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IIT Suicide: प्लेसमेंट और बैक पेपर के दबाव में टूटी जयसिंह की सांसें; 22 महीनों में सातवां सुसाइड…उठे ये सवाल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Tue, 30 Dec 2025 05:33 AM IST
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सार

Kanpur News: आईआईटी कानपुर के छात्र जयसिंह ने बैक पेपर और प्लेसमेंट के तनाव के कारण आत्महत्या कर ली। संस्थान में बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं ने काउंसलिंग व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं।

IIT Kanpur Suicide Jayasingh succumbed to pressure of placements and back papers seventh suicide in 22 months
मृतक की फाइल फोटो - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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कानपुर आईआईटी के बीटेक अंतिम वर्ष के छात्र जयसिंह की सुसाइड मामले में प्रशासन पर सवाल उठा दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक छात्र का बैक पेपर क्लियर न होने की वजह से उसे दो बार प्लेसमेंट में शामिल होने का मौका नहीं मिला। साथ ही, उसका बैक पेपर अभी भी क्लियर नहीं हुआ था। इस कारण हताश होकर उसने जान दे दी। आईआईटी में एक बार फिर आत्महत्या की घटना ने संस्थान की काउंसलिंग और छात्र सहयोग व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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बीटेक छात्र जयसिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या वह पढ़ाई के दबाव में था। संस्थान प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जयसिंह की एकेडमिक रिपोर्ट तलब की है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कहीं अकादमिक तनाव, ईयर बैक की आशंका या अन्य कारण इस दुखद कदम के पीछे तो नहीं थे। जानकारी के अनुसार, जयसिंह ने वर्ष 2020 में बीटेक के बायोलॉजिकल सांइसेज एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग में दाखिला लिया था।

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चार साल का कोर्स 2024 में पूरा हो जाना चाहिए था। सूत्रों का कहना है कि कुछ विषयों में उसकी स्थिति कमजोर चल रही थी और ईयर बैक लगने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि, संस्थान प्रशासन की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। पुलिस और प्रशासन दोनों ही एकेडमिक और मानसिक पहलुओं की गहन जांच कर रहे हैं। वर्ष 2025 में आईआईटी कानपुर में यह चौथी मौत है। इससे पहले दो छात्र और एक सॉफ्टवेयर डेवलपर आत्महत्या कर चुके हैं।

निदेशक के मेल के माध्यम से घटना की जानकारी मिली
लगातार हो रही इन घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या संस्थान की काउंसलिंग व्यवस्था वास्तव में जरूरतमंद छात्रों तक पहुंच पा रही है। बीते 22 महीनों में संस्थान में सात आत्महत्या की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। अक्तूबर 2025 में बीटेक अंतिम वर्ष के छात्र धीरज सैनी ने भी आत्महत्या की थी। आईआईटी कानपुर के डीन ऑफ एकेडमिक्स अफेयर्स प्रो. अशोक डे ने कहा कि निदेशक के मेल के माध्यम से घटना की जानकारी मिली है। छात्र के एकेडमिक्स की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। अभी इस संबंध में कुछ कहा नहीं जा सकता।

संस्थान में नौ प्रोफेशनल काउंसलर नियुक्त हैं
आईआईटी प्रशासन का दावा है कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। संस्थान में नौ प्रोफेशनल काउंसलर नियुक्त हैं, जिनमें मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक दोनों शामिल हैं। यह 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं। इसके साथ ही 24 घंटे चलने वाली ऑनलाइन हेल्पलाइन, प्रीवेंशन ऑफ इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से नियमित प्रशिक्षण, डी-एडिक्शन क्लीनिक और हर 30 स्नातक छात्रों पर एक फैकल्टी एडवाइजर की व्यवस्था की गई है।

कुछ प्रमुख आत्महत्याएं

  • 19 दिसंबर 2023: शोध सहायक स्टाफ डॉ. पल्लवी चिल्का
  • 10 जनवरी 2024: एमटेक छात्र विकास मीणा
  • 18 जनवरी 2024: पीएचडी छात्रा प्रियंका जायसवाल
  • 10 अक्टूबर 2024: पीएचडी छात्रा प्रगति
  • 10 फरवरी 2025: पीएचडी रिसर्च स्कॉलर अंकित यादव
  • 25 अगस्त 2025: सॉफ्टवेयर डेवलपर दीपक चौधरी
  • 01 अक्तूबर 2025: बीटेक अंतिम वर्ष का छात्र धीरज सैनी

मानसिक स्वास्थ्य केंद्र का विस्तार
मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (सीएमएचडब्ल्यु) को मजबूत किया गया है। इसके तहत गंभीर मानसिक समस्याओं से निपटने के लिए 10 पूर्णकालिक प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक नियुक्त किए गए हैं। इसके अलावा एक क्लिनिकल हेड (मनोचिकित्सक) की नियुक्ति की गई है तथा तीन मनोचिकित्सकों को पैनल में शामिल किया गया है।

आयोजित होती हैं जागरूकता कार्यशालाएं
शिक्षकों, छात्रों, कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों, एसआईएस गार्ड, डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, लाइब्रेरी कर्मचारियों, हॉस्टल प्रबंधकों, मेस और सफाई कर्मचारियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता और संवेदनशीलता कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। किसी भी आपात स्थिति में छात्रों को दिन-रात सहायता देने के लिए सीएमएचडब्ल्यू और स्वास्थ्य केंद्र के बीच समन्वय के साथ 24 घंटे की व्यवस्था की गई है। छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर नियमित रूप से जागरूकता कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं।

नए छात्रों की मानसिक जांच
स्नातक और परास्नातक छात्रों के लिए पीयर मेंटरिंग की व्यवस्था है, जिसमें सीनियर छात्र नए छात्रों को सहयोग और मार्गदर्शन देते हैं। सभी नए यूजी और पीजी छात्रों की पहले सप्ताह में मानसिक स्वास्थ्य जांच की जाती है। मध्यम या गंभीर जोखिम वाले छात्रों से प्रशिक्षित काउंसलर संपर्क करते हैं और जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक के पास भेजा जाता है।

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