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एक्सक्लूसिव: फ्रॉस्ट के फ्रॉड में वीवा मर्चेंट्स और ओलंपिक ऑयल भी शामिल, सीबीआई ने शुरु की जांच
प्रदीप अवस्थी, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Sun, 29 Aug 2021 10:10 AM IST
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सार
सीबीआई ने शरद भरतिया की कंपनी वीवा मर्चेंट्स के खिलाफ इंडियन ओवरसीज बैंक की शिकायत पर करीब चार माह पूर्व जांच शुरू की थी। आरोप है कि कंपनी ने लेटर ऑफ क्रेडिट का दुरुपयोग करके बैंक को करीब 177 करोड़ रुपये का चूना लगाया।

विक्रम कोठारी, उदय देसाई
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
कानपुर के हीरा कारोबारी उदय देसाई की कंपनी फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के करीब 3500 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड में शहर की दो और कंपनियों के शामिल होने का खुलासा हुआ है। ये कंपनियां हैं वीवा मर्चेंट्स और ओलंपिक ऑयल लिमिटेड। वीवा मर्चेंट्स का ऑफिस स्वरूपनगर में है, जबकि ओलंपिक ऑयल का मुंबई में। इन दोनों कंपनियों के निदेशकों में शहर के कारोबारी शरद भरतिया का नाम शामिल है।
ओलंपिक ऑयल का सालाना टर्नओवर करीब दो हजार करोड़ रुपये रहा है। सीबीआई ने शरद भरतिया की कंपनी वीवा मर्चेंट्स के खिलाफ इंडियन ओवरसीज बैंक की शिकायत पर करीब चार माह पूर्व जांच शुरू की थी। आरोप है कि कंपनी ने लेटर ऑफ क्रेडिट का दुरुपयोग करके बैंक को करीब 177 करोड़ रुपये का चूना लगाया।
सीबीआई ने जांच शुरू की तो पता चला कि वीवा मर्चेंट्स का लिंक ओलंपिक ऑयल और फ्रॉस्ट इंटरनेशनल से भी है। ओलंपिक ऑयल और फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के खिलाफ पहले ही सीबीआई जांच चल रही है। इस वजह से सीबीआई ने तीनों कंपनियों के बैंक फ्रॉड मामलों की संयुक्त रूप से जांच शुरू की है। जांच में अब वीवा मर्चेंट्स के दस्तावेज भी शामिल किए हैं।

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ओलंपिक ऑयल का सालाना टर्नओवर करीब दो हजार करोड़ रुपये रहा है। सीबीआई ने शरद भरतिया की कंपनी वीवा मर्चेंट्स के खिलाफ इंडियन ओवरसीज बैंक की शिकायत पर करीब चार माह पूर्व जांच शुरू की थी। आरोप है कि कंपनी ने लेटर ऑफ क्रेडिट का दुरुपयोग करके बैंक को करीब 177 करोड़ रुपये का चूना लगाया।
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सीबीआई ने जांच शुरू की तो पता चला कि वीवा मर्चेंट्स का लिंक ओलंपिक ऑयल और फ्रॉस्ट इंटरनेशनल से भी है। ओलंपिक ऑयल और फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के खिलाफ पहले ही सीबीआई जांच चल रही है। इस वजह से सीबीआई ने तीनों कंपनियों के बैंक फ्रॉड मामलों की संयुक्त रूप से जांच शुरू की है। जांच में अब वीवा मर्चेंट्स के दस्तावेज भी शामिल किए हैं।
पता चला है कि लोहा, सिल्क, कंप्यूटर पार्ट्स, सोयाबीन और स्टार्च की मर्चेंट ट्रेडिंग करने वाली कंपनी वीवा मर्चेंट्स का पूरा कारोबार सिर्फ कागजों में था। अपनी जुगलबंदी के कारोबारियों के नाम पर देश-विदेश में कंपनियां खोलकर उन्हीं में पैसा घुमाया जाता था। एक जगह उधारी दिखाकर लेटर ऑफ क्रेेडिट के जरिये रकम हासिल कर ली जाती थी। इस तरह से 10 करोड़ रुपये से शुरू हुई क्रेडिट लिमिट 177 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
