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निगरानी बढी: कितनी पकाई और कितनी बेची ईंट...भट्ठा संचालकों को जीएसटी विभाग को देनी होगी जानकारी
अमित अवस्थी, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Mon, 10 Nov 2025 01:59 PM IST
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : सोशल मीडिया
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ईंट-भट्ठा पर जीएसटी विभाग की निगरानी बढ़ गई है। विभाग के प्रमुख सचिव ने सीजन शुरू होने के साथ ही ईंट-भट्ठों का हर महीने सर्वे करने का निर्देश जारी किया है। इसमें कितनी ईंट पकाई और बेची गईं और कोयले की कितनी खपत हुई बताने के निर्देश जारी किए हैं। प्रमुख सचिव के इस निर्देश का विरोध भी शुरू हो गया है।
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ईंट-भट्ठा संचालकों ने प्रदेश के वित्तमंत्री, जीएसटी के प्रमुख सचिव और जीएसटी कमिश्नर से मुलाकात करके इसे वापस लेने की मांग की है। मुख्यमंत्री से भी मिलने का समय मांगा है। कारोबारियों के मुताबिक जीएसटी में कोई राहत नहीं दी गई। कोयले पर जीएसटी भी बढ़ा दिया गया। इस व्यवस्था से तो ईंट-भट्ठा ही खत्म हो जाएंगे। संचालक कंपाउंडिंग योजना लाने की मांग कर रहे थे, इस पर भी ध्यान नहीं दिया गया।
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शहर में 225 के करीब ईंट-भट्ठा हैं। ईंट भट्ठा कारोबार हमेशा से ही संवेदनशील माना गया है। समाधान योजनाएं भी विभाग की ओर से लाई गईं। कुछ समय पहले प्रमुख सचिव एम. देवराज ने अधिकारियों की मीटिंग में यह निर्देश दिए कि ईंट भट्ठों के राजस्व को सुनिश्चित करने के लिए सीजन में प्रत्येक महीने सर्वेक्षण की व्यवस्था की जाए। इसके बाद अपर आयुक्त, राज्य कर उत्तर प्रदेश शासन ने अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए। इसमें कहा गया कि धारा-71 के सर्वे किए जाएं। ईंट भट्ठा सीजन में प्रत्येक ईंट भट्ठे की फुंकाई शुरू होने से पहले तैयार ईंट, कोयले के स्टॉक का विवरण और हर महीने के स्टॉक का विवरण, चिमनी की फुंकाई की स्थिति को नियमित रूप से तैयार किया जाए। साथ ही इस विवरण को एमआईएस पर फीड किया जाए। मर्चेंट चैंबर ऑफ उत्तर प्रदेश जीएसटी कमेटी के चेयरमैन संतोष कुमार गुप्ता ने बताया कि निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं।
कानपुर ब्रिक क्लिन ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपी श्रीवास्तव ने बताया कि मकान बनाने में ईंट प्रमुख निर्माण सामग्री है। ईंट भट्ठा सीजनल ग्रामीण कुटीर उद्योग है। जीएसटी काउंसिल ने 2017 में ईंट निर्माताओं पर लागू कंपोजीशन स्कीम को मार्च 2022 में समाप्त करके एक के स्थान पर छह और आईटीसी लेने पर पांच प्रतिशत के स्थान पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगा दी थी। तब से व्यापारी जीएसटी दर को कम करने और समाधान योजना लाने की मांग कर रहे थे। लाल ईंटा पर सरकार ने जीएसटी नहीं घटाई। कोयले पर जीएसटी की दर पांच से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दी गई। इससे लाल ईंट बनाना और महंगा हो गया है। ईंटा उद्योग के प्रति सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति ठीक नहीं है। कारोबारियों को राहत देते हुए कंपाउंडिंग स्कीम लागू की जाए। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के निर्देश पर अधिकतर ईंट भट्ठों को जिग-जैग में परिवर्तित किया जा चुका है। इसमें प्रति भट्ठा करीब 50 लाख से अधिक का खर्च आया है लेकिन सरकार ने इसमें कोई मदद नहीं की। उन्होंने बताया कि सर्वे का विरोध जताया गया है। धारा 71 के तहत अफसरों को सर्वे का अधिकार तक नहीं है। मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा गया है। समस्या का समाधान न होने पर आंदोलन से भी पीछे नहीं हटेंगे।