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ठेकेदार हत्याकांड: माफिया अनुपम दुबे व साथी बाल किशन को 30 साल बाद उम्रकैद
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, फर्रुखाबाद
Published by: शिखा पांडेय
Updated Wed, 27 Aug 2025 06:27 PM IST
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सार
अनुपम दुबे व उसके साथी को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सनाई है। पिता महेश चंद्र दुबे की हत्या का बदला लेने के लिए अनुपम दुबे ने घटना को अंजाम दिया था।

पुलिस हिरासत में कोर्ट में पेश होने जाते अनुपम दुबे
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पीडब्ल्यूडी ठेकेदार की 30 साल पहले माफिया अनुपम दुबे ने साथियों के साथ मिलकर गोली मारकर हत्या कर दी थी। मामले में सुनवाई कर रहे ईसी एक्ट कोर्ट के न्यायाधीश तरुण कुमार सिंह ने मामले में अनुपम दुबे व साथी बालकिशन उर्फ शिशु को दोषी करार दिया। दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। दोषियों पर 1.03 लाख रुपये बतौर जुर्माना लगाया।
जनपद कन्नौज थाना गुरसहायगंज कस्बा समधन निवासी नसीम ने 26 जुलाई 1995 को भाई शमीम ठेकेदार की हत्या करने की रिपोर्ट अज्ञात के खिलाफ दर्ज कराई थी। इसमें कहा था कि भाई ठेकेदार शमीम की फतेहगढ़ के बजरिया अलीगंज के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई है। इस मामले में माफिया अनुपम दुबे, साथी बाल किशन उर्फ शिशु, राजेंद्र कुमार उर्फ राजू लंगड़ा, कौशल किशोर व लक्ष्मीनारायण का नाम प्रकाश में आया था। मामले में प्रथम विवेचना 26 जुलाई 1995 को फतेहगढ़ प्रभारी निरीक्षक इंद्रजीत सिंह चौहान ने शुरू की।
13 सितंबर को विवेचना सीबीसीआईडी को स्थानांतरित कर दी गई थी। सीबीसीआईडी के इंस्पेक्टर आरपी यादव ने विवेचना कर राजू उर्फ लंगड़ा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। आरोपी राजेंद्र कुमार उर्फ राजू लंगड़ा को न्यायालय से बरी कर दिया गया। इसके बाद मामले की विवेचना सीबीसीआईडी इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार शर्मा ने की। विवेचना पूरी कर इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार शर्मा ने डॉ. अनुपम दुबे, साथी बालकिशन उर्फ शिशु, कौशल किशोर व लक्ष्मीनारायण के खिलाफ हत्या के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया। मामले की सुनवाई के दौरान माफिया के चाचा कौशल किशोर व लक्ष्मीनारायण की मौत हो गई।
अभियोजन पक्ष की ओर से सुदेश प्रताप, तेज सिंह राजपूत, हरिनाथ सिंह, अभिषेक सक्सेना, श्रवण कुमार ने दलीलें दीं। मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश ईसी एक्ट तरुण कुमार सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। गवाहों व साक्ष्यों को मद्देनजर रखते हुए माफिया अनुपम दुबे, साथी बालकिशन उर्फ शिशु को दोषी ठहराया। प्रत्येक दोषी को उम्रकैद व 1.03 लाख रुपये बतौर जुर्माना की सजा सुनाई। जुर्माना अदा न करने पर एक साल अतिरिक्त कारावास भोगना होगा।
माफिया अनुपम दुबे के मामले में सुनवाई की वजह से कचहरी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे। कचहरी परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया। आठ थानों की फोर्स के साथ ही तीन सीओ मौजूद रहे। एएसपी डॉ. संजय कुमार ने भी सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। ड्रोन कैमरे से पूरी कचहरी परिसर में आने-जाने वालों सहित सभी छोटी-बड़ी गतिविधियों पर नजर रखी गई।

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13 सितंबर को विवेचना सीबीसीआईडी को स्थानांतरित कर दी गई थी। सीबीसीआईडी के इंस्पेक्टर आरपी यादव ने विवेचना कर राजू उर्फ लंगड़ा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। आरोपी राजेंद्र कुमार उर्फ राजू लंगड़ा को न्यायालय से बरी कर दिया गया। इसके बाद मामले की विवेचना सीबीसीआईडी इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार शर्मा ने की। विवेचना पूरी कर इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार शर्मा ने डॉ. अनुपम दुबे, साथी बालकिशन उर्फ शिशु, कौशल किशोर व लक्ष्मीनारायण के खिलाफ हत्या के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया। मामले की सुनवाई के दौरान माफिया के चाचा कौशल किशोर व लक्ष्मीनारायण की मौत हो गई।
अभियोजन पक्ष की ओर से सुदेश प्रताप, तेज सिंह राजपूत, हरिनाथ सिंह, अभिषेक सक्सेना, श्रवण कुमार ने दलीलें दीं। मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश ईसी एक्ट तरुण कुमार सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। गवाहों व साक्ष्यों को मद्देनजर रखते हुए माफिया अनुपम दुबे, साथी बालकिशन उर्फ शिशु को दोषी ठहराया। प्रत्येक दोषी को उम्रकैद व 1.03 लाख रुपये बतौर जुर्माना की सजा सुनाई। जुर्माना अदा न करने पर एक साल अतिरिक्त कारावास भोगना होगा।
माफिया अनुपम दुबे के मामले में सुनवाई की वजह से कचहरी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे। कचहरी परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया। आठ थानों की फोर्स के साथ ही तीन सीओ मौजूद रहे। एएसपी डॉ. संजय कुमार ने भी सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। ड्रोन कैमरे से पूरी कचहरी परिसर में आने-जाने वालों सहित सभी छोटी-बड़ी गतिविधियों पर नजर रखी गई।