंसर के बाद उनके सामने आर्थिक और पारिवारिक समस्या आ गई थी, लेकिन भगवान ने उनका साथ दिया। पिता जी के संघर्ष और उनकी मेहनत से चाैथी बार में सफलता मिल गई।
यह भी पढ़ें- 394 रैंक लाकर रूरा की अक्षिता त्रिवेदी ने पाई सफलता, वीडियो कॉल पर मां व पिता को दी खुशखबरी
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भौसाना गांव निवासी राजीव मोहन शुक्ल उर्फ पंकज छह बीघा खेत में किसानी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं। बताया कि पांचवीं तक आशुतोष गांव में ही भैयालाल के छप्पर वाले स्कूल पढ़ा है। फिर कल्याणपुर इंदिरानगर स्थित सरस्वती ज्ञान मंदिर में आशुतोष को 2014 में 10वीं की परीक्षा में 96 प्रतिशत अंक मिले। वहीं, 2016 में 12वीं की परीक्षा 99 प्रतिशंत अंकों के साथ पास की। बाद में आशुतोष ने दिल्ली के हिंदू काॅलेज से केमिस्ट्री ऑनर्स किया। आशुतोष ने बताया कि उनकी सफलता को श्रेय मां-पिता का है। पिता की इच्छा थी कि वह बड़े अधिकारी बने।
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मम्मी मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित करती थीं। जिस कारण मैं नियमित रूप से आठ-नाै घंटे पढ़ पाया और सफल हुआ। आशुतोष ने बताया कि 2021-22 में पिता के कैंसर के बाद उनके सामने आर्थिक और पारिवारिक समस्या आ गई थी, लेकिन भगवान ने उनका साथ दिया। पिता जी के संघर्ष और उनकी मेहनत से चाैथी बार में सफलता मिल गई।
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हमाओ लल्ला पढ़न पर शुरू ते हुशियार हतो
राजीव मोहन बीते चार वर्षों से कैंसर से पीड़ित हैं। गुजर-बसर का साधन खेती है। इसी से परिवार का भरण पोषण करते हैं। पत्नी सुधा देवी गृहणी हैं। साथ ही वह खेती किसानी में भी हाथ बंटाती हैं। तीन बच्चों में आशुतोष, आदित्य शुक्ला और बेटी आन्या हैं। वहीं, बेटे की सफलता पर खुशी से लबरेज मां सुधा ने बताया कि कि हमाओ लल्ला पढ़ने में शुरू ते हुशियार हतो। इंटर के बाद उसकी कल्याणपुर में केमिस्ट्री काेचिंग खोलन की इच्छा थी, लेकिन वह दोस्तों के साथ दिल्ली चलाे गयो और पिता के सपने को उसने पूरा किया।
राजीव मोहन बीते चार वर्षों से कैंसर से पीड़ित हैं। गुजर-बसर का साधन खेती है। इसी से परिवार का भरण पोषण करते हैं। पत्नी सुधा देवी गृहणी हैं। साथ ही वह खेती किसानी में भी हाथ बंटाती हैं। तीन बच्चों में आशुतोष, आदित्य शुक्ला और बेटी आन्या हैं। वहीं, बेटे की सफलता पर खुशी से लबरेज मां सुधा ने बताया कि कि हमाओ लल्ला पढ़ने में शुरू ते हुशियार हतो। इंटर के बाद उसकी कल्याणपुर में केमिस्ट्री काेचिंग खोलन की इच्छा थी, लेकिन वह दोस्तों के साथ दिल्ली चलाे गयो और पिता के सपने को उसने पूरा किया।