लिमिट बढ़ने पर बैंक ने डिपॉजिट जब्त करने शुरू किए तो कंपनी ने अपना कारोबार ही समेट लिया। बैंक को जवाब दिया गया कि उधारी की रकम फंस गई। दरअसल न तो कहीं सामान बेचा गया और न कहीं उधारी हुई। शातिर चार्टर्ड एकाउंटेंटों की लिखापढ़ी ने कागजों में ही सबकुछ दिखा दिया और बैंक का पैसा फर्जी फर्मों के जरिये कहीं और खपा दिया गया।
स्वरूपनगर में प्रिंट होते थे चीन के इनवाइस
वीवा मर्चेंट्स का कारोबार चीन की कंपनियों के साथ होना दिखाया गया। इस कारोबार में जो इनवाइस जारी की गईं, उनकी प्रिंटिंग वीवा के स्वरूपनगर स्थित ऑफिस में ही होती थी। सीबीआई को ये सबूत भी हाथ लगे हैं।
2013 में भी एक साथ हुई थी जांच
वर्ष 2013 में आयकर विभाग ने फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के प्रतिष्ठानों पर छापा मारा था। इस जांच में भी वीवा के लिंक मिले थे। तब दोनों कंपनियों की संयुक्त जांच शुरू हुई थी। आयकर विभाग ने इस जांच को आइस कैंडी नाम दिया गया था।
लिमिट बढ़ने पर बैंक ने डिपॉजिट जब्त करने शुरू किए तो कंपनी ने अपना कारोबार ही समेट लिया। बैंक को जवाब दिया गया कि उधारी की रकम फंस गई। दरअसल न तो कहीं सामान बेचा गया और न कहीं उधारी हुई। शातिर चार्टर्ड एकाउंटेंटों की लिखापढ़ी ने कागजों में ही सबकुछ दिखा दिया और बैंक का पैसा फर्जी फर्मों के जरिये कहीं और खपा दिया गया।
स्वरूपनगर में प्रिंट होते थे चीन के इनवाइस
वीवा मर्चेंट्स का कारोबार चीन की कंपनियों के साथ होना दिखाया गया। इस कारोबार में जो इनवाइस जारी की गईं, उनकी प्रिंटिंग वीवा के स्वरूपनगर स्थित ऑफिस में ही होती थी। सीबीआई को ये सबूत भी हाथ लगे हैं।
2013 में भी एक साथ हुई थी जांच
वर्ष 2013 में आयकर विभाग ने फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के प्रतिष्ठानों पर छापा मारा था। इस जांच में भी वीवा के लिंक मिले थे। तब दोनों कंपनियों की संयुक्त जांच शुरू हुई थी। आयकर विभाग ने इस जांच को आइस कैंडी नाम दिया गया था।
फोरेंसिक ऑडिट में खुलीं फर्जीवाड़े की परतें
बैंक ऑफ इंडिया ने ओलंपिक ऑयल के फर्जीवाड़े की सच्चाई जानने के लिए फोरेंसिक ऑडिट कराया था। इसमें वर्ष 2013 से 2018 तक के लेनदेन और कारोबारी गतिविधियों की वैज्ञानिक तरीके से जांच हुई। सामने आया कि कंपनी का लेनदेन फ्रॉस्ट इंटरनेशनल और शरद भरतिया की एक और कंपनी भरतिया कॉमर्शियल से होता था।
फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के निदेशक
उदय देसाई ,सुजय देसाई, सुनील वर्मा समेत चार अन्य।
ओलंपिक ऑयल के निदेशक
राकेश दीपक कुमार देसाई, उदय देसाई के सहयोगी सुनील वर्मा का बेटा निपुन वर्मा, वीवा मर्चेंट के निदेशक शरद भरतिया समेत चार अन्य।
वीवा मर्चेंट्स के निदेशक
शरद कुमार भरतिया और इनके पिता दीनदयाल भरतिया।
बैंक ऑफ इंडिया ने ओलंपिक ऑयल के फर्जीवाड़े की सच्चाई जानने के लिए फोरेंसिक ऑडिट कराया था। इसमें वर्ष 2013 से 2018 तक के लेनदेन और कारोबारी गतिविधियों की वैज्ञानिक तरीके से जांच हुई। सामने आया कि कंपनी का लेनदेन फ्रॉस्ट इंटरनेशनल और शरद भरतिया की एक और कंपनी भरतिया कॉमर्शियल से होता था।
फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के निदेशक
उदय देसाई ,सुजय देसाई, सुनील वर्मा समेत चार अन्य।
ओलंपिक ऑयल के निदेशक
राकेश दीपक कुमार देसाई, उदय देसाई के सहयोगी सुनील वर्मा का बेटा निपुन वर्मा, वीवा मर्चेंट के निदेशक शरद भरतिया समेत चार अन्य।
वीवा मर्चेंट्स के निदेशक
शरद कुमार भरतिया और इनके पिता दीनदयाल भरतिया